Myth about Breast: ब्रेस्ट महिलाओं की खूबसूरती का अभिन्न अंग होते हैं। यही वजह है कि महिलाएं अपने ब्रेस्ट साइज और हेल्थ को लेकर काफी सजग और चिंतित रहती हैं। ब्रेस्ट में होने वाला हल्का सा बदलाव भी उन्हें परेशान कर सकता है। हालांकि उम्र बढ़ने के साथ ब्रेस्ट में अंतर आना या साइज छोटा या बड़ा होना सामान्य है लेकिन महिलाएं सुनी-सुनाई कुछ भ्रामक बातों से छोटी-छोटी समस्याओं को बड़ा बना देती हैं और तनाव में आ जाती हैं। यदि आप के मन में भी ब्रेस्ट हेल्थ या साइज को लेकर भ्रम या मिथ्स हैं तो चलिए जानते हैं क्या है सच्चाई।
मिथ 1: स्तनों के आकार में अंतर

सच्चाई: आमतौर पर महिलाओं के दोनों ब्रेस्ट के साइज व आकार में अंतर होता है। ये एक सामान्य बात है जिसका कोई मेडिकल कारण नहीं है। ब्रेस्ट के साइज में बदलाव हार्मोनल चैंजेज और ग्रोथ के कारण हो सकता है। इसके अलावा इसके लिए आनुवांशिक कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं। ब्रेस्ट साइज में अंतर होना किसी समस्या का संकेत नहीं है।
मिथ 2: ब्रेस्ट कैंसर का कारण कहीं डेंस ब्रेस्ट टिशू तो नहीं
सच्चाई: डेंस ब्रेस्ट टिशू ब्रेस्ट कैंसर का कारण हो सकते हैं लेकिन जरूरी नहीं कि हर बार इसे कैंसर से जोड़ा जाए। यदि मैमोग्राम में डेंस ब्रेस्ट टिशू दिखाई देती है तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। ब्रेस्ट टिशू का डेंस होना शरीर में अत्यधिक फैट या आनुवांशिक कारण भी हो सकता है। यदि आप ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण महसूस करते हैं तो अल्ट्रासाउंड और एमआरआई के जरिए इसका पता लगा सकते हैं।
मिथ 3: हर 10 साल में ब्रेस्ट इम्प्लांट करना चाहिए
सच्चाई: ब्रेस्ट को हर कोई खूबसूरत बनाए रखना चाहता है, लेकिन इसके लिए ब्रेस्ट इम्प्लांट करने की आवश्यकता नहीं है। जब तक ब्रेस्ट में किसी प्रकार की समस्या नहीं है तब तक इसे बदलवाने की जरूरत नहीं होती। लेकिन यदि आपने सिलिकॉन इम्प्लांट्स करवाए हैं तो उसे लीक होने की स्थिति में बदलवाया जा सकता है। नेचुरल ब्रेस्ट को एक्सरसाइज और हेल्दी डाइट में शेप में किया जा सकता है।
मिथ 4: ब्रेस्ट फीडिंग से ब्रेस्ट हो जाते हैं लूज

सच्चाई: वर्तमान में महिलाएं अपने फिगर को लेकर काफी सचेत रहती हैं। यही वजह है कि वह अपने बच्चे को ब्रेस्ट फीड कराने से डरती हैं। महिलाओं का मानना है कि ब्रेस्टफीड करवाने से ब्रेस्ट लूज हो जाते हैं और लटक सकते हैं। बल्कि सच्चाई तो ये है कि उम्र बढ़ने के साथ ब्रेस्ट के टिशू और स्किन लूज यानी ढीली पड़ जाती है जिसकी वजह से ब्रेस्ट बेडौल और ढीले नजर आने लगते हैं। ब्रेस्टफीडिंग से ब्रेस्ट का आकार कम होता है और वह पहले से अधिक सुडौल हो सकते हैं।
मिथ 5: सेलफोन के इस्तेमाल से कैंसर का खतरा हो सकता है
सच्चाई: महिलाओं का मानना है कि मोबाइल या सेलफोन से निकलने वाली रेज ब्रेस्ट कैंसर के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। आपको बता दें कि अभी तक इस बात का कोई प्रमाण सामने नहीं आया है। हालांकि सेलफोन से निकलने वाली रेज नुकसानदायक हो सकती हैं लेकिन ये ब्रेस्ट कैंसर का कारण हो सकती है ये जरूरी नहीं है।
