अलग-अलग नाम के साथ अलग-अलग क्षेत्रों में पारंपरिक अंदाज में इस त्योहार को मनाया जाता है। विभिन्न क्षेत्रों में इसे मनाने के पारंपरिक तौर-तरीके बेहद खास होते हैं। जैसे पंजाब में संक्रांत की शाम लकड़ियों के विशाल अलाव जलाए जाते हैं जिसे लोहड़ी का नाम दिया जाता है। मिठाईयां, गन्ना और चावल अलाव में फेंके जाते हैं और आग के चारो ओर दोस्त और रिश्तेदार मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं।
अगले दिन संक्रांत को माघी के रूप में मनाते हैं। इस दिन भांगड़ा डांस होता है जो कि पंजाबियों का प्रसिद्ध डांस है और बेहतरीन पकवान का जायका लेते हैं जिसमें सरसों का साग और मक्के की रोटी को अव्वल दर्जा दिया जाता है। मुझे बचपन के दिन याद हैं जब मैं और मेरे दोस्त इस त्योहार के आने का बेसब्री से इंतजार करते थे ताकि हमें मां के हाथों का मजेदार और लजीज खाना मिलेगा। साथ ही डांस-मस्ती के साथ लोहड़ी को इंजॉय करते थे। सचमुच उन दिनों की बहुत याद आती है।
गुजरात में इस दिन लोग बड़े तादाद में सूर्य की तरफ रंग-बिरंगी पतंग उड़ाकर इस त्योहार को मनाते हैं। उनकी मान्यता है कि यह ईश्वर को प्रसन्न रखने का एक बेहतरीन तरीका है। मकर संक्रांति के पर्व पर कई तरह के मेलों का आयोजन होता है। इनमें कुंभ मेला सबसे बड़े स्तर पर आयोजित होता है जो कि हर 12वें वर्ष पर चार पवित्र स्थानों पर आयोजित किया जाता है।
प्रयाग: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में प्रयाग पर जहां तीन पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है।
हरिद्वार: उत्तर प्रदेश के हरिद्वार में जहां गंगा नदी हिमालय से होती हुई हरिद्वार में प्रवेश करती है
उज्जैन: मध्य प्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे
नासिक: महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी नदी के किनारे
कुंभ का मेला इन चार पवित्र स्थानों पर हर 12वें वर्ष पर आयोजित होता है। हर 12वें वर्ष पर प्रयाग में महाकुंभ मेले का आयोजन होता है जहां देश-विदेशों से लाखों की तादाद में श्रद्धालु जुटते हैं। माघ मेला या छोटा कुंभ मेला हर वर्ष प्रयाग होता है। गंगासागर मेला गंगा के किनारे, तुसू मेला झारखंड और पश्चिम बंगाल में, मकर मेला उड़ीसा में आयोजित होते हैं।
तो आप भी इन त्योहारों को अपने परिवार, मित्र और रिश्तेदारों के साथ मनाकर आनंद लें।
