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डायबिटीज कई प्रकार की होती है। हालांकि अधिकांश लोग टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के विषय में ही जानते हैं। लेकिन प्रीडायबिटीज और गर्भकालीन डायबिटीज भी बहुत कॉमन है।
Type 1.5 Diabetes: टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के विषय में तो अधिकांश लोगों ने सुना है। लेकिन अब एक नई डायबिटीज सामने आई है जिसे नाम दिया गया है ‘टाइप 1.5 डायबिटीज’। चिंता की बात यह है कि टाइप 1.5 डायबिटीज के बारे में बहुत कम लोग जाते हैं। यह डायबिटीज काफी खतरनाक है, क्योंकि इसमें टाइप 1 और टाइप 2 दोनों ही डायबिटीज के लक्षण नजर आते हैं। मशहूर अमेरिकी पॉप बैंड एनएसआईएनसी का हिस्सा लांस बास हाल ही में इस डायबिटीज से पीड़ित हुए, जिसके बाद इसे लेकर चर्चाएं शुरू हो गईं। आइए जानते हैं क्या है टाइप 1.5 डायबिटीज और क्या है इसके लक्षण व उपचार।
कई प्रकार की होती है डायबिटीज

डायबिटीज कई प्रकार की होती है। हालांकि अधिकांश लोग टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के विषय में ही जानते हैं। लेकिन प्रीडायबिटीज और गर्भकालीन डायबिटीज भी बहुत कॉमन है। टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून स्थिति है। इस प्रकार की डायबिटीज से पीड़ित लोगों को डेली इंसुलिन लेनी पड़ती है। यह आमतौर पर बच्चों और कम उम्र के लोगों को होती है। वहीं टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल के कारण होती है। इसमें आपके बॉडी सेल्स इंसुलिन रेजिस्टेंस की स्थिति में आ जाते हैं और पेनक्रियाज इसकी पूर्ति नहीं कर पाता है। यह डायबिटीज आमतौर पर युवाओं, अधेड़ उम्र के लोगों और बुजुर्गों में ज्यादा देखी जाती है। हालांकि सही खानपान और लाइफस्टाइल के साथ ही दवाओं और एक्सरसाइज से टाइप 2 डायबिटीज को ठीक किया जा सकता है।
ऐसे अलग है टाइप 1.5 डायबिटीज
टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 1.5 डायबिटीज में काफी समानताएं हैं। इसमें भी इम्यून सिस्टम पेनक्रियाज में इंसुलिन बनाने वाले सेल्स पर हमला करता है। हालांकि टाइप 1.5 डायबिटीज से पीड़ित लोगों को तुरंत इंसुलिन की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि उनमें जटिलताएं काफी धीरे-धीरे विकसित होती हैं। अभी तक हुए अध्ययनों के अनुसार टाइप 1.5 डायबिटीज होने के करीब पांच साल के अंदर मरीज को इंसुलिन लेने की जरूरत पड़ती है। यह डायबिटीज आमतौर पर 30 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को प्रभावित करती है।
ये हैं टाइप 1.5 डायबिटीज के कारण
टाइप 1.5 डायबिटीज होने के कारण चौकाने वाले हैं। इसमें टाइप 1 और टाइप 2 दोनों के कारण शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार टाइप 1 डायबिटीज की तरह टाइप 1.5 डायबिटीज में भी आनुवंशिक और ऑटोइम्यून जोखिम नजर आते हैं। इसी के साथ टाइप 2 डायबिटीज के मुख्य कारण जैसे- बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल, एक्सरसाइज की कमी, मोटापा, गलत खानपान आदि के कारण भी टाइप 1.5 डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ता है।
समय पर पहचानें लक्षण
टाइप 1.5 डायबिटीज के लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग-अलग हो सकते हैं। यही कारण है कि समय पर इससे प्रभावित होने का पता नहीं चल पाता है। हालांकि कुछ लक्षण आम हैं, जो अक्सर सभी में नजर आते हैं। जैसे बहुत ज्यादा प्यास लगना, बार-बार यूरिन आना, नजर कमजोर होना या धुंधला दिखाई देना, हर समय थकान महसूस होना और बिना किसी एक्सरसाइज या डाइट के वजन कम होना।
ये उपचार आएंगे काम
टाइप 1.5 डायबिटीज के सही उपचार के लिए इसकी सही पहचान होना सबसे जरूरी है। इसमें भी आमतौर पर दवाओं के सहारे ही डायबिटीज को कंट्रोल किया जाता है। हालांकि इसमें ब्लड शुगर पर नजर रखना बेहद जरूरी होता है।
