Natural Antibiotics
Natural Antibiotics

Natural Antibiotics: जब भी हम बीमार होते हैं तो अक्सर डॉक्टर आपकी मेडिसिन में एंटीबायोटिक्स को भी शामिल करते हैं। दरअसल, एंटीबायोटिक्स का उपयोग बैक्टीरिया के विकास को मारने या फिर उसे बाधित करने के लिए किया जाता है। लेकिन अमूमन देखने में आता है कि कुछ लोग जानकारी के अभाव में ज्यादातर लोग एंटीबायोटिक दवाओं का गलत इस्तेमाल करते हैं। जिससे उन्हें लाभ के स्थान पर नुकसान होता है। इतना ही नहीं, कुछ लोग बार-बार एंटी-बायोटिक्स दवाओं का सेवन करते हैं और इससे भी उन्हें बहुत अधिक नुकसान होता है।

बता दें कि एंटीबायोटिक्स मेडिसिन वास्तव में एक जीवाणुरोधी दवा है और इसे अक्सर तब लिया जाता है जब कोई वायरल की स्थिति जैसे खांसी और सर्दी आदि से पीड़ित होता है। हालांकि, एंटीबायोटिक दवाओं के अति प्रयोग से आपको कई तरह के दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में अगर आप बैक्टीरिया को मारने या फिर उनकी ग्रोथ को रोकना चाहते हैं तो आप अपनी किचन का रूख कर सकते हैं। दरअसल, आपकी किचन में ऐसे कई इंग्रीडिएंट होते हैं, जो नेचुरल एंटीबायोटिक्स की तरह काम करते हैं और इसलिए अगर आप अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहते हैं तो एंटीबायोटिक्स दवाओं की जगह इन नेचुरल एंटीबायोटिक्स का सेवन कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में-

अदरक

अदरक का इस्तेमाल तो लगभग हर घर में कई तरीकों से किया जाता है। अदरक को इसके एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए व्यापक रूप से जाना जाता है। अदरक में फ्लेवोनोइड्स के साथ जिंजरोल, टेरपेनोइड्स, शोगोल, ज़ेरंबोन और जिंजरोन होते हैं जो इसे सेहत के लिए बेहद गुणकारी बनाते हैं। कई अध्ययनों से पता चलता है कि अदरक बैक्टीरिया के कई प्रकारों से लड़ सकता है।

शहद

शहद की गिनती सबसे पुराने एंटीबायोटिक दवाओं में होती है। आपको शायद पता ना हो लेकिन मिस्रवासी अक्सर शहद को एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक के रूप में इस्तेमाल करते थे। शहद में हाइड्रोजन पेरोक्साइड होता है, जिसके कारण इसमें जीवाणुरोधी गुण होते हैं। साथ ही इसमें शुगर कंटेंट भी हाई होता है, जो कुछ बैक्टीरिया के विकास को रोकने में मदद कर सकती है। आप शहद को एंटीबायोटिक के रूप में इस्तेमाल करने के लिए इसे सीधे घाव या संक्रमित जगह पर लगाएं। शहद बैक्टीरिया को मारने में मदद कर सकता है और हीलिंग प्रोसेस में सहायता कर सकता है। अधिकतर एंटी-बैक्टीरियल गुणों को प्राप्त करने के लिए अगर हो सके तो कच्चे मनुका शहद का चुनाव करें। शहद आमतौर पर त्वचा या शरीर पर उपयोग करने के लिए सुरक्षित होता है, हालांकि आपको 1 वर्ष से कम उम्र के शिशु को शहद कभी नहीं देना चाहिए।

लहसुन

लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो इसे बैक्टीरिया के संक्रमण से लड़ने के लिए एक प्रभावी इंग्रीडिएंट बनाते हैं। कई अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि लहसुन में पाया जाने वाला यौगिक एलिसिन साल्मोनेला और एस्चेरिचिया कोलाई सहित कई हानिकारक बैक्टीरिया को मारने में प्रभावी है। लहसुन का सेवन करना बिल्कुल सुरक्षित है, हालांकि आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप इसके अति प्रयोग से बचें। एक दिन में लहसुन की दो कली से ज्यादा न खाएं। वहीं, अगर आप खून को पतला करने वाली दवा का सेवन कर रहे हैं तो लहसुन का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

हल्दी

हल्दी के औषधीय गुणों से तो हर कोई वाकिफ है। हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो अपने शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है। यह ना केवल आपको फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचा सकता है, बल्कि यह कई रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं के विकास को भी कम कर सकता है। इतना ही नहीं, हल्दी फंगल विकास को कम कर सकती है और कोशिकाओं में ट्यूमर के विकास को भी दबा सकती है।

नीम

नीम के पेड़ आपको आसानी से हर जगह पर मिल जाएंगे। लेकिन क्या आपाके पता है कि नीम में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं और शायद यही कारण है कि नीम के पेस्ट को फेस पर लगाने से पिंपल्स से भी छुटकारा मिलता है। आयुर्वेद में नीम और नीम के तेल दोनों को बहुत गुणकारी माना गया है। आप इसे खा भी सकते हैं और अपनी स्किन पर अप्लाई भी कर सकते हैं। हालांकि, लंबे समय तक इसका लगातार सेवन करने से बचें।

लौंग

लौंग का पारंपरिक रूप से इस्तेमाल कई तरह ही दांतों की समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता रहा है। हालांकि, अब कुछ रिसर्च से यह भी पता चलता है कि लौंग के पानी का अर्क कई अलग-अलग प्रकार के जीवाणुओं के खिलाफ प्रभावी हो सकता है।

आर्गेनो

कुछ लोगों का मानना है कि आर्गेनो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाती है और एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। इसमें कई तरह के एंटी- इंफ्लेमेटरी गुण हो सकते हैं और इसलिए इसका सेवन करने से आप नेचुरली अपनी हेल्थ का ख्याल रख सकते हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं ने अभी तक इन दावों को सत्यापित नहीं किया है, लेकिन कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि आर्गेनो एक बेहद प्रभावी प्राकृतिक एंटीबायोटिक दवाओं में से एक है, खासकर जब इसे एक तेल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

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