शाहरूख खान से सीखें बच्‍चों के मुश्किल समय में कैसे दें साथ: Shahrukh Khan Parenting Tips
Shahrukh Khan Parenting Tips

Shahrukh Khan Parenting Tips: शाहरूख खान वो नाम जिसे हम बॉलीवुड के बादशाह, एक्टिंग और रोमांस के किंग जैसे न जाने कितने नामों से जानते हैं। शाहरूख के पर्दे पर निभाए किरदारों के अलावा उनकी निजी जिंदगी में रिश्‍तों और उन्‍हें निभाने पर भी अक्‍सर बातें होती रहती हैं। वे अपनी निजी जीवन के हर किरदार को भी बखूबी निभाते हैं फिर चाहे बात हो पत्‍नी के साथ उनकी केमेस्‍ट्री की या दोस्‍तों के साथ उनकी यारी की। किंग खान का उनके बच्‍चों के साथ जो बॉन्‍ड है वो बेहद अनोखा है। जहां पेरेंट्य बढ़ते बच्‍चों से उम्‍मीदें रखते हैं कि बच्‍चे उनकी उम्‍मीदों पर खरे उतरें। शाहरूख अपने बच्‍चों की उम्‍मीदों पर खरे रहना चाहते हैं। आर्यन के ड्रग केस के दौरान भी उन्‍होंने साबित किया की बच्‍चा गलत राह पर चला जाए तो उसे कैसे सही राह दिखानी चाहिए। किंग खान हमेशा बच्‍चों के मुश्किल समय में उनके साथ खडे रहकर उससे बाहर निकालने में विश्‍वास रखते हैं। वैसे तो हर पेरेंट यही करता है लेकिन कई बार पेरेंट्स मुसीबत के वक्‍त ही सब्र खो देते हैं और भले ही बच्‍चों का साथ तो देते हैं लेकिन उनके दिलों पर दूसरों की तरह भला बुरा कहकर चोट भी दे देते हैं। किंग खान से सीखें कैसे बच्‍चों का सब्र के साथ सहायता करें।

सुहाना के लिए नहीं किया कई महीनों तक काम

शाहरूख खान फिल्‍मों और काम में बहुत बिजी रहने की वजह से आर्यन और सुहाना के साथ ज्‍यादा समय नहीं बिता पाए। उन्‍हें लगता था कि बच्‍चे जब बाहर पढ़ने गए तो अगर उन्‍हें किसी चीज के लिए जरूरत पडी तो वे फिल्‍म के बीच से नहीं जा सकते। आर्यन जब बाहर पढ़ने गए तो अगर कोई जरूरत पडी तो गौरी ही जाती थीं। इसलिए जब सुहाना एक्टिंग की पढ़ाई के लिए न्‍यूयॉर्क गईं1 तो शाहरूख ने कुछ समय के लिए काम से ब्रेक ले लिया। उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर उनके फैन पेज पर है जिसमें वे एक इंटव्‍यू में कह रहे हैं कि उन्‍हें लगा कि अगर सुहाना को जरूरत पड़ी और उसने बुलाया तो वे जा सकते हैं। गौरी बिजी होंगी तो वे कहेंगे मैं फ्री हूं मैं जाता हूं। उन्‍होंने कई महीनों तक इंतजार किया कि सुहाना को पता नहीं कब उनकी जरूरत पड़ जाए। मगर जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्‍होंने खुद फोन करके पूछा कि क्‍या मैं अब काम पर वापस जाउं। सुहाना ने कहा आप काम क्‍यों नहीं कर रहे। तो शाहरूख का जवाब था कि तुम्‍हें अगर मेरी जरूरत पडे तो मैं अवेलबल रह सकूं। तो किंग खान हर पिता की तरह अपनी बेटी को मुश्किल आने से पहले ही उसकी मदद के लिए तैयार थे। यही नहीं उन्‍होंने सुहाना के लिए एक डायरी भी बनाई थी। जिसमें उन्‍होंने एक्टिंग से जुड़ी सलाह और बातें लिखीं।

आर्यन के लिए बने ढाल

अगर किसी का बच्‍चा बुरी संगत या बुरे कामों में पड जाता है तो कई पेरेंट्स भी उसे ताने मारते मिल जाएंगे। पता नहीं कहां से सीखा, तुम हमारे बच्‍चे हो ही नहीं सकते, समाज में सबके सामने हमारी नाक कटवा दी वगैरह वगैरह ऐसे ताने बच्‍चों को घर पर ही सुनने को मिलते हैं। लेकिन किंग खान ने समाज और दुनिया की परवाह किए बिना आर्यन का साथ दिया। उन्‍हें यही लग रहा था कि बच्‍चा अंधेरे में फंस गया तो कभी बाहर नहीं आ पाएगा। ड्रग केस में उन्‍होंने न सिर्फ पोलिस से बल्कि हर उस इंसान से मिन्‍न्‍तें की जो उनकी मदद कर सकता था। उनके सपोर्ट का ही नतीजा है जो वो अब अपनी जिंदगी में काम में फोकस कर आगे बढ रहा है। इसलिए अगर बच्‍चों से गलती होती है तो उन्‍हें सही राह दिखाने पर ज्‍यादा ध्‍यान देना चाहिए न कि उनकी गलती पर बार बार बात करनी चाहिए।

अबराम के लिए खुद पर किया काम

हाल ही में शाहरूख खान का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वे कह रहे हैं कि आर्यन और सुहाना ने उनसे एक बार कहा कि उन दोनों ने शाहरूख का स्‍टारडम और सक्‍सेस का माहौल देखा और महसूस किया है। लेकिन अबराम ने नहीं देखा। इस बात का शाहरूख ने सीरियस लिया और कई सालों बाद पठान और जवान जैसी फिल्‍मों के जरिए अपने स्‍टारडम की हवा न सिर्फ देश में बल्कि विदेश तक पहुंचा दी। शाहरूख का मानना है अपने बच्‍चों के लिए वो उदाहरण बनें और उनपर उनके बच्‍चों को नाज हो।

निशा सिंह एक पत्रकार और लेखक हैं, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिलेमें हुआ। दिल्‍ली और जयपुर में सीएनबीसी, टाइस ऑफ इंडिया और दैनिक भास्‍कर जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्‍थानों के साथ काम करने के साथ-साथ लिखने के शौक को हमेशा जिंदा...