Peanut allergy causes
Peanut allergy causes

Overview:मूँगफली से एलर्जी होती है तो जानिए शरीर क्यों करता है ऐसा रिएक्शन

मूँगफली एलर्जी तब होती है जब शरीर इसके प्रोटीन को हानिकारक मानकर तेज़ प्रतिक्रिया देता है। इसमें जेनेटिक्स, गट हेल्थ, साफ-सफाई की आदतें और शुरुआती एक्सपोज़र की अहम भूमिका होती है। मूँगफली का थोड़ा-सा अंश भी कुछ लोगों में गंभीर एलर्जी पैदा कर सकता है। सही जानकारी और सावधानी से इस एलर्जी को नियंत्रण में रखा जा सकता है।

Peanut Allergy Causes: मूँगफली, जिसे हम स्नैक्स या चटनी में बड़े शौक से खाते हैं, कई लोगों के लिए एक गंभीर एलर्जी का कारण बन सकती है। कुछ लोगों के शरीर में मूँगफली का थोड़ा-सा अंश भी जाते ही तुरंत रिएक्शन शुरू हो जाता है — जैसे खुजली, सूजन, सांस लेने में तकलीफ़ या उल्टी तक। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा होता क्यों है?

असल में पी नट एलर्जी तब होती है जब हमारा इम्यून सिस्टम इसे दुश्मन समझ लेता है और शरीर को बचाने के लिए तेज़ रिएक्शन देता है। इस दौरान हिस्टामीन जैसे केमिकल रिलीज़ होते हैं जो एलर्जी के लक्षण पैदा करते हैं। इसके अलावा, गट हेल्थ, परिवार का इतिहास, वातावरण और शुरुआती उम्र में मूँगफली का सेवन न करना — ये सभी कारण एलर्जी को बढ़ा सकते हैं।

अगर आपको या आपके बच्चे को मूँगफली से रिएक्शन होता है, तो इसे हल्के में न लें। सही जानकारी और थोड़ी सावधानी से आप एलर्जी के ख़तरों को काफी हद तक कम कर सकते हैं। आइए, जानते हैं विस्तार से कि आखिर पीनट एलर्जी के पीछे कौन-कौन से छिपे कारण होते हैं।

इम्यून सिस्टम

Your immune system mistakes peanut protein as a threat.
Even a tiny peanut can trigger a powerful allergic reaction.

पीनट एलर्जी की सबसे बड़ी वजह होती है — शरीर का अपना इम्यून सिस्टम। जब कोई एलर्जिक व्यक्ति मूँगफली खाता है, तो शरीर उसे हानिकारक समझकर हिस्टामीन जैसे केमिकल छोड़ देता है। इससे शरीर में खुजली, सूजन, पेट दर्द, या सांस लेने में तकलीफ़ जैसी परेशानियाँ शुरू हो जाती हैं। असल में, यह शरीर की “ओवररिएक्शन” प्रक्रिया होती है, यानी ज़रूरत से ज़्यादा सुरक्षा का प्रयास। अगर यह एलर्जी बार-बार हो, तो डॉक्टर से एलर्जी टेस्ट करवाना ज़रूरी है ताकि समय रहते इसका पता लगाया जा सके और सही बचाव किया जा सके।

गट हेल्थ

Early, careful exposure in childhood may help build tolerance.
Genetics and gut health play a big role in peanut allergies.

हमारे पेट यानी गट में मौजूद बैक्टीरिया हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन जब गट बैलेंस बिगड़ता है, तो शरीर की इम्यून रेस्पॉन्स गड़बड़ा जाती है और खाने की चीज़ों पर गलत प्रतिक्रिया देने लगती है। कई रिसर्च में पाया गया है कि जिन लोगों की गट हेल्थ कमजोर होती है, उनमें मूँगफली या अन्य फूड एलर्जी होने की संभावना ज़्यादा रहती है। इसलिए, प्रोबायोटिक चीज़ें जैसे दही, छाछ और फाइबरयुक्त आहार लेना फायदेमंद होता है। ये पेट के अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं और इम्यून सिस्टम को बैलेंस रखते हैं।

जेनेटिक्स

अगर आपके माता-पिता या परिवार के किसी सदस्य को एलर्जी की समस्या है, तो आपको भी इसका ख़तरा बढ़ सकता है। यह जेनेटिक लिंक मूँगफली एलर्जी को भी प्रभावित करता है। कुछ लोगों में जन्म से ही इम्यून सिस्टम ऐसा बन जाता है कि वह कुछ प्रोटीन को tolerate नहीं कर पाता। रिसर्च बताती है कि एलर्जी, अस्थमा या एक्ज़ीमा वाले परिवारों में मूँगफली एलर्जी की संभावना कई गुना अधिक होती है। ऐसे मामलों में बच्चों को शुरुआती उम्र से ही डॉक्टर की निगरानी में धीरे-धीरे एक्सपोज़र देने की सलाह दी जाती है, ताकि शरीर में सहनशीलता विकसित हो सके।

वातावरण और स्वच्छता

आजकल बच्चे बहुत ही साफ-सुथरे माहौल में पलते हैं, जिससे उनका इम्यून सिस्टम “ट्रेनिंग” नहीं ले पाता। इसे ही “हाइजीन हाइपोथेसिस” कहा जाता है। यानी, अगर बच्चे ज़्यादा साफ-सुथरे माहौल में बड़े होते हैं और मिट्टी या प्राकृतिक बैक्टीरिया से संपर्क नहीं रखते, तो उनका इम्यून सिस्टम बाहरी प्रोटीन को हानिकारक समझने लगता है। यही वजह है कि विकसित देशों में मूँगफली एलर्जी के मामले ज़्यादा देखे जाते हैं। इसलिए बच्चों को बहुत ज़्यादा बाँधकर रखने की बजाय, उन्हें थोड़ा नेचर के करीब रहने देना भी ज़रूरी है ताकि उनकी immune power प्राकृतिक रूप से मजबूत बने।

शुरुआती उम्र में मूँगफली का एक्सपोज़र

पहले माना जाता था कि बच्चों को मूँगफली देर से खिलानी चाहिए, लेकिन अब साइंस कहती है कि बहुत देर तक इंतज़ार करने से एलर्जी का खतरा बढ़ सकता है। अगर बच्चे को छह महीने की उम्र के बाद धीरे-धीरे, डॉक्टर की निगरानी में मूँगफली दी जाए, तो शरीर उसे पहचानना सीख जाता है और एलर्जी की संभावना घटती है। लेकिन जिन परिवारों में पहले से एलर्जी का इतिहास है, उन्हें यह कदम हमेशा मेडिकल गाइडेंस में ही उठाना चाहिए। शुरुआती एक्सपोज़र से शरीर “टॉलरेंस” विकसित करता है, जिससे मूँगफली को सामान्य भोजन की तरह स्वीकार करने की क्षमता बनती है।

मेरा नाम वामिका है, और मैं पिछले पाँच वर्षों से हिंदी डिजिटल मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर सक्रिय हूं। विशेष रूप से महिला स्वास्थ्य, रिश्तों की जटिलताएं, बच्चों की परवरिश, और सामाजिक बदलाव जैसे विषयों पर लेखन का अनुभव है। मेरी लेखनी...