Painted Spurfowl: कर्नाटक की पहाड़ियों में एक ऐसी बत्तख मिली है, जिसे देख खुद वैज्ञानिक भी हैरान हो गए हैं। यह बत्तख दिखने में बेहद अलग और आकर्षक है, क्योंकि इसका रंग सफेद नहीं है, जैसा कि बाकी बत्तखों में देखा जाता है।इसकी त्वचा और पंखों में रंगों की एक अद्वितीय और विविधता भरी छटा है।यह अनोखी बत्तख बेलगावी जिले के रामदुर्ग के आसपास की पहाड़ियों में पाई गई है।
नई नस्ल की ये दुर्लभ रंगीन बत्तख देखने में काफी खूबसूरत है। इसकी पूंछ भी बाकी बत्तखों से बिल्कुल अलग है, जो इसे और भी खास बनाती है। कर्नाटक की पहाड़ियों में मिली यह अनोखी बत्तख न केवल पर्यावरण के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत के वन्यजीवों के संरक्षण में भी एक नया अध्याय जोड़ सकती है। यह दुर्लभ और रंगीन बत्तख शोधकर्ताओं और जैव विविधता प्रेमियों के लिए एक आकर्षक विषय बन गई है, जो इस नई नस्ल के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं।
ये है नई नस्ल की दुर्लभ बत्तख

दरअसल, यह बत्तख एक नई नस्ल की होती है, जिसे “पेंटेड स्पैरोफाउल” के नाम से जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम “गैलोपार्डिक्स लुनुलता” है। यह बत्तख तीतर परिवार से संबंधित है और पहाड़ियों के झाड़ीदार इलाकों में पाई जाती है। यह बत्तख बहुत शर्मीली और संवेदनशील होती है, जो अन्य पक्षियों के मुकाबले काफी तेज दौड़ सकती है, लेकिन उड़ने में सक्षम नहीं होती।
क्या हैं बत्तख की विशेषताएं?

इस बत्तख में नर और मादा के रंग और शारीरिक संरचना में अंतर होता है। नर बत्तख के पंख और पूंछ काले रंग के होते हैं, जिनके किनारों पर सफेद धब्बे होते हैं। उसकी गर्दन और सिर पर हरे रंग की आभा होती है। इसके अलावा, नर के पैरों पर चार कंघी जैसी दांतनुमा संरचनाएं होती हैं। वहीं, मादा बत्तख का रंग ज्यादा फीका होता है और उसके शरीर पर सफेद धब्बे नहीं होते। उसकी चोंच और पैर गहरे भूरे रंग के होते हैं और उसके पैरों पर एक या दो कंघी जैसी संरचनाएं होती हैं।
यह अनोखी बत्तख पहले कभी वैज्ञानिकों की नजरों से नहीं गुजरी थी, लेकिन कर्नाटक के केपीटीसीएल अधिकारी शशिकांत कम्बन्नवर ने इसे पहली बार पहचाना। शशिकांत ने मकड़ियों पर अध्ययन करते समय इस बत्तख को देखा और इस नस्ल के बारे में जानकारी दी। शोधकर्ता शशिकांत के अनुसार, यह बत्तख पहाड़ी इलाकों में रहकर जीवनयापन करती है और इसके अस्तित्व के बारे में काफी कम जानकारी थी।
इस तरह होता है बत्तख पालन

बेलगावी क्षेत्र में बत्तख पालन एक लाभदायक व्यवसाय है। यहां की जलवायु और पानी की उपलब्धता इस व्यवसाय के लिए अनुकूल है, जिससे बत्तख पालन के लिए यहां का वातावरण बहुत ही उपयुक्त है। इस क्षेत्र में बत्तखें नदियों, तालाबों, झीलों और दलदलों के पास पाई जाती हैं, जो उनके जीवन के लिए आदर्श स्थान होते हैं। बत्तखों को पानी और जमीन, दोनों पर पाला जा सकता है, जिससे इनके पालन में बहुत लाभ होता है।
क्या है वैज्ञानिकों का मानना?
केवल कर्नाटक के लिए नहीं बल्कि यह बत्तख पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण खोज है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बत्तख भविष्य में शोध के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है, क्योंकि इसके शरीर और रंग के बारे में अभी तक बहुत कम जानकारी थी। इसके अलावा, यह बत्तख कर्नाटक के जैव विविधता के संरक्षण और पहाड़ी इलाकों के पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकती है।
