हीमोफिलिया के मरीज अपनी डाइट में बरतें ये सावधानियां: World Hemophilia Day
World Hemophilia Day 2023

World Hemophilia Day: हीमोफिलिया रक्त से जुड़ी एक दुर्लभ बीमारी है। इस बीमारी को बीमारी को ब्लीडिंग डिसऑर्डर भी कहा जाता है। प्रत्येक वर्ष 17 अप्रैल को विश्व हीमोफिलिया दिवस (World Hemophilia Day) मनाया जाता है। इसको मनाने का मकसद इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करना है। हीमोफिलिया एक जेनेटिक यानी पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली बीमारी है, जो जन्म के साथ ही बच्चे में आती है। इस बीमारी में चोट लगने पर खून अपने आप बहना बंद नहीं होता, क्योंकि इस बीमारी से पीड़ित बच्चे या व्यक्ति में ब्लड क्लॉट होने की प्रक्रिया कमजोर या न के बराबर होती है।

क्या है हीमोफिलिया?

जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि हीमोफिलिया खून से जुड़ी हुई गंभीर बीमारी है। आमतौर पर आपने देखा होगा कि जब किसी बच्चे को चोट लगती है तो थोड़ी देर बाद खून अपने आप बहना बंद हो जाता है, जबकि हीमोफिलिया से पीड़ित बच्चे को चोट लगने पर उसका खून अपने आप नहीं रुकता। वजह है उसके शरीर में ब्लड क्लॉट न हो पाना। दरअसल, हमारे शरीर में क्लॉटिंग प्रोटीन होता है, जो चोट लगने पर खून को बहने से रोकता है। वैसे तो इस बीमारी को कोई भी इलाज नहीं है लेकिन दवाइयों के जरिये इसको कंट्रोल किया जाता है।

दिखाई देते हैं ये लक्षण

हीमोफिलिया जेनेटिक बीमारी होने के कारण ये बच्चे में जन्म से ही होती है। इस बीमारी के दो टाइप हैं-हीमोफिलिया टाइप ए और हीमोफिलिया टाइप बी। इससे संक्रमित बच्चे की त्वचा के नीचे ब्लीडिंग, मुंह और मसूड़ों में ब्लीडिंग, वैक्सीन लगवाने और इंजेक्शन लगने के बाद ब्लीडिंग और नाक से खून बहने की समस्या जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं इस बीमारी में चोट लगने के बाद होने वाली ब्लीडिंग को रोकना भी काफी मुश्किल होता है। ऐसे में हीमोफिलिया से संक्रमित लोगों को बहुत ही ध्यान रखने की जरूरत होती।

कैसी हो हीमोफिलिया के मरीजों की डाइट?

हमारे शरीर में विटामिन बी 6 और बी 12 रेड ब्लड सेल्स बनाने में अहम भूमिका निभाते है। वहीं विटामिन-सी ब्लड क्लॉटिंग के लिए बहुत जरूरी। इससे ही कोलेजन प्रक्रिया पूरी होती है। कोलेजन प्रोसेस ब्लड के थक्का बनाने के काम भी आता है, जो हीमोफिलिया मरीजों में स्थिति को अति गंभीर होने से बचाता है। हीमोफिलिया के मरीजों को विटामिन बी 6 और बी 12 से भरपूर भोजन का सेवन करना चाहिए। इसके लिए वे अपनी डाइट में मांस, मछली, अंडे, हरी पत्तेदार सब्जियां, अनाज, संतरा और नींबू जैसे खट्टे फलों को शमिल करना चाहिए।

इन बातों का रखें ध्यान

हीमोफिलिया से संक्रमित मरीजों का समय पर इलाज और दवाइयों बहुत जरूरी होती हैं, ऐसे में उन्हें किसी भी तरह की लापरवाही से बचना चाहिए। कोई भी दवा खाने से पहले मरीज को डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। इसलिए साथ ही हीमोफीलिक मरीज को उन चीज़ के सेवन से परहेज करना चाहिए, जो खून को पतला बनाते हों। जैसे:-लहसुन, अदरक, हल्दी और लाल मिर्च आदि।

वर्तमान में गृहलक्ष्मी पत्रिका में सब एडिटर और एंकर पत्रकारिता में 7 वर्ष का अनुभव. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी दैनिक अखबार में इंटर्न के तौर पर की. पंजाब केसरी की न्यूज़ वेबसाइट में बतौर न्यूज़ राइटर 5 सालों तक काम किया. किताबों की शौक़ीन...