Vishal Bhardwaj smiling in glasses.
vishal bhardwaj

Summary: विशाल भारद्वाज: क्रिकेट से सिनेमा तक का सफर

विशाल भारद्वाज का जन्म 1965 में बिजनौर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। बचपन में वह क्रिकेटर बनना चाहते थे और उत्तर प्रदेश की अंडर-19 टीम तक खेल चुके थे, लेकिन चोट के कारण उनका क्रिकेट करियर रुक गया। इसके बाद उन्होंने संगीत की ओर रुख किया और 1985 में फिल्म यार कसम से शुरुआत की।

Vishal Bhardwaj Life Story: फिल्म इंडस्ट्री के वर्सेटाइल कलाकारों की बात हो और उसमें विशाल भारद्वाज का नाम न आए, ऐसा मुमकिन ही नहीं। उन्होंने बतौर संगीतकार, लेखक, निर्देशक और निर्माता चारों भूमिकाओं में हिंदी सिनेमा को बेहतरीन फिल्में दी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनका सपना शुरू से फिल्मी दुनिया में आने का नहीं था? असल में, वो क्रिकेट के मैदान में नाम कमाना चाहते थे।

विशाल भारद्वाज का जन्म 4 अगस्त 1965 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर में हुआ। बचपन नजीबाबाद और मेरठ में बीता। उनके पिता हिंदी फिल्मों के लिए गीत और कविताएं लिखते थे, लेकिन विशाल का झुकाव खेल की तरफ था। वो उत्तर प्रदेश की अंडर-19 क्रिकेट टीम का हिस्सा भी रह चुके थे। सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन एक प्रैक्टिस सेशन के दौरान अंगूठे में चोट लग गई और उनका क्रिकेट करियर यहीं थम गया।

क्रिकेटर बनने का सपना टूटने के बाद किस्मत ने उनका रास्ता बदलकर उन्हें संगीत की दुनिया में पहुँचा दिया। मात्र 17 साल की उम्र में उन्होंने एक गाना लिखा, जिसे उनके पिता ने मशहूर संगीतकार उषा खन्ना तक पहुँचाया। यह गाना 1985 में आई फिल्म यार कसम में शामिल हुआ और यहीं से उनके संगीत करियर की शुरुआत हो गई।

दिल्ली के हिंदू कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात रेखा भारद्वाज से हुई, जो आगे चलकर उनकी पत्नी बनीं। आज उनका बेटा आसमान भारद्वाज भी फिल्मों में निर्देशन कर रहा है।

1995 में फिल्म अभय: द फीयरलेस से उन्होंने बतौर संगीतकार शुरुआत की, लेकिन असली पहचान 1996 में आई गुलजार की माचिस से मिली। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर आर.डी. बर्मन अवॉर्ड मिला। इसके बाद सत्या और गॉडमदर जैसी फिल्मों के संगीत ने उन्हें इंडस्ट्री में मजबूत जगह दिलाई। गॉडमदर के लिए उन्हें बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी मिला।

2002 में विशाल ने बच्चों के लिए फिल्म मकड़ी बनाई। इसमें शबाना आज़मी ने अहम रोल निभाया। यह फिल्म दर्शकों और आलोचकों दोनों को बहुत पसंद आई और शिकागो फिल्म फेस्टिवल में इसे बेस्ट फिल्म का पुरस्कार भी मिला।

विशाल भारद्वाज की फिल्मों की एक खासियत यह है कि वे शेक्सपियर के नाटकों से गहरी प्रेरणा लेते हैं। 2003 में बनी मकबूल (Macbeth पर आधारित), 2006 की ओमकारा (Othello पर आधारित) और 2014 की हैदर (Hamlet पर आधारित) उनकी मशहूर शेक्सपियर ट्रिलॉजी कहलाती है। इन फिल्मों ने उन्हें भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खास पहचान दिलाई।

दिलचस्प बात ये है कि ओमकारा बनाने का आइडिया उन्हें आमिर खान ने दिया था, जो इस फिल्म में “लंगड़ा त्यागी” का रोल करना भी चाहते थे, लेकिन कुछ कारणों से हिस्सा नहीं बन पाए।

विशाल ने कमीने (2009) और 7 खून माफ (2011) जैसी फिल्मों के जरिए भी अलग-अलग अंदाज़ की कहानियां दर्शकों तक पहुंचाईं, जो उनकी विशिष्ट कहानी कहने की शैली को दर्शाती हैं। इसके अलावा, उन्होंने इश्किया, डेढ़ इश्किया और तलवार जैसी फिल्मों का लेखन और निर्माण भी किया।

गुलजार के साथ उनकी जोड़ी भी यादगार रही। दोनों ने मिलकर ‘दिल तो बच्चा है जी’ जैसे कई मशहूर और दिल छूने वाले गाने दिए।

अब तक विशाल भारद्वाज 9 नेशनल अवॉर्ड जीत चुके हैं और उनके खाते में एक फिल्मफेयर अवॉर्ड भी है। उनकी फिल्म हैदर ने अकेले 5 नेशनल अवॉर्ड जीते। हालांकि फिल्म पर विवाद भी हुआ, लेकिन इसे उनकी बेहतरीन कृतियों में गिना जाता है। ओमकारा और हैदर को अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में भी खूब सराहना मिली।

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