Summary: अगुम्बे: किंग कोबरा का घर और जैव विविधता का केंद्र
अगुम्बे, कर्नाटक का एक गांव, किंग कोबरा का प्रमुख निवास स्थान है और इसे "कोबरा कैपिटल ऑफ इंडिया" कहा जाता है। सांपों को भारतीय संस्कृति में देवता रूप में पूजा जाता है। अगुम्बे की जैव विविधता और वर्षा-प्रधान वातावरण किंग कोबरा सहित कई दुर्लभ प्रजातियों के लिए आदर्श है, जो पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
Cobra Capital of India: भारतीय संस्कृति में सांपों को एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक स्थान प्राप्त है। विशेष रूप से कोबरा सांप का संबंध भारतीय पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। पुरानी धार्मिक ग्रंथों में यह सांप भगवान शिव और विष्णु के साथ जुड़ा हुआ है, जिससे इसे सम्मानित किया जाता है। नाग पंचमी जैसे खास अवसरों पर हिंदू धर्म के अनुयायी सांपों की पूजा करते हैं, और इस दिन को विशेष रूप से कोबरा के सम्मान में मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति में सांपों को न केवल खतरनाक जीव के रूप में, बल्कि देवता के रूप में भी पूजा जाता है।
इसके अलावा, भारत में कुछ ऐसे इलाके भी हैं जहां सांपों की आबादी बहुत अधिक है, और उनमें से एक प्रमुख स्थान है कर्नाटक का अगुम्बे गांव। यह गांव पश्चिमी घाट में स्थित है और प्राकृतिक रूप से बेहद समृद्ध है। यहाँ के घने जंगल, झरने और पहाड़ी इलाके इसे न केवल जीवों के लिए बल्कि पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए भी एक आकर्षक स्थल बनाते हैं। खासकर किंग कोबरा जैसी विशिष्ट प्रजातियाँ इस क्षेत्र में अधिक पाई जाती हैं, और इस वजह से अगुम्बे को “कोबरा कैपिटल ऑफ इंडिया” के नाम से भी जाना जाता है।
अगुम्बे: किंग कोबरा का घर
अगुम्बे का वातावरण विशेष रूप से किंग कोबरा जैसे खतरनाक सांपों के लिए उपयुक्त है। यह इलाका कर्नाटक के पश्चिमी घाट में स्थित है और करीब 2,700 फीट की ऊँचाई पर बसा हुआ है। यहाँ का मौसम भी सांपों की उपस्थिति के लिए अनुकूल है, क्योंकि यहाँ वर्षा का स्तर बहुत अधिक है, जिससे इसे “दक्षिण का चेरापूंजी” भी कहा जाता है। इस गांव में लगभग 600 लोग रहते हैं, और उनका जीवन मुख्यतः जंगल और उसकी जैव विविधता के साथ जुड़ा हुआ है।
किंग कोबरा, जो दुनिया का सबसे लंबा जहरीला सांप है, इस क्षेत्र में खासतौर पर पाया जाता है। यह सांप अपने प्राकृतिक पर्यावरण में अन्य छोटे सांपों की आबादी को नियंत्रित करता है, जिससे इकोसिस्टम में संतुलन बनाए रखता है। किंग कोबरा का यह व्यवहार इसे जैव विविधता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है। यह दूसरे जहरीले सांपों, जैसे कि करैत और छोटे कोबरा को खाता है, और इस प्रकार इनकी संख्या पर नियंत्रण रखता है।
जीव-जंतुओं के लिए एक आदर्श आवास

अगुम्बे का जंगल केवल सांपों के लिए ही नहीं, बल्कि कई अन्य दुर्लभ और विशिष्ट जीव-जंतुओं के लिए भी एक आदर्श आवास है। यहाँ पाए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण जीवों में मालाबार ग्लाइडिंग फ्रॉग, मालाबार हॉर्नबिल और मालाबार पिट वाइपर जैसी प्रजातियाँ शामिल हैं। इसके अलावा, इस इलाके में कई तरह के फंगस भी पाए गए हैं, जिनका नाम अगुम्बे के नाम पर रखा गया है, जैसे मेलिओला अगुम्बेन्सिस, तारेन्ना अगुम्बेन्सिस, और हाइग्रोमास्टर अगुम्बेन्सिस।
इसकी जैव विविधता के चलते, यह क्षेत्र वन्यजीवों के अध्ययन और शोध के लिए भी एक प्रमुख स्थल बन चुका है। यहाँ 2000 में मशहूर सर्प विशेषज्ञ पद्मश्री रोमुलस व्हिटेकर ने “अगुम्बे रेनफॉरेस्ट रिसर्च स्टेशन” की स्थापना की थी, जहाँ पर किंग कोबरा पर रेडियो टेलीमेट्री प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से शोधकर्ता किंग कोबरा की गतिविधियों, उनके व्यवहार और पारिस्थितिकी तंत्र में उनके योगदान को समझने की कोशिश करते हैं।
प्राकृतिक संतुलन में किंग कोबरा की भूमिका
किंग कोबरा के क्षेत्र में मौजूद होने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वह अन्य सांपों की संख्या पर नियंत्रण रखता है। जैसे-जैसे किंग कोबरा छोटे सांपों को अपना शिकार बनाता है, वह पर्यावरण में प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। इस प्रकार, किंग कोबरा केवल एक खतरनाक प्रजाति नहीं है, बल्कि यह पूरी पारिस्थितिकी के लिए आवश्यक है। इसकी उपस्थिति से सांपों के बीच प्रतिस्पर्धा कम होती है, और जैविक विविधता को बढ़ावा मिलता है।

इसकी वजह से, अगुम्बे क्षेत्र जैविक रूप से समृद्ध रहता है, और यहाँ की जैविक विविधता स्थानीय और वैश्विक दोनों ही स्तरों पर महत्व रखती है। किंग कोबरा और अन्य सांपों के अलावा, यहाँ के पौधों, पक्षियों और अन्य जीवों की प्रजातियाँ इस इलाके को प्राकृतिक अध्ययन का आदर्श स्थल बनाती हैं।
