Summary: अपनी विभिन्न सोच को आपसी रिश्ते के बीच नहीं लाते नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक
नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक शाह भारतीय सिनेमा की वो जोड़ी हैं, जिन्होंने न केवल अभिनय की दुनिया में अपनी पहचान बनाई बल्कि रिश्तों में संतुलन और सम्मान की मिसाल भी कायम की। अभिनय को लेकर दोनों की सोच अलग है।
Naseeruddin and Ratna Pathak: भारतीय सिनेमा में कुछ ऐसे कलाकार हैं, जिनकी मौजूदगी मात्र से ही पर्दा जीवंत हो उठता है। इनमें सबसे प्रमुख नाम आते हैं नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक शाह के। दोनों न सिर्फ अपनी एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं, बल्कि व्यक्तिगत जीवन में भी एक दूसरे के साथ बने हुए हैं। 1982 में शादी के बंधन में बंधे इस कपल ने चार दशकों से अधिक का सफर तय किया है। उनके दो बेटे इमाद शाह और विवान शाह भी एक्टिंग और म्यूजिक की दुनिया में अपनी पहचान बना रहे हैं। हाल ही एमन एक इंटरव्यू में रत्ना पाठक शाह ने बताया कि अब भी उनकी नसीर साहब से बहस हो जाती है।
एक्टिंग के प्रति दो अलग सोच
हाल ही में एक इंटरव्यू में रत्ना पाठक शाह ने अपने करियर और एक्टिंग को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने यह स्वीकार किया कि एक्टिंग को लेकर उनकी सोच नसीरुद्दीन शाह से अलग है। रत्ना ने बताया कि नसीर साहब का मानना है कि अगर आपको लगता है कि अभिनय किए बिना आप जी नहीं सकते, तभी इस प्रोफेशन में आइए। उनके अनुसार, यह पेशा धैर्य, संघर्ष और त्याग मांगता है।
लेकिन रत्ना पाठक शाह इस दृष्टिकोण से पूरी तरह सहमत नहीं हैं। वह कहती हैं, “मुझे एक्टिंग बेहद पसंद है, मैं पूरी लगन से करती हूं, लेकिन यह मेरी जिंदगी का इकलौता मकसद नहीं है। अगर मुझे एक्टिंग न भी मिले, तो भी मेरी जिंदगी आगे बढ़ सकती है।” रत्ना यह भी कहती हैं कि इस बात पर उनकी नसीर साहब से खूब बहस होती है।
संघर्ष और सीख का रास्ता
नसीरुद्दीन शाह अक्सर अपने एक्टिंग के विद्यार्थियों से कहते हैं कि अगर वे सिर्फ कुछ साल आजमाकर देखना चाहते हैं, तो एक्टिंग उनके लिए नहीं है। उनका मानना है कि यह प्रोफेशन लंबी दौड़ का है, जिसमें संघर्ष, असफलता और धैर्य सबको झेलना पड़ता है। सफलता पाना आसान नहीं है और इसमें सालों लग जाते हैं। रत्ना मानती हैं कि यह बात सही है, लेकिन हर व्यक्ति की जिंदगी और प्राथमिकताएं अलग होती हैं। सभी को एक ही चश्मे से देखना सही नहीं है। उनके अनुसार, कोई भी इंसान एक्टिंग करते हुए भी जीवन के अन्य पहलुओं को महत्व दे सकता है और एक संतुलित रास्ता चुन सकता है।
उपलब्धियों की मिसाल
नसीरुद्दीन शाह को भारतीय सिनेमा का “बेस्ट एक्टर” कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। वह अब तक तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं, “स्पर्श”, “पार” और “इकबाल” के लिए। इतना ही नहीं, वह वेनिस फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड जीतने वाले अकेले भारतीय कलाकार हैं। रत्ना पाठक शाह ने भी अपने करियर में यादगार किरदारों से दर्शकों के दिलों पर छाप छोड़ी है। चाहे ‘सराभाई वर्सेस सराभाई’ की माया साराभाई हो या ‘लिपस्टिक अंडर माय बुरखा’ की उषा, उन्होंने हमेशा अपने किरदारों को जीवंत बनाया है।
रिश्ते और सम्मान की कहानी
इन दोनों एक्टर्स का रिश्ता भारतीय समाज के लिए एक मिसाल है। जहां एक तरफ नसीर एक्टिंग को जीवन का केंद्र मानते हैं, वहीं रत्ना संतुलन और सहजता में विश्वास करती हैं। अलग अलग सोच के बावजूद, दोनों एक दूसरे का सम्मान करते हैं और यही उनके रिश्ते की सबसे बड़ी ताकत है।
