World Blood Donor Day: शरीर का महत्वपूर्ण अवयव रक्त के बिना जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती। पूरे शरीर में सर्कुलेट होने वाला ब्लड सभी अंगों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की सप्लाई करता है। कार्बन डाइऑक्साइड, यूरिया, लेक्टिक एसिड जैसे तत्वों को बाहर निकाल कर शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है। लेकिन पैदाइशी बीमारियों और अपरिहार्य कारणों की वजह से कई बार व्यक्ति में खून की कमी भी हो जाती है। जिसकी आपूर्ति केवल दूसरे व्यक्ति के रक्तदान करने पर ही हो पाती है क्योंकि मेडिकल साइंस अभी तक रक्त का विकल्प नहीं खोज पाया है।
किसी जरूरतमंद इंसान की जिंदगी बचाने के लिए खून की कमी को पूरा करने के लिए स्वस्थ व्यक्ति अपना रक्त दान करते हैं, जो रक्तदान कहलाता है। इसे महादान माना जाता है क्योंकि एक यूनिट खून से एक नहीं, बल्कि तीन लोगों की जान बचाई जा सकती है। ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन से रक्त के प्रमुख कंपोनेंट (जैसे-रेड ब्लड सेल्स, प्लाज़्मा, प्लेटलेट्स) को अलग करके भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इनमें रेड ब्लड सेल्स की जरूरत अधिकतर सर्जरी, दुर्घटनाग्रस्त या थैलेसीमिया के मरीज के इलाज के लिए होती है। डेंगु, चिकनगुनिया के मरीजों के खून में प्लेटलेट्स की कमी को डोनर के रक्त से प्राप्त किया जा सकता है। ज्यादा ब्लीडिंग होने या खून के थक्के न जम पाने की स्थिति में या हीमोफीलिया जैसी बीमारी के इलाज के लिए डोनर के रक्त का प्लाज्मा काम आता है।
वैज्ञानिक मानते हैं कि रक्तदान डोनर के शरीर में किसी तरह की कमी नहीं लाता, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद है। औसतन एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में उसके वजन के हिसाब से 7 प्रतिशत रक्त होता है। यानी 10 यूनिट या 5 से 6 लीटर रक्त होता है। वजन के हिसाब सें डोनर एक बार में 350 मिलीलीटर से 450 मिलीलीटर रक्तदान कर सकता है। बोनमैरो में नियमित रूप से बनने वाले इस रक्त की आपूर्ति डोनर के शरीर में हालांकि 48 घंटे में हो जाती है। फिर भी रक्त के प्रमुख कंपोनेंट बनने में तकरीबन 3 महीने लग जाते हैं। 3 महीने बाद डोनर पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है और चाहे तो दोबारा रक्तदान कर सकता है। पुरुष डोनर साल में 4 बार और महिलाएं 3 बार आसानी से रक्तदान कर सकते हैं।

कोई भी व्यक्ति सिर्फ एमरजेंसी में ही नहीं, अस्पताल के ब्लड बैंक या रेड क्राॅस सोसाइटी, रोटरी क्लब, लायंस क्लब जैसी रजिस्टर्ड संस्थाओं द्वारा चलाए जाने वाले ब्लड डोनेशन कैंप में नियमित रूप से स्वैच्छा से रक्तदान कर सकता है। यहां ब्लड यूनिट को डीप फ्रीज करके काफी दिनों के लिए संरक्षित किया जाता है ताकि उन्हें डोनर कार्ड भी दिया जाता है जिससे जरूरत पड़ने पर ब्लड बैंक से वे एक यूनिट ब्लड ले भी सकते हैं।
कौन कर सकता है रक्तदान-
- कोई भी स्वस्थ व्यक्ति जिसे कोई संक्रामक बीमारी न हो।
- जिसकी उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच हो।
- जिनका वजन बीएमआई रेट के हिसाब से ठीक हो। कम से कम 50 किलोग्राम।
- रक्त में हीमोग्लोबिन लेवल कम से कम 12 ग्राम प्रति डेसीलीटर हो।
कौन नहीं कर सकता-

- हाई ब्लड प्रेशर, किडनी, डायबिटीज या एपिलेप्सी से पीड़ित व्यक्ति।
- हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, मलेरिया, एचआईवी या एड्स, टीबी के मरीज।
- खांसी-जुकाम, वायरल फीवर, अस्थमा जैसी श्वास संबंधी बीमारियों वाले मरीज।
- जिस व्यक्ति की किसी भी प्रकार की सर्जरी हुई हो।
- हीमोग्लोबिन लेवल कम होने पर।
- जिन महिलाओं को गर्भपात हुआ हो।
- महावारी, गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली महिलाएं।
- पिछले एक महीने में अगर डोनर ने किसी तरह का टीकाकरण कराया हो।
रक्तदान के हैं कई फायदे
नियमित अंतराल पर रक्तदान डोनर के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए तो फायदेमंद है, जो डोनर को मानसिक संतुष्टि भी प्रदान करता है। साथ ही कई बीमारियों से बचाता है-
- नई रक्त कोशिकाएं बनती हैं जो डोनर को हेल्दी और फिट बनाने, अस्वस्थ रखने में सहायक है।
- नियमित रूप से रक्तदान शरीर में आयरल की ओवरलोड यानी हेमोक्रोमैटोसिस डिजीज के जोखिम को कम करने में मदद करता है। जिसमें शरीर एनीमिया, एल्कोहल जैसे कारणों से लोहे को अधिक मात्रा में अवशोषित करने लगता है।
- शरीर में आयरन बैलेंस मात्रा में रहता है जिससे लिवर पर दवाब कम पड़ता है। लिवर हेल्दी रहता है और कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
- हार्ट अटैक की संभावनाओं को एक-तिहाई गुना कम कर सकता है। नियमित अंतराल पर रक्तदान से रक्त में आयरन की ओवरडोज कम हो जाती है और रक्त पतला हो जाता है। इससे इसका फ्लो बना रहता है और हार्ट के लिए फायदेमंद है।
- कोलेस्ट्राॅल लेवल को कम कर ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है।
- रक्तदान करने से शरीर में अतिरिक्त आयरन, विषैले पदार्थो या फ्री रेडिकल्स बाहर निकलने से कैंसर का खतरा कम रहता है।
- शरीर में जमा 650 अतिरिक्त कैलोरी और वसा बर्न होेती है जिससेे वजन कम करने में मदद मिलती है।
- रक्तदान के दौरान की जाने वाली फ्री हेल्थ स्क्रीनिंग से डोनर को अपने स्वास्थ्य के प्रति आगाह करती हैै जिससे वह उपचार के लिए समुचित ट्रीटमेंट करा सकता है। रक्तदान से पहले डोनर का वजन, ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन और ब्लड ग्रुप की जांच की जाती है। इसके साथ ही ब्लड टेस्ट से एचआईवी, मलेरिया, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, डायबिटीज की जांच की जाती है। डोया एपिलेप्सी या अस्थमा जैसी बीमारियों की जांच भी की जाती है।
रक्तदान से पहले रखें ध्यान-

- प्राइमरी मेडिकल चैकअप होने के बाद ही रक्तदान करें। यह ब्लड डोनर और रिसीवर दोनों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। डोनर का ब्लड टेस्ट किया जाता है, जिससे पता चलता है कि डोनर किसी जानलेवा बीमारी से पीड़ित तो नहीं है।
- डोनर यह जरूर चेक करें कि रक्तदान के लिए डिस्पोजेबल सिरिंज का इस्तेमाल किया जाए ताकि किसी तरह का खतरा न हो।
- रक्तदान से पहले रात को अच्छी नींद लें।
- रक्तदान से 24 घंटे पहले अल्कोहल, धूम्रपान और तंबाकू का सेवन न करें।
- रक्तदान खाली पेट न करें। इससे पहले और बाद में आयरन से भरपूर पौष्टिक भोजन करें।
- ऑयली डाइट और आइसक्रीम जैसी चीजें अवायड करें।
- रक्तदान से पहले और एक रात पहले जहां तक हो सके जूस जैसी लिक्विड डाइट ज्यादा लें।
रक्तदान के बाद रखें ध्यान-
- रक्तदान के बाद कम से कम 15-20 मिनट आराम जरूर करें।
- रक्तदान के तुरंत बाद अधिक शर्करा युक्त आहार लें ताकि ब्लड शूगर लेवल नाॅर्मल हो जाए। हर तीन घंटे में हैवी प्रोटीनयुक्त हेल्दी डाइट लें। लिक्विड डाइट ज्यादा लें इससे एनर्जी मिलेगी।
- तकरीबन 12 घंटे बाद तक हैवी एक्सरसाइज न करें।
(डाॅ अमिता महाजन, सीनियर कंसल्टेंट, पीडियाट्रिक हीमोटोलाॅजी एंड आॅन्कोलाॅजी, अपोलो अस्पताल, दिल्ली)
