Youth Looking for Peace
Youth Looking for Peace

Youth Looking for Peace: सोशल मीडिया के नये ट्रेंड हर दिन कुछ नया ला रहे हैं। लेकिन इस भागदौड़ के बीच एक खामोश बदलाव हो रहा है, खासकर जेन जी में।

आजकल युवाओं का मकसद बदल रहा है। अब युवा डॉक्टर या इंजीनियर बनने की रेस में
नहीं हैं, बल्कि अब वे वही करियर चुन रहे हैं जिससे उन्हें सच्चा सुकून और खुशी मिले।

नये दौर के युवा अब सिर्फ अच्छे अंक, महंगी चीजें या अच्छी नौकरी के पीछे नहीं भाग रहे हैं। वे अपनी आंतरिक शांति, खुशी और जीवन के उद्देश्य की खोज में लगे हैं। वे पूछ रहे हैं कि मुझे क्या खुशी देता है? मैं समाज को क्या दे सकता हूं? या मैं ऐसा जीवन कैसे जिऊं जो सच्चा लगे? भौतिक सफलता से हटकर अंदरूनी सुकून की ओर आज के युवा देख चुके हैं कि सिर्फ पैसे या शोहरत से सच्ची खुशी और अंदरूनी शांति नहीं मिलती। उन्होंने अपने माता-पिता और रिश्तेदारों को देखा है, जिनके पास सब कुछ है, लेकिन फिर भी वो परेशान रहते हैं, तनाव में जीते हैं। इस पीढ़ी ने समझ लिया है कि सब कुछ होने का मतलब संतुष्ट होना नहीं होता है। अब सफलता उनके लिए है- सुबह
खुशी से उठना, खुद से जुड़ाव महसूस करना और सुकून से जीना। यहां यह भी समझना चाहिए कि आज के युवा वे महत्वाकांक्षा के विरोधी नहीं हैं। वे बस इस विचार से तंग आ चुके हैं कि सब कुछ
खुशी के बराबर है।

Youth Looking for Peace
You need a purpose, not money

एक 22 साल का लड़का, जिसने बड़ी कंपनी की नौकरी छोड़कर सस्टेनेबल कपड़ों का ब्रांड शुरू किया। एक 17 साल की लड़की जो अपना आर्ट सेंटर खोलना चाहती है। एक 20 साल का युवा जो
जानवरों की देखभाल करता है क्योंकि वहीं उसे सच्चा आनंद मिलता है। आज का युवा मेहनत करने से पीछे नहीं हट रहा, लेकिन अब उनके लिए मेहनत का मतलब है, आत्मा को सुकून देना।

मेडिटेशन ऐप, योगा रिट्रीट्स, सोलो ट्रैवल,माइंडफुलनेस वर्कशॉप, युवाओं को अब ऐसे अनुभवों की तलाश है जो उन्हें भीड़ से अलग करके खुद से जोड़ें। यह असल जिंदगी जीने की चाहत है, भागने की नहीं। 2023 की एक स्टडी के मुताबिक, 2020 के बाद से युवाओं में मेडिटेशन ऐप्स की डाउनलोडिंग 180 प्रतिशत बढ़ी है।

इन युवाओं के लिए आध्यात्मिकता का मतलब किसी धर्म से नहीं, बल्कि एक अच्छा इंसान बनने से है जैसे- दूसरों की मदद करना, सेवा करना और ईमानदारी से जीना। एक 21 साल की लड़की का मानना है कि अब मुझे बेहतर बनने की परवाह नहीं, मुझे बस किसी की मदद करनी है। वे पेड़ लगा रहे हैं, मेंटरिंग कर रहे हैं, छोटे-छोटे नेक काम कर रहे हैं। वे इस दुनिया को थोड़ा बेहतर बनाना चाहते हैं, जैसे- मनु भाकर 2024 पेरिस ओलंपिक में गोल्ड जीतने वाली 22 साल की शूटिंग चैंपियन। टोक्यो ओलंपिक में असफल रहने के बाद उन्होंने भगवद्गीता से प्रेरणा ली और पाया कि सच्चा संतुलन और शांति अंदर से आता है। उन्होंने कहा था कि सिर्फ जीतना जरूरी नहीं, अपने आप से सच्चे रहना जरूरी है।

अब युवाओं में एक और बात आम हो गई है कि उन्हें अब इंस्टाग्राम की चमक-दमक से सच्ची खुशी नहीं मिलती। वो अब दिखावे से नहीं, सच्चाई से जुड़ना चाहते हैं। लोग थक चुके हैं इंस्टाग्राम पर परफेक्ट लाइफ देखकर खुद की तुलना करने से। अब उन्हें समझ आ गया है कि इंस्टाग्राम
की चमक कोई मजिल नहीं, बस एक छलावा है। वो समझ चुके हैं कि सोशल मीडिया पर जो परफेक्ट जिंदगी दिखती है, वो एक जाल है। अब वो अंदर की शांति ढूंढ रहे हैं, कभी माइंडफुलनेस के जरिए, कभी शुक्रगुजारी के जरिए या बस शांति से बैठकर।

अब वो अपनी जिंदगी वैसे बना रहे हैं जैसी उन्हें सच में खुशी देती है। पांच साल पहले ज्यादातर युवा सिर्फ अंक और नौकरी के पीछे भागते थे। लेकिन अब सोच बदल रही है। एक 20 साल के लड़के का मानना है कि उसे बस सीढ़ी चढ़नी नहीं है, वह कुछ ऐसा बनाना चाहता है, जो मायने रखता हो। एक 17 साल की लड़की मेडिटेशन इसलिए करती है, क्योंकि वही वक्त होता है जब वह खुद को असली महसूस करती है। अब वो ये नहीं पूछते कि जीत कैसे हासिल करें, बल्कि अब वो पूछते हैं कि असली जिंदगी कैसे जी जाए। नई सोच, नया रास्ता भले ही आज दुनिया में महामारी, आंदोलन और कई तरह की चिंता बनी हुई हो, लेकिन युवा अब बाहर के शोर से हटकर अंदर झांकना सीख रहे हैं।