Toilet on roof
Toilet on roof

Overview: छत पर टॉयलेट क्यों होता है अशुभ

वास्तु शास्त्र के अनुसार छत पर टॉयलेट बनाना शुभ नहीं है। यह घर में नकारात्मक ऊर्जा लाता है और परिवार की सुख-शांति और समृद्धि को प्रभावित करता है। सही दिशा और उपाय अपनाकर इससे बचाव किया जा सकता है।

Toilet on Roof: जब भी हम घर का निर्माण करवाते हैं, तो हर हिस्से का स्थान और दिशा बहुत मायने रखती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में टॉयलेट का स्थान बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश द्वार माना जाता है।

आजकल, कई घरों में नीचे के साथ-साथ छत पर भी अतिरिक्त टॉयलेट बनाया जाता है, ताकि मेहमानों के आने या अचानक जरूरत पड़ने पर इसका उपयोग हो सके। यह सुविधा के हिसाब से अच्छा तो लगता है, लेकिन क्या यह वास्तु के अनुसार सही है? आइए जानते हैं कि छत पर टॉयलेट बनाना शुभ है या अशुभ और इससे बचने के उपाय क्या हैं।

वास्तु में टॉयलेट का महत्व

वास्तु शास्त्र में टॉयलेट को अशुद्धता का स्थान माना गया है। यह जगह घर में अशांति, बीमारियों और नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकती है। अगर टॉयलेट गलत दिशा में या गलत तरीके से बनाया जाए तो यह घर के सभी सदस्यों पर बुरा असर डाल सकता है।

छत पर टॉयलेट क्यों होता है अशुभ

ऊर्जा का असंतुलन

छत घर का सबसे ऊपरी हिस्सा होता है, जो सीधे ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ा होता है। अगर छत पर टॉयलेट बनाया जाए, तो यह सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को रोक देता है और घर में ऊर्जा का असंतुलन पैदा करता है।

नीचे के कमरों पर नकारात्मक प्रभाव

छत पर टॉयलेट का मतलब है कि उसके ठीक नीचे जो भी कमरा होगा, उस पर इसका सीधा असर पड़ेगा। अगर नीचे पूजा कक्ष, रसोई या शयनकक्ष है, तो वहां की ऊर्जा दूषित हो सकती है, जिससे वहां रहने वालों को समस्याएं होने लगती हैं।

परिवार में तनाव और बीमारियां

वास्तु के अनुसार, छत पर बने टॉयलेट के कारण परिवार के सदस्यों में:

मानसिक तनाव

चिड़चिड़ापन

असहयोग की भावना

और शारीरिक बीमारियां बढ़ सकती हैं।

इससे घर का वातावरण नकारात्मक और अशांत हो सकता है।

आर्थिक हानि और करियर में बाधा

छत पर टॉयलेट होने से घर में धन का आगमन रुक सकता है।

इसके परिणामस्वरूप

अनावश्यक खर्चे बढ़ सकते हैं।

नौकरी और व्यवसाय में रुकावटें आ सकती हैं।

प्रमोशन या उन्नति में देरी हो सकती है।

अगर टॉयलेट पहले से बना हो तो उपाय

कई बार ऐसा होता है कि घर बन चुका होता है और टॉयलेट को तोड़ना संभव नहीं होता। ऐसे में वास्तु शास्त्र में बताए गए कुछ उपाय अपनाकर नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।

तांबे की प्लेट का उपयोग

छत पर बने टॉयलेट के नीचे वाले कमरे की छत पर तांबे की प्लेट लगाएं। इससे नकारात्मक ऊर्जा को कुछ हद तक रोका जा सकता है।

शिव-पार्वती या वास्तुदेव की तस्वीर

नीचे के कमरे के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में शिव-पार्वती या वास्तुदेव की तस्वीर लगाएं। इससे वहां सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और दोष कम होता है।

वास्तु के अनुसार सही टॉयलेट स्थान

टॉयलेट हमेशा घर के उत्तर-पश्चिम (North-West) या पश्चिम दिशा में होना चाहिए।

टॉयलेट का दरवाजा हमेशा अंदर की तरफ खुलना चाहिए।

पूजा कक्ष, रसोई और बेडरूम के ठीक ऊपर टॉयलेट बनाने से बचना चाहिए।

मैं आयुषी जैन हूं, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, जिसने बीते 6 वर्षों में मीडिया इंडस्ट्री के हर पहलू को करीब से जाना और लिखा है। मैंने एम.ए. इन एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन्स में मास्टर्स किया है, और तभी से मेरी कलम ने वेब स्टोरीज़, ब्रांड...