Pregnancy Vastu Shastra: स्त्री के लिए मातृत्व सुख को धरती का परम सुख माना जाता है, क्योंकि मातृत्व सुख ही एक महिला को संपूर्ण बनाता है। विवाह के पश्चात किसी भी स्त्री के लिए अपने बच्चे के जन्म का पल बेहद यादगार रहता है। परंतु, बहुत बार महिलाओं को मातृत्व सुख प्राप्त करने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। स्त्री के मां नहीं बन पाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। जिसमें से एक कारण घर का वास्तुदोष भी होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, गर्भधारण करने के लिए वास्तुशास्त्र के पांच प्राकृतिक तत्वों जल, अग्नि, वायु, धरती और आकाश में संतुलन जरूरी है। मां बनने के लिए अग्नि तत्व अधिक जिम्मेदार होता है। अग्नि तत्व के असंतुलन से महिला के मां बनने में परेशानी आती है। इस लेख के माध्यम से हम ऐसे वास्तुदोषों के बारे में जानेंगे जिसके कारण महिलाओं के मां बनने में रुकावट आती है।
बेडरूम की दिशा

वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि यदि विवाहित जोड़े का कमरा उत्तर-पूर्व दिशा में है, तो महिला के मां बनने में परेशानी आती है। क्योंकि यह दिशा जल की दिशा मानी गई है और मां बनने के लिए अग्नि तत्व जरूरी है। अग्नि तत्व ही गर्भ में पल रहे बच्चे को ऊर्जा देता है उसे परिपक्व बनाता है। इसलिए दंपती को उत्तर-पश्चिम दिशा के कमरे में सोना चाहिए। वहीं, जिन गर्भवती महिलाओं का बार-बार गर्भपात होता है, उन्हें घर की दक्षिण पूर्व दिशा में नहीं सोना चाहिए। क्योंकि, यह दिशा बहुत ऊर्जावान होती है और आवश्यकता से अधिक ऊर्जा गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंचा सकती है और अधिक ऊर्जा से महिला का गर्भपात हो जाता है। एक बार गर्भधारण होने के बाद गर्भवती महिला को दक्षिण-पश्चिम दिशा में सोना चाहिए।
अंधेरे वाली जगह

गर्भवती महिलाओं को अंधेरे में नहीं सोना चाहिए। इससे गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अंधेरे में रहने से गर्भस्थ शिशु को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है, जिसके कारण शिशु का स्वास्थ्य कमजोर पड़ने लगता है और गर्भपात तक हो जाता है। इसलिए गर्भवती महिला को हमेशा साफ और अच्छी रोशनी वाली जगह पर रहना चाहिए। इसी तरह गर्भवती महिलाओं के लिए इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं भी नुकसानदायक है। इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं राहु का प्रतिनिधित्व करती है। सभी इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं से रेडिएशन की किरणें निकलती हैं, जो गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा प्रभाव डालती है। इसलिए गर्भवती महिला को सभी इलेक्ट्रॉनिक चीजों से दूरी बना के रखनी चाहिए।
शौचालय की स्थिति

यदि दक्षिण पूर्व दिशा के बीच में शौचालय बना हो तो गर्भधारण में परेशानी आती है। इससे महिला की प्रजनन क्षमता कमजोर होती है। साथ ही घर के बीच में कोई भारी समान या सीढ़िया नहीं होनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को नकारात्मक नहीं रहना चाहिए। मान्यता है कि जैसा मां सोच विचार करती है, उसका प्रभाव भी गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। इसलिए गर्भवती महिला को हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए।
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