Rajesh Khanna… बॉलीवुड के वह सुपर स्टार जिनके फिल्में देखने के लिए उनकी महिला फैंस सज-धज कर सिनेमाघर जाती थीं। उन्हें लगता था कि उनसे शायद वह असल में मुलाकात कर रही हैं, वे फिल्म नहीं उनके जीवन के भी नायक ही थे। बहुत-सी लड़कियां तो उन्हें अपना पति ही मानती थीं। उस दौर में कितनी ही लड़कियां थी जो अपने तकिए के नीचे राजेश खन्ना की फोटो रख सोया करती थीं। मुुुंबई में उनके बंगले के बाहर उनकी बस एक झलक पाने के लिए तांता लगा रहता था।
सुपरस्टार की चमक
इसके बाद न जाने क्या हुआ कि इस सुपरस्टार की चमक कुछ मद्धिम सी पड़ गई और एक अकेलपन के साथ उन्होंने अपने जीवन को काटा। राजेश खन्ना, उनकी स्टारडम शराब की लत और बहुत-से पहलूओं को उनकी बायोपिक में जानने का मौका मिलेगा। यह जीवनी गौतम चिंतामणी ने लिखी है जिसका भूमिका शर्मिला टैगोर ने लिखा है।

पूरा घर एक बगीचा
राजेश खन्ना का एक दौर था जब उनकी बर्थडे पर ट्रकों में फूल आया करते थे। इतने गुलदस्ते होते थे कि बंगले में एक इंच की भी जगह नहीं बचती थी। फिर एक ऐसा समय भी आया जब एक भी गुलदस्ता नहीं आता था। उस वक्त उन्हें अहसास हो गया था कि उनका समय जा चुका है।

ऊपर आका नीचे काका
पुस्तक डार्क स्टार: द लोनलीनैस ऑफ बीइंग राजेश खन्ना से पता चलता है कि उनके घर में शराब की महफिलें शबाब पर होती थीं। जहां उनके आगे-पीछे रहने वाले लोग उनकी तारीफें करते थे। उन्हें काका नाम भी उनके चाहने वालों ने दिया है। जो मानते थे कि ऊपर आका हैं तो नीचे काका हैं।

बिना बॉडी गार्ड्स के नहीं
समय के साथ राजेश खन्ना नहीं बदले। १७ हिट फिल्म देने के बाद वह एक ऐसे सुपरस्टार बन गए थे जो अपने घर से बाहर बिना बॉडी गार्डस के नहीं जा सकते थे। उनकी सफेद रंग की गाड़ी को उनकी महिला फैंस लिपस्टिक से लाल कर दिया करती थीं। यहां तक कि जब उन्होंने डिंपल कपाडिया से शादी की तो बहुत से महिलाओं ने सफेद रंग के वस्त्र धारण कर साबित किया कि अब वे विधवा हो गईं।

लेकिन चूक हो गई
उन्हें कहीं न कहीं अपने फैंस पर भरोसा था कि उनके फैंस उनके रहेंगे। ७० के मध्य में ही एक दौर ऐसा आया जब फिल्मों में एक्शन पसंद किया जाने लगा। वह अपनी छवि से बाहर निकलने को तैयार नहीं हुए। उनकी फिल्में फ्लॉप होने लगीं। उनका सितारा डूबने लगा और अमिताभ बच्चन का सितारा बुलंदी छू गया। उन्हें लगता था कि उनके फैंस वापस आएंगे। अफसोस कि यह हो न सका। वह अपनी तन्हाई में अपने फैंस का इंतजार ही करते रह गए।

उनके ऊपर जीवनी
राजेश खन्ना पर यासिर उसमान की किताब राजेश खन्ना द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज फर्स्ट सुपर स्टार भी आ चुकी है। जहां उनके स्टारडम से संबंधित बहुत से किस्से हैं।

फिल्म आखिरी खत
राजेश खन्ना ने अपने करिअर की शुरूआत साल १९६६ में आई फिल्म आखिरी खत से की थी। इस फिल्म की पटकथा और निर्देशन चेतन आनंद ने किया था। उस समय इस फिल्म को फाइव स्टार रेटिंग मिली थी।

अकेलापन था साथी
राजेश खन्ना का जीवन अकेले मेें बीता। उनकी प्रोफेशनल लाइफ के साथ उनके निजी जीवन में भी बहुत समस्याएं थीं। शादी-शुदा जिंदगी एक तनाव में थी। उनके करीबियों की मानें तो वह अकेले में रोते थे। अपनी फिल्में देखते थे। फिल्म इंडस्ट्री के लोगों के अनुसार वह अपनी सक्सेस को हैंडल नहीं कर पाए। वह अपने मन के राजा थे। सेट पर वे कभी टाइम पर नहीं पहुंचे। निर्माताओं और उनके कोस्टार्स को उनके साथ देर तक काम करने के लिए विवश होना पड़ता था। आज उन्हें इस दुनिया से रुखसत हुए 9 साल बीत चुके हैं। साल २०१२ में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हुआ था। उन्हें बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार के तौर पर आज भी याद किया जाता है।