Summary: गर्भ में कैसे दें संस्कार: मां के विचारों से बनता है बच्चे का भविष्य
गर्भावस्था के दौरान मां के विचार, आदतें और भावना शिशु के मानसिक विकास को प्रभावित करते हैं। ध्यान, अच्छा साहित्य, सकारात्मक सोच और मंत्र-संगीत से आप अपने शिशु को संस्कारी बना सकती हैं।
Garbh Sanskar during Pregnancy: एक शिशु जिसका जुड़ाव अपनी माता से गर्भकाल से ही हो जाता है, वह न सिर्फ अपने माता के अंदर शारीरिक रूप से विकसित होता है, बल्कि उसका मानसिक रूप से भी विकास शुरू हो जाता है। विज्ञान तथा धर्म दोनों ही मानते हैं कि गर्भ में पल रहा शिशु मां के विचारों और भावनाओं को अनुभव करता है तथा मां के द्वारा सुने गए ध्वनियों को गर्भ में पल रहा शिशु भी सुन सकता है। अगर आप भी अपने शिशु को अच्छे विचारों और भावनाओं से पोषित करना चाहती हैं तो इसकी तैयारी गर्भावस्था से ही शुरू करनी होगी। आइए जानते हैं इस लेख में आप किस तरह अपने गर्भ में पल रहे शिशु को संस्कारी बना सकती हैं।
शांत और सकारात्मक जीवन शैली अपनाएं

गर्भावस्था के दौरान जितना संभव हो सके खुद को तनाव मुक्त रखें। तनाव का बुरा असर न सिर्फ आप पर पड़ता है, बल्कि इसका प्रभाव आपके गर्भ में पल रहे शिशु पर भी होता है। गर्भावस्था के दौरान होने वाले तनाव के कारण होने वाले बच्चे को बड़े होकर अवसाद जैसी परिस्थितियां होने की संभावना बढ़ जाती है।
गर्भावस्था के दौरान खुद को तनाव मुक्त रखने के लिए ध्यान योग और प्राणायाम करें।
टीवी/मीडिया पर हिंसा, विवादात्मक तथा नकारात्मक चीजों से बचें।
पौष्टिक तथा संतुलित आहार का सेवन करें।
इन छोटे-छोटे कार्यों के साथ आप अपने तनाव को कम कर सकती हैं।
अच्छा साहित्य पढ़े
आप अपने समय को उपयोगी तथा अपने शिशु को संस्कारी बने के लिए साहित्य की मदद ले सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान पढ़ने के लिए प्रेरणादायक कहानियों का चुनाव करें, आप धार्मिक ग्रंथो का भी चुनाव कर सकती हैं। इस तरह की कहानी आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा के संचार को बढ़ाती है तथा आपको अच्छे भावना से भर्ती है, जिस कारण आपके गर्भ में पल रहा शिशु अधिक खुश महसूस करता है।
संगीत तथा मंत्रों को सुने
आप अपने गर्भावस्था के दौरान मन को शांत करने के लिए शांत संगीत तथा मंत्रों को सुन सकती हैं या खुद भी मंत्रों का जाप कर सकती है। रिसर्च बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान शांत संगीत सुनने से मां तथा बच्चे दोनों को लाभ होता है। मंत्रों के जाप गर्भ में पल रहे शिशु के मन और मस्तिष्क के विकास में सहायक होता है।
अपने बच्चे के प्रति सकारात्मक भावना रखें
गर्भावस्था के दौरान मां को चाहिए कि वह अपने गर्भ में पल रहे शिशु के प्रति सकारात्मक भावना रखें। जैसे, मेरा शिशु संवेदनशील, बुद्धिमान तथा संस्कारी होगा। इस तरह की भावना से खुद को भरपूर रखें। हर रोज अपने आप से इन वाक्यों को कहे।
अपने व्यवहार को शुद्ध रखें
वैसे तो अपने व्यवहार में शुद्धता रखना सभी व्यक्ति के लिए जरूरी है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को विशेष रूप से अपने व्यवहार की शुद्धता पर ध्यान देना चाहिए, ताकि उसका होने वाला शिशु भी अच्छे गुणों से भरपूर हो।
गर्भवती महिला झूठ, चुगली, गुस्सा, द्वेष जैसे व्यवहार से बचे। प्रेम और सेवा की भावना से भरपूर हो तथा माफ करने जैसे गुणों को अपनाएं।
माता की आदतें शिशु में भी आती है तथा होने वाला बच्चा इन गुणों के साथ इस दुनिया में आता है।
गर्भवती महिला को चाहिए कि अनावश्यक बहस में खुद को ना डालें। यह स्थिति अनावश्यक क्रोध तथा तनाव को बढ़ाती है।
यह कुछ छोटी-छोटी सी बातें हैं जिनका ध्यान रखकर आप एक संस्कारी शिशु की माता बनती है।
