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अगर आप रात में ठीक से सो नहीं पाते तो सिर्फ मानसिक रूप से ही परेशान नहीं रहेंगे। बल्कि यह जानलेवा भी हो सकता है। नींद में गड़बड़ी होने का सीधा मतलब है कि आप 150 से ज्यादा बीमारियों को खुद न्यौता दे रहे हैं।
Disease Related to Insomnia: पर्याप्त और अच्छी नींद आपकी सेहत से जुड़ी अहम कड़ी है। अगर आप रात में ठीक से सो नहीं पाते तो सिर्फ मानसिक रूप से ही परेशान नहीं रहेंगे। बल्कि यह जानलेवा भी हो सकता है। नींद में गड़बड़ी होने का सीधा मतलब है कि आप 150 से ज्यादा बीमारियों को खुद न्यौता दे रहे हैं।
90 हजार वयस्कों पर किया शोध

चीन की थर्ड मिलिट्री मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर से किया गया यह शोध हेल्थ डेटा साइंस पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। शोध में करीब 90 हजार वयस्कों की फिटनेस को ट्रैक किया गया। ट्रैकर की मदद से उनकी नींद के पैटर्न को मापा गया। जिसके बाद करीब सात सालों तक उनके स्वास्थ्य परिणामों को देखा गया।
सोच से अलग थी सच्चाई
शोध में पाया गया कि कई प्रतिभागी जो ये दावा करते थे कि वे आठ घंटे से ज्यादा सोते हैं, असल में वे सिर्फ छह या उससे कम घंटे ही सो रहे थे। वास्तव में ये कई सेहत जोखिमों से जुड़ा है। ऐसे में साफ है कि लोग अक्सर अपनी नींद के बारे में गलत अनुमान लगाते हैं।
हर पैटर्न का किया अध्ययन
शोध का नेतृत्व करने वाले डॉ.किंग चेन ने बताया कि शोध के दौरान बायोबैंक के एक्सेलेरोमीटर का उपयोग कर नींद से जुड़े सभी पहलुओं पर ध्यान दिया। इस ट्रैकर से प्रतिभागियों की नींद की अवधि, समय, पैटर्न और खलल आने जैसी सभी बातों का अध्ययन किया गया। शोधकर्ताओं का दावा है कि बार-बार नींद टूटना, समय पर नींद न आना और अनियमित दिनचर्या से करीब 172 बीमारियां जुड़ी हैं।
इन गंभीर बीमारियों का खतरा
शोध में सामने आया कि जिन लोगों की स्लीप रिदम में गड़बड़ी थीं, उन्हें पार्किंसंस होने का जोखिम 37% तक अधिक था। वहीं ऐसे लोगों को टाइप 2 डायबिटीज होने की आशंका करीब 36% तक रहती है। कमजोर नींद का असर किडनी पर भी पड़ता है और इससे किडनी फेलियर का खतरा 22% तक बढ़ सकता है।
दोगुनी हो सकता है गैंग्रीन का खतरा
इतना ही नहीं जिन लोगों की स्लीप रिदम ठीक नहीं थी, उनमें उम्र से जुड़ी कमजोरियां आने का जोखिम करीब तीन गुणा ज्यादा था। ऐसे लोगों को गैंग्रीन होने की दो गुनी आशंका रहती है। शोधकर्ता का कहना है कि करीब 90 बीमारियों में से 20% से ज्यादा बीमारियों को पर्याप्त नींद से काफी हद तक रोका जा सकता है।
लोगों को बदलना होगा नजरिया

शोधकर्ताओं का कहना है कि आप कितने घंटे सोते हैं, इससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि आप कितनी गहरी और अच्छी नींद लेते हैं। हालांकि अधिकांश लोग 7 से 9 घंटे की नींद पर ही फोकस करते हैं। जबकि 83 बीमारियां ऐसी हैं, जो अनियमित नींद से जुड़ी हैं। खासतौर पर क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, टाइप 2 डायबिटीज और किडनी फेलियर बार-बार नींद टूटने से संबंधित हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि नींद बाधित होने से पुरानी सूजन उभर सकती है। इसका कारण है उच्च श्वेत रक्त कोशिकाओं का बनना और सी-रिएक्टिव प्रोटीन। यह लिवर में बनने वाला एक प्रोटीन है, जो सूजन होने पर रक्त में छोड़ा जाता है। लेकिन पर्याप्त नींद से यह प्रभावित हो सकता है।
