Overview: वायु कोण दोष कैसे और कब लगता है?
वायु कोण दोष घर की उत्तर-पश्चिम दिशा में हवा के असंतुलित प्रवाह से उत्पन्न होता है। यह दोष स्वास्थ्य, धन और रिश्तों पर नकारात्मक असर डालता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार सही दिशा में बदलाव और विशेष उपाय करके इस दोष को दूर किया जा सकता है, जिससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।
Vayu Kon Dosh: हमारे घर की ऊर्जा हमारे जीवन को बहुत प्रभावित करती है। अगर घर वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार न बना हो, तो कई तरह के वास्तु दोष उत्पन्न हो सकते हैं। ये दोष न केवल घर के वातावरण को प्रभावित करते हैं बल्कि हमारे स्वास्थ्य, धन और रिश्तों पर भी नकारात्मक असर डालते हैं। इन्हीं दोषों में से एक है वायु कोण दोष, जो अक्सर लोगों को समझ में नहीं आता और कई बार यह परिवार में लगातार चल रही समस्याओं की जड़ बन जाता है।
क्या होता है वायु कोण दोष?
वायु कोण दोष, वास्तु दोष का ही एक प्रकार है जो वायु तत्व यानी हवा के असंतुलित प्रवाह के कारण उत्पन्न होता है। हमारे घर में हवा का सही दिशा में बहना जरूरी होता है। जब घर के खिड़की या दरवाजे गलत दिशा में बने हों या हवा का प्रवाह सही तरीके से न हो, तब वायु कोण दोष लगता है। इस दोष का संबंध घर की उत्तर-पश्चिम दिशा (वायव्य कोण) से होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा के स्वामी चंद्रमा और वायु देव हैं। यदि इस दिशा में असंतुलन हो जाए तो घर की ऊर्जा प्रभावित होती है और नकारात्मक परिणाम सामने आने लगते हैं।
वायु कोण दोष कैसे और कब लगता है?
वायु कोण दोष आमतौर पर तब लगता है जब घर में दरवाजे और खिड़कियां गलत दिशा में बनी हों। उत्तर-पश्चिम दिशा भारी सामान या निर्माण से ढकी हो। हवा का प्रवाह बाधित हो या गलत दिशा से आए। इस हिस्से का कटा हुआ या टूटा हुआ होना भी दोष का कारण बनता है।
साधारण शब्दों में कहें तो, जब घर में हवा के आने-जाने का संतुलन बिगड़ जाता है, तो यह दोष उत्पन्न होता है।
वायु कोण दोष के नकारात्मक प्रभाव
वायु कोण दोष का असर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ता है। यह सिर्फ घर की ऊर्जा ही नहीं बल्कि परिवार के सदस्यों की मानसिक और शारीरिक स्थिति को भी प्रभावित करता है।
- स्वास्थ्य समस्याएँ
परिवार के लोग बार-बार बीमार पड़ते हैं।
श्वसन संबंधी रोग जैसे सांस लेने में दिक्कत, एलर्जी, अस्थमा आदि हो सकते हैं।
तनाव, चिंता, नींद की कमी और लगातार थकान महसूस होना।
शरीर में कमजोरी और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी।
- मानसिक और भावनात्मक अशांति
चंद्रमा इस दिशा का स्वामी ग्रह है।
दोष होने पर परिवार के लोगों में भावनात्मक अस्थिरता, गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।
घर में अक्सर झगड़े और कलह होते रहते हैं।
- धन और यश की हानि
व्यापार में नुकसान होने लगता है।
घर की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है।
समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान घटने लगता है।
- शत्रुओं में वृद्धि
शत्रुओं की संख्या बढ़ने लगती है।
कोर्ट-कचहरी के मामलों में फंसने की संभावना रहती है।
वायु कोण दोष को दूर करने के उपाय
वास्तु शास्त्र में हर दोष का समाधान भी बताया गया है। सही उपाय करने से इस दोष के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।
- हवा का सही प्रवाह बनाएँ
वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम दिशा) को खुला और हल्का रखें।
यहां भारी सामान या दीवारें न बनाएं।
खिड़कियां और दरवाजे सही दिशा में बनवाएं ताकि हवा का प्रवाह सही ढंग से हो।
- चंद्रमा से संबंधित उपाय
इस दिशा में चंद्र यंत्र या सोम यंत्र स्थापित करें।
पूर्णिमा की रात चंद्र देव को खीर का भोग लगाएं और ब्राह्मण को दान करें।
नियमित रूप से चंद्र मंत्र का जाप करें।
- हनुमान जी की कृपा प्राप्त करें
वायव्य कोण में हनुमान जी की तस्वीर लगाएं।
रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें।
इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा कम होगी और सकारात्मकता बढ़ेगी।
- सही उपयोग करें स्थान का
इस दिशा में अतिथि कक्ष या मनोरंजन कक्ष बना सकते हैं।
हल्के सामान, जैसे कुर्सियां या खाद्यान्न का भंडारण रखें, लेकिन भारी सामान रखने से बचें।
