Black Turmeric Benefits: यह तो हम सभी जानते हैं कि हल्दी औषधीय गुणों से भरी होती है। इसके सेवन से न सिर्फ इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है, बल्कि शरीर के कई रोग भी दूर होते हैं। शायद यही कारण है कि हर भारतीय रसोई में हल्दी महत्वपूर्ण मसाला है। इसका नाम लेते ही आपके जेहन में पीले रंग का पाउडर आता है। लेकिन क्या आपको पता है हल्दी सिर्फ पीले ही नहीं काले रंग की भी होती है। जी हां, पीली हल्दी की तरह काली हल्दी भी गुणों का खजाना है। वजन घटाने के लिए इसे रामबाण औषधि माना जाता है। खास बात ये है कि इसे घर में गार्डन में आसानी से उगाया जा सकता है।
काली हल्दी में छिपे हैं कई गुण

काली हल्दी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इसके गुणों के कारण इसे आयुर्वेद में जड़ी बूटियों में शामिल किया गया है। इसमें एंटी फंगल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-अल्सर, एंटी अस्थमा, एनाल्जेसिक, लोकोमोटर डिप्रेसेंट, एंटी कॉन्वेलसेंट, एंटी-अल्सर जैसे गुण होते हैं। इसके साथ ही यह मांसपेशियों को आराम देती है और तनाव भी कम करती है। इसका सबसे खास गुण है यह मोटापे को मोम की तरह पिछला देती है। यानी इसके सेवन से आपका वजन तेजी से कम हो सकता है। तो चलिए जानते हैं कैसे हम अपने छोटे से गार्डन में ही इस उगाकर इसका लाभ उठा सकते हैं।
घर में ऐसे लगाएं काली हल्दी का पौधा

काली हल्दी का पौधा आप आसानी से अपने घर के गार्डन में लगा सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले आपको अच्छी क्वालिटी के बीजों की आवश्यकता होगी। आप इसे किसी भी बीज भंडार या नर्सरी से खरीद सकते हैं। इसके साथ ही काली हल्दी के बीज ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं। काली हल्दी का वैज्ञानिक नाम Curcuma caesia है। आप ब्लैक टरमरिक सीड या इसके वैज्ञानिक नाम दोनों लिखकर इसे सर्च कर सकते हैं। इसका पैकेट आपको सौ से दो सौ रुपए तक की रेंज में मिल जाएगा। ध्यान रखें अच्छी क्वालिटी के बीज से ही आपके पौधे अच्छे उग पाएंगे। इसके साथ ही उचित आकार का गमला, अच्छी मिट्टी, खाद, पानी और गार्डनिंग टूल्स साथ रखना न भूलें।
इन टिप्स का रखें ध्यान

काली हल्दी के बीज तब ही अंकुरित होंगे, जब आप इन्हें अच्छे से रोपेंगे। इसके लिए कुछ बातों को ध्यान रखें।
1. पहले मिट्टी को गमले से बाहर निकालकर उसे धूप में कुछ देर के लिए छोड़ दें। इसमें कोई जंगली घास या कीड़े नहीं होने चाहिए।
2. मिट्टी को धूप लगाने के बाद इसमें दो से तीन कप वर्मीकम्पोस्ट या गोबर की खाद अच्छे से मिलाएं।
3. अब मिट्टी को वापस गमले में भरें। अब इसमें एक से दो इंच की गहराई में हल्दी के बीच दबाएं।
4. जब बीच अच्छे से दबा दें, उसके बाद इसमें आवश्यकतानुसार पानी डाल दें।
5. इस गमले को सीधे सूरज की रोशनी में न रखें। छांव में रखें।
बीज अंकुरित होने के बाद भी दें ध्यान
जब काली हल्दी के बीज अंकुरित होने लगे यानी एक से दो इंच तक हों, तब तक इन्हें छांव में ही रखें। समय-समस पर इसपर नेचुरल कीटनाशक स्प्रे करें। अगर आप कीटनाशक नहीं डालना चाहते तो बेकिंग सोडा में नींबू का रस मिलाकर का छिड़काव करें। पौधों को जरूरत के अनुसार पानी दें। करीब आठ से दस माह में काली हल्दी इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाएगी।