Hemophilia
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Hemophilia: आजकल कई तरह की बीमारियां चल रही हैं जिसका कारण लगातार खराब होता लाइफस्टाइल है। ऐसी बीमारियां को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए तरह-तरह के कैंपेन भी चलाए जाते हैं। बावजूद कुछ लोगों को कुछ बीमारियां की सही जानकारी नहीं होती। या उन तक बीमारी से सम्बंधित जानकारी नहीं पहुंच पाती। ऐसे ही एक बीमारी हीमोफीलिया है जो लोगों में अधिकतर अनुवांशिक होती है। इस बीमारी में चोट लगने या कटने पर खून बहना बंद नहीं होता। या यूं कहे कि कहीं चोट लग जाए तो खून जल्दी से जमेगा नहीं बल्कि बहता रहेगा। इस बीमारी में रक्त के धक्के जमने की प्रक्रिया कम या खत्म होने लगती है। और कुछ गंभीर मामलों में तो रक्त शरीर के अंदर बहने लगता है। जिससे दिक्कत और भी अधिक बढ़ जाती है। ऐसे में इंसान की मृत्यु का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए आप सबसे पहले इसके बारे में जानिए कि इसके लक्षण क्या है और इसके क्या उपचार है।

हीमोफीलिया के प्रकार

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हीमोफीलिया के कई प्रकार हो सकते है। इसके दो प्रकार सबसे ज्यादा पाए जाते है, हीमोफीलिया टाइप ए-जिसमें ये बीमारी अनुवांशिक होती है। और खासकर मां से बच्चे में आती है। हीमोफीलिया टाइप बी-इसमें ब्लड में प्रोटीन की कमी होती है। जिसे क्लॉटिंग फैक्टर कहते है। इस फैक्टर की खासियत यह है कि ये बहते हुए रक्त को थक्के जमाकर रोकने में मदद करता है। लेकिन जब इसकी कमी होती है तो आपको हीमोफोलिया रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।

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हीमोफीलिया के लक्षण

  • इसमें यदि आपको चोट लग जाती है तो जल्दी से खून रुकता नहीं है।
  • इसमें त्वचा के अंदर रक्त बहने के कारण शरीर के नरम ऊतकों में रक्त जमा होने लगता है।
  • यदि आपको ये बीमारी होती है। तो आपके मुंह और मसूड़ों में खून बहने लगता है।
  • किसी तरह की वैक्सीनेशन या इंजेक्शन लगवाने के बाद किसी का खून नहीं बहता लेकिन इससे पीड़ित व्यक्ति के इंजेक्शन लगने के बाद खून बहने का खतरा बना रहता है।
  • शरीर में बहुत ज्यादा दर्द होने लगता है। जोड़ों में अंदर की साइड ब्लीडिंग होने लगती है। साथ ही घुटनों में सूजन आ जाती है।
  • अक्सर नाक से खून बहने लगता है जो जल्दी से रुकता नहीं है।
  • पेट में ब्लीडिंग होने से उल्टी और मल में खून दिखाई देता है।
  • यदि आपको ये लक्षण शरीर में दिख रहे हैं तो ऐसे में जरूरी है कि आप डॉक्टर से परामर्श लें।

हीमोफीलिया की रोकथाम

हीमोफीलिया से पीड़ित महिला गर्भवती है तो वो अपने होने वाले बच्चे का विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक की मदद से हीमोफीलिया का टेस्ट जरूर कराए ताकि सुनिश्चित हो सके कि होने वाला शिशु तो इससे संक्रमित नहीं है, अगर है तो समय रहते उसका बचाव किया जा सके।

इस तकनीक के द्वारा अंडे की जांच की जाती है कि उस अंडे में हीमोफीलिया है या नहीं। इसके बाद उसी अंडे को इंप्लांट किया जाता है जिसमें हीमोफीलिया का नामोनिशान न हो। इसलिए जरूरी है कि आप माता-पिता बनने जा रहे है और आपको हीमोफीलिया है तो एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। जिससे आपकी आने वाली जनरेशन में ये बीमारी न पनपे।

हीमोफीलिया के मरीज इन बातों का रखें ख्याल

  • स्टेरॉयड जैसी दवाईयां लेने से बचें। क्योंकि इससे आपकी दिक्कतें और बढ़ सकती है।
  • व्यायाम सही से करें जिससे आपके जोड़ों पर ज्यादा दवाब न पड़े।
  • हेपेटाइटिस ए और बी का टीका जरूर लगवाएं जिससे इसकी रोकथाम हो सके।
  • खून सम्बंधित आपको किसी भी तरह का संक्रमण न हो इसके लिए खून की जांच करवाते रहें। क्योंकि खून में संक्रमण होने में समय नहीं लगता है वह किसी भी तरह हो जाता है इसलिए हर 6 महीने में खून की जांच करवाते रहें।

हीमोफिलिया में किस तरह की डाइट की है जरूरत

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  • आपके लिए आयरन लेना बेहद जरूरी है क्योंकि आयरन आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है। आयरन लाल रक्त कोशिकाओं और इसके प्रोटीन हीमोग्लोबिन के उत्पादन में सहायता करता है। आयरन आपको हरी पत्तेदार सब्जियों में भरपूर मात्रा में प्राप्त होता है। इसलिए आप हरी पत्तेदार सब्जियों को अपने खानपान में शामिल करें। जिससे आपका शरीर स्वस्थ रह सके। साथ ही आपकी इम्यूनिटी भी स्ट्रांग हो सके।
  • क्या आपको पता है कि विटामिन सी आयरन को जमा करने में सहायक होता है। इससे थक्का जमने की प्रक्रिया भी बेहतर होता है। इससे कोलेजन की प्रक्रिया में सहायता मिलती है। साथ ही हीमोफीलिया की स्थिति में चोट की गंभीरता को कम कर देता है। अपने भोजन में रोटी, अंडे, हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें। साथ ही आपको विटामिन बी 12 लेना भी आवश्यक है। ये भी आपको काफी फायदा पहुंचाएगा।
  • हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम जरूर लें। हीमोफीलिया के मरीजों में खून के बहने से हड्डियों के कमजोर होने की शिकायत देखी जाती है तो आप रोज कैल्शियम लें। जिससे आपको कभी हड्डियों की परेशानी न हो। कैल्शियम में ऐसे खाद्य पदार्थ को आपको डेली रूटीन में शामिल करने चाहिए जैसे दूध, दही और पनीर ये आपके लिए फायदेमंद साबित होगें। यदि आपको दूध नहीं पचता तो टोन्ड वाला दूध लें। साथ ही पनीर भी बिना फैट वाला ले सकते हैं। क्योंकि ऐसा न हो एक बीमारी खत्म करने के चक्कर में दूसरी बीमारी हो जाए। इसलिए खान पान पर सही तरह से ध्यान दें। 

(डॉक्टर डी.के. चौहान से बातचीत पर आधारित)