Glory of Mango
Glory of Mango

Glory of Mango: आम को आम समझ लेने की भूल अगर अब तक करते आए हैं तो जान लीजिये कि आप ईश्वरीय कृपा से वंचित हैं। इसे अतिशयोक्ति समझ लीजिये या फिर एक लेखक का मनोभाव लेकिन अपने निराले स्वाद और कई पौष्टिक गुणों के कारण इसे फलश्रेष्ठ भी कहा जाता है।

आम नहीं खाया तो क्या खाया, यूहीं इसे फलों का राजा नहीं कहते। दुनियाभर में इसकी जितनी किस्में पाई जाती हैं शायद ही किसी दूसरे फल की आपको मिलेंगी।
यह बात शर्तिया तौर पर कही जा सकती है कि आम में जो मिठास है वह किसी और फल में नहीं। जेठ और आषाढ़ के महीने में जब आम पकते हैं तो उसका रसीला और अनोखा स्वाद गले को तर तो
करता ही है, आपके भीतर ऊर्जा का संचार भी करता है। गर्मियों में जब शरीर ज्यादा थक जाता है तो ऐसे में आम में मौजूद कार्बोहाइड्रेट उसे शक्ति प्रदान करता है। आम एक ऐसा फल है जिसकी सुगंध,
पौष्टिकता और स्वाद दूसरे फलों से भिन्न है। आम कई रूपों में प्रयोग होता है, घरों में आम का आचार, आम पना, खटाई, अमचूर, आम रस और आम पापड़ बनाने परंपरा रही है। आम का पेड़ घर के आंगन में लगाना बहुत शुभ माना जाता है, मान्यता है कि इसमें हनुमान जी का वास होता है।
यज्ञ और हवन कभी भी आम के फल, उसके पत्ते और लकड़ी के बिना संपन्न नहीं होते। इसका वैज्ञानिक कारण है कि आम की लकड़ी कम मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करती है। वहीं
इसके पत्ते पेट के स्वास्थ्य के लिए उत्तम माने जाते हैं और आम के फल का तो क्या ही कहना। आम के नाम पर जितने कसीदे पढ़े जाएं उतना कम है, आखिर कौन है जो आम का शैदाई नहीं रहा। शायरी में अपना रूतबा रखने वाले मिर्जा गालिब भी आम के दीवाने थे। आम को लेकर गालिब के कई किस्से मशहूर हैं, खैर यह आगे आपको बताएंगे। पहले समझ लें कि आम पर इतनी
चर्चा क्यों है।

Glory of Mango
mango blossom

गर्मियों में जिस फल पर सबसे ज्यादा टूट होती है वह है- आम। चैत्र और बैशाख के महीने में आम की बौर (फूल) आती है और जेठ व अषाढ़ में यह बाजारों में नजर आने लगते हैं। लेकिन कुछ एक सालों से आम मार्च-अप्रैल में ही नजर आने लगे हैं।
होटल-रेस्तरा आदि में साल भर मैंगो आइसक्रीम, मैंगो पुडिंग, मैंगो फिरनी मिलता है। मैंगो लेवर्ड आइसक्रीम और शेक तो शहरों में हमेशा ही मिलते हैं। जिन्हें मैंगो लेवर से मतलब है उन्हें इस बात से
कोई फर्क नहीं पड़ता कि बिन मौसम आम खाना उन्हें महंगा पड़ सकता है लेकिन जो आम की असल महक से वाकिफ हैं उन्हें पता है कि मई से लेकर जुलाई तक आप आम का मजा ले सकते हैं। इससे पहले आप आम खाएंगे तो बीमार पड़ सकते हैं क्योंकि ठेले पर बिकने वाले पीले-पीले,
गोल-मटोल आम आपका लिवर खराब कर सकते हैं।

poisonous mangoes
poisonous mangoes

हर साल जहरीले आम खाकर लोग खूब बीमार पड़ रहे हैं लेकिन इस पर किसी तरह की जागरूकता उन में दिखाई नहीं देती है। पिछले कुछ सालों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें आम खाने के बाद आंख और मुंह में जलन, मितली व सांस जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं। यद्यपि, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की गाइडलाइन्स के अनुसार आम जैसे फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है क्योंकि यह मानव शरीर के लिए खतरनाक है। वहीं आम पकाने के लिए एथिलीन गैस का इस्तेमाल पूरी तरह सुरक्षित और प्राकृतिक बताया गया है। लेकिन इस गैस का प्रयोग एक बड़ी जगह पर किया जाना चाहिए, छोटी जगहों जैसे घर इत्यादि में इस गैस के इस्तेमाल से आम अच्छी तरह नहीं पक पाता है। उसे खाने से
भी तबियत बिगड़ सकती है।

कैल्शियम कार्बाइड एक तरह का मसाला होता है, यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित नहीं होता है क्योंकि यह एसिटिलीन गैस बनता है जिसमें आर्सेनिक और फास्फोरस जैसे हानिकारक तत्व मौजूद होते हैं। व्यापारियों द्वारा आमों को पकाने के लिए एथिलीन गैस की जगह कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग मुख्य रूप से लागत प्रभावी होने और आसानी से उपलब्ध होने के कारण किया जाता है। यदि आप छोटे रूप से आम का व्यापार करते हैं तो इन्हें कागज में लपेटकर या भूसे में दबाकर रखें। कुछ दिनों में आम पूरी तरह पक जाएगा। जिसका स्वाद उत्तम होगा ही, यह पौष्टिकता
से भरपूर भी होगा।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि कैसे पहचाने आम जहरीला है, इसका आसान सा जवाब है कि असली आम कभी भी हर जगह से एक जैसा नहीं होता है। कहीं वह पीला होगा तो कहीं हरा। सफेदा आम
कहीं से पीला होगा तो कहीं से बादामी। जबकि नकली आम हर जगह से पीला दिखाई देता है और वह बाहर से सख्त दिखता है लेकिन भीतर से पिलपिला और गला हुआ होता है। नकली आम के
छिलके पर आपको झुर्रियां दिखाई देंगी। इसके बावजूद आप यदि न पहचान पाएं कि असली क्या है और नकली क्या तो इसे घर पर साबुन के घोल या पोटेशियम परमैगनेट के सलूशन से अच्छी तरह
धोएं। इन्हें थोड़ी देर पंखे के नीचे सुखाएं और फिर फ्रिज में स्टोर कर लें। इस तरह आप आम के असल स्वाद का आनंद ले पाएंगे।

सही मायनों में आम अमृत है। आम को संस्कृत में आम्रम, रसालम, और अतिसौरभ, जैसे नामों से सुशोभित किया जाता है। आम में विटामिन ए सबसे बड़ी मात्रा में पाया जाता है। इसके अतरिक्त
इसमें विटामिन सीए बी6, बी5 और बी3 पाया जाता है। यह कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में सहायता करता है। आम का फायदा 6 महीने तक रहता है। इसमें
पाया जाने वाला विटामिन ए आपके शरीर में बना रहता है।

gaalib aur aam ke kisse
Tales of Ghalib and Mango

जब जेहन में आम का नाम आता है तो तुरंत मिर्जा गालिब का भी याल आता है, उन्हें आम किस कदर पसंद थे। गालिब और आम के मुताल्लिक बहुत से किस्से हैं जो जमाने में आम हैं। एक रोज मिर्जा के दोस्त हकीम रजीउद्दीन खान साहब जिनको आम पसंद नहीं थे, मिर्जा साहेब के मकान
पर आए। दोनों दोस्त बरामदे में बैठ कर बातें करने लगे। इत्तफाक से एक कुहार अपने गधे लिए सामने से गुजरा। जमीन पर आम के छिलके पड़े थे। गधे ने उनको सूंघा और छोड़कर आगे बढ़ गया। हकीम साहिब ने झट से मिर्जा साहेब से कहा, ‘देखिए! आम ऐसी चीज है जिसे गधा भी नहीं
खाता। तो इस पर मिर्जा गालिब साहेब फौरन बोले, ‘बेशक गधा नहीं खाता।

आभार: (लेख वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल में सामुदायिक चिकित्सा के निदेशक प्रोफेसर और पूर्व प्रमुख डॉ. जुगल किशोर से
बातचीत पर आधारित है)