The kerala story Review: ‘द केरल स्टोरी’ झकझोर देने वाली तीन लडकियों की कहानी
‘द केरल स्टोरी’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म रिलीज से पहले ही विवादों में घिरी रही है। धर्म परिवर्तन पर आधारित ये कहानी केरल की तीन लडकियों के जीवन में घटी घटनाओं को दर्शाती है। फिल्म में लव जिहाद के एंगल को भी दर्शाने का प्रयास किया गया है। पिछले कुछ समय में प्यार की वजह से धर्म परिवर्तन के बहुत से मामले सामने आए हैं। लेकिन केरल में हुई ये घटनाएं झकझोर देने वाली लगती हैं। हालांकि इसमें भी एक तर्क ये है कि केरल जैसे राज्य में जहां एजूकेशन रेट अच्छा है और पढी लिखी लडकियां भी कैसे अंधविश्वास कर इस जाल में फंस जाती हैं। फिल्म का निर्देशन सुदीप्तो सेन ने किया है। फिल्म में अदा शर्मा, योगिता बिहानी, सोनिया बलानी और सिद्धि इदनानी ने मुख्य किरदार निभाया है।
क्या है कहानी
‘द केरल स्टोरी’ फिल्म की कहानी तीन लडकियों की जिंदगी में धर्म परिवर्तन और किसी बहकावे में आने के बाद जीवन में नर्क जैसी यातनाओं को दर्शाती है। शालिनी (अदा शर्मा) नर्स बनने के लिए केरल के एक नर्सिंग कॉलेज आती है। आसिफा (सोनिया बलानी), निमाह (योगिता बिहानी) और गीतांजली (सिद्धी इदनानी) के साथ शालिनी हॉस्टल में एक ही कमरे में रहती है। आसिफा वहां उन तीनों को धर्म परिवर्तन करा ऐसे जाल में फंसाने की कोशिश करती है जिससे उनकी जिंदगी पूरी तरह बर्बाद हो जाए। आसिफा उन तीनों को उनके धर्म के खिलाफ भडकाती है, नशीली दवाएं देकर उनके साथ गलत काम कर ब्रेन वॉश भी किया जाता है। वहीं दो आइएसआइ एजेंट आसिफा के भाई बन अपने प्यार में इन लडकियों को फंसा धर्म बदलने का प्रयास करते हैं। शालिनी प्रेग्नेंट हो जाती है समाज के डर से वो फातिमा बन एक लडके के साथ देश छोडने का फैसला कर लेती है। फिर केरल से अलग अलग देशों से हाते हुए वो सीरिया पहुंचती है। वहां उसके जैसी बहुत सी लड़कियां आईएसआई के कैंप में सिर्फ इसलिए लाई गईं हैं कि वे आतंकवादियों की शारीरिक जरूरतों को पूरा कर सकें। किसी तरह शालिनी बनी फातिमा इस नर्क से बाहर निकलने का प्रयास करती है और कैसे वहां उसके जैसी अन्य लडकियों की जिंदगी नर्क से बद्तर बन जाती है। ये सब फिल्म में दिखाने का प्रयास किया गया है।
कैसी रही एक्टिंग
अदा शर्मा ने फिल्म में बेहतरीन अभिनय किया है। पहले शालिनी और फिर फातिमा बन उन्होने दोनों किरदारों को बखूबी निभाया है। सोनिया बलानी, योगिता बिहानी और सिद्धि इदनानी ने भी दमदार अभिनय किया है। सिद्धि, कम्युनिस्ट नेता की बेटी के किरदार और प्यार में अस्मिता गंवाने के बाद वाली लड़की के किरदार को बखूबी निभाया है। योगिता बिहानी ने भी एक समझदार लड़की होने के बाद भी अपने साथ धोखे से हुए बलात्कार के पूरे षडयंत्र का पर्दाफाश करने के अभिनय में जान डाल दी है। बात करें सोनिया की तो उन्होंने भी अपने किरदार को बखूबी पर्दे पर उकेरा है।
कैसा रहा निर्देशन
निर्देशक सुदीप्तो सेन ने तथ्यों को आाधार बनाते हुए संतुलित फिल्म बनाने की उम्दा कोशिश की है। फिल्म में कुछ दृश्य दिल दहला देने वाले हैं और असहज भी कर सकते हैं। लेकिन कहानी को प्रभावी बनाने के लिए जरूरी भी लगते हैं। हालांकि कहीं कहीं उनसे कुछ कमियां रह गईं जैसे आसिफा के किरदार को बहुत स्ट्रांग दिखाना और अन्य लडकियों को कुछ हद से ज्यादा भोला दिखाना। ऐसे ही कई जगह फिल्म थोडी अतार्किक लग सकती है फिर भी इस विषय पर फिल्म बनाना आसान नहीं है और सुदीप्तो ने पूरी कोशिश की है फिल्म के साथ न्यान करने की।
क्यों देखें
अगर आपको लव जिहाद और धर्म परिवर्तन जैसे विषयों में रूचि है तो ये फिल्म आपके लिए है। हालांकि फिल्म में कई चीजें अतार्किक लग सकती हैं कि कैसे एक लड़की दूसरे धर्मों से अपने धर्म को उंचा बताती है और दूसरी लडकियां इस बात से सहमत होने लगती हैं। केरल जैसे साक्ष्र राज्य में बडी ही आसानी से ये लडकियां फंस जाती हैं। हालांकि मेकर्स का दावा है कि ये सच्ची घटना पर आधारित है। फिल्म के अंत में कुछ परिवार वालों के इंटरव्यू भी दिख्खए गए हैं। अगर ऐसा हुआ है तो ये फिल्म अगली पीढी को आगाह करने वाली साबित हो सकती है।

