राजस्थान के तीन दिवसीय (01 से 03 दिसंबर) कुंभलगढ़ महोत्सव (Kumbhalgarh Festival) ने एक बार फिर अंधेरी रातों को रोशनी से जगमग कर दिया। राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने वाले इस महोत्सव का समापन धूमधाम से हुआ ।
तीन दिवसीय महोत्सव की शुरूआत पद्मश्री वासिफुदीन डागर की ध्रुपद गायन से हुई जिन्होंने अपनी गायकी से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं, दूसरे दिन कथक नृत्यांगना देविका और ओडिसी नृय्यांगना किरण सहगल ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। जबकि तीसरे और अंतिम दिन राजस्थान के लोकगायक उस्ताद अनवर खां मांगणियार की समूह प्रस्तुतियों ने राजस्थान की लोग गायकी का शानदार नमूना पेश किया।
दरअसल, कोरोना के कारण पिछले दो सालों से इस काम पर रोक लगा दी गई थी। यह महोत्सव राजस्थान की कार्यशेली से लेकर उनके रीति रिवाजों और मान्यताओं समेत हर पहलू को दर्शाने का काम करता है, जिसमें मुख्य रूप से कला और संस्कृति, लाइट और साउंड शो प्रदर्शनियां शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि कुंभलगढ़ महोत्सव राजा महाराणा कुंभा के सम्मान में आयोजित किया जाता है, जो मेवाड़ के शासक थे। महाराणा कुंभा राजपूतों के सिसोदिया वंश से ताल्लुक रखते थे। वह मेवाड़ के राणा मोकल सिंह और सोभाया देवी के पुत्र थे। उन्होंने भारत के पश्चिमी क्षेत्रों में कला और संस्कृति को प्रोत्साहित करने में अहम योगदान दिया है।
वहीं, राजस्थान पर्यटन विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में रणकपुर जवाई बंद उत्सव 22 दिसंबर को पाली जिले में शुरू होगा और 30 से 31 दिसंबर को माउंट आबू पर शरद उत्सव वर्ष 2021 का अंतिम आधिकारिक पर्यटन कार्यक्रम रहेगा।