25 साल की हुई शाहरुख़ की ये फ़िल्म: Dil Se 25 years
Dil Se 25 years

Dil Se 25 years: कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जिन्हें आप भूल नहीं सकते हैं और फिर जब इनके गाने कहीं से सुनाई देते हैं तो यादें ताज़ा हो जाती हैं। हर दौर में कोई न कोई ऐसी फ़िल्म ज़रूर होती है जो कि उस दौर की याद दिलाती है। इसी तरह शाहरुख़ खान की फ़िल्म ‘दिल से’ एक ऐसी फ़िल्म है जिसे बेहद पसंद किया गया था। ये प्रेम कहानी कभी आपके चेहरे पर मुस्कुराहट लाती है तो कभी आपको रुला देती है। फ़िल्म के संवाद और कलाकारों के भाव ही फ़िल्म को अच्छा बना देते हैं। तो चलिए बेहतर संवादों और दृश्यों से सजी इस फ़िल्म के बारे में जानते हैं जिसे आज 25 साल हो गए हैं।

फ़िल्म के संवाद और दृश्य

फ़िल्म के दृश्य ही आपको फ़िल्म की कहानी को याद रखने के लिए मजबूर कर देते हैं। ये दृश्य हंसाते हों या रुलाते हों लेकिन आपकी यादों से जुड़ जाते हैं। इसी तरह ‘दिल से’ फ़िल्म का दृश्य है,यहां अमर मेघना से उसकी सबसे पसंदीदा चीज़ पूछता है इस पर मेघना कहती है कि “मुझे सबसे अच्छे माँ के हाथ लगते हैं, मंदिर में बैठे कबूतर और कविता” पूरी फ़िल्म मेघना यहाँ कुछ खुल कर बोलती है तो यही बात बोलती है। इस दृश्य में मेघना बगैर किसी डर और झूठ के नज़र आती है। फिर एक दृश्य जो हमें ग़मगीन कर देता है वो है जब अमर , मेघना को गले लगाने की कोशिश करता है। तभी मेघना असहज हो जाती है और अजीब तरह से रोने लगती है, वो बोल नहीं पाती है उसे बचपन में अपने साथ हुए बलात्कार के कारण सदमा लगता है अमर उसे रोने के लिए कहता है ताकि उसे बेहतर लगे। फिर आखिरी में एक दृश्य है जिसमें अमर और मेघना के बीच संवाद हो रहा है जिसमें अमर मेघना को सबकुछ छोड़कर आम ज़िन्दगी को जीने के लिए कहता, जहाँ मेघना अपने लोगों की शाहदत याद करती है और देश के प्रति नफरत व्यक्त करती है वहीँ अमर देश के सैनिकों का पक्ष लेता नज़र आ रहा है।

फ़िल्म के गाने

फ़िल्म के गानों की बात करें तो सारे गाने ही ज़बरदस्त हैं और बहुत हिट थे और आज भी हैं। फिर चाहे वो ‘चल छैय्या हो’ या ‘दिल से’ या फिर ‘ए अजनबी’ ये गाने आज भी ज़बान पर हैं, लोग इन्हें आज भी बेहद पसंद करते हैं। पसंद किये भी क्यों न जाएं इन्हें ए आर रहमान ने जो कंपोज़ किया था। हर गाना सुपर हिट था। फ़िल्म एक ऐसी प्रेम कहानी है जिसमें प्रेम के सात पड़ाव को दर्शाया गया है। इसका गाना ‘सतरंगी रे’ प्रेम के 7 पड़ाव को दर्शाता है। इस खूबसूरत गाने को गुलज़ार साहब ने लिखा है। खूबसूरत गानों से सजी ये फिल्म आज भी बहुत पसंद की जाती है।

सृष्टि मिश्रा, फीचर राइटर हैं , यूं तो लगभग हर विषय पर लिखती हैं लेकिन बॉलीवुड फीचर लेखन उनका प्रिय विषय है। सृष्टि का जन्म उनके ननिहाल फैज़ाबाद में हुआ, पढ़ाई लिखाई दिल्ली में हुई। हिंदी और बांग्ला कहानी और उपन्यास में ख़ास रुचि रखती...