Naseeruddin Shah and Ratna Pathak Love Story: अंधेरे थिएटर के बीच जगमगाती रोशनी, संवादों की गूंज, और पर्दे के पीछे कहीं दिलों का धड़कना। यह वह मंच था, जहां नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक शाह की अनोखी प्रेम कहानी का पहला दृश्य खेला गया। इन दोनों की मुलाकात एक नाटक के दौरान हुई, और उसी नाटक ने उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया।
संयोग से हुई पहली मुलाकात
सालों पहले, नाटक “संभोग से संन्यास तक” की रिहर्सल में, रत्ना की नजर एक शख्स पर पड़ी। चश्मा पहने, दाढ़ी वाले इस व्यक्ति का व्यक्तित्व इतना अलग था कि वह चाहकर भी नजरें नहीं हटा सकीं।
“मैं पुरुषों की दाढ़ी और चश्मे को पसंद करती हूं, और वह दोनों चीजें उनके पास थीं,” रत्ना ने एक बार मुस्कुराते हुए कहा। लेकिन मजेदार बात यह थी कि पहली बार जब उनका परिचय हुआ, तो नसीरुद्दीन शाह का नाम सही से सुनना भी एक चुनौती बन गया। निर्देशक सत्यदेव दुबे ने उनका नाम बताया, लेकिन उनके लहजे और कम दांतों के कारण, रत्ना ने “नसीर” की जगह “शिवेंद्र सिन्हा” सुन लिया।
जब टिमटिमाती लाइट्स के बीच नसीर ने अपना परिचय खुद दिया, तब जाकर रत्ना को एहसास हुआ कि यह नाम ही नहीं, यह रिश्ता भी अलग होने वाला है।
दो दिल, एक सपना
रिहर्सल के दौरान यह रिश्ता गहराने लगा। बिना ज्यादा सवाल, बिना किसी शर्त के, दोनों ने एक-दूसरे को अपनाया।
“हमने ज्यादा नहीं सोचा, न ज्यादा सवाल किए। बस यह महसूस किया कि यह सही लग रहा है, और हमने इसे आजमाने का फैसला किया,“ रत्ना ने एक इंटरव्यू में स्वीकार किया।
उनका यह “बस आजमाने का फैसला” किस्मत का ऐसा जादू साबित हुआ, जिसने उन्हें जीवनभर के लिए बांध दिया।
एक नई जिंदगी, नए मोड़

1982 में, सात साल के लंबे और प्यारे सफर के बाद, नसीर और रत्ना ने शादी कर ली। लेकिन यह सिर्फ उनकी कहानी नहीं थी। नसीर पहले से एक बेटी, हीबा शाह, के पिता थे। रत्ना के लिए यह रिश्ता केवल एक पत्नी का नहीं, बल्कि एक मां का भी था।
नसीर की एक सलाह ने उनके जीवन को सरल बनाया। उन्होंने कहा था, “रिश्तों को नामों में मत बांधो। पति, पत्नी, मां, बेटा… यह सब रिश्तों को तंग कर देते हैं। उन्हें लचीला रहने दो।” यही लचीलापन रत्ना और हीबा के रिश्ते में भी दिखा। उन्होंने इसे मजबूती से अपनाया और एक नई दुनिया की ओर कदम बढ़ाए।
प्रेम की विरासत
आज, नसीरुद्दीन और रत्ना के दो बेटे, इमाद और विवान शाह, इस प्रेम की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी कहानी इस बात का सबूत है कि सच्चा प्यार सिर्फ मिलन नहीं, बल्कि एक दूसरे को समझने और अपनाने का नाम है।
“मंच से शुरू हुई यह कहानी आज भी जिंदगी के हर मंच पर अपनी चमक बिखेर रही है। नसीर और रत्ना की प्रेम दास्तान कला, समर्पण और सच्चे प्यार की वह तस्वीर है, जिसे हर दिल सलाम करता है।”
