Curb Bad Language: टीनेज उम्र का वह पड़ाव है जिसमें बच्चा अच्छी और बुरी कई तरह की बातें सीखता और समझता है। इस उम्र में बच्चे न पूरी तरह से बड़े होते हैं और न ही उनमें बचपना होता है। इसलिए उन्हें जो भी चीजें आकर्षित करती हैं या कूल लगती हैं वह उसे फॉलो करने लगते हैं। आजकल बच्चे दोस्तों और माता-पिता से बात करते वक्त ऐसी लैंग्वेज या भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं जो सुनने में गलत और भद्दी लगती है। हालांकि टीनेजर्स इस फाउल लैंग्वेज को फंकी और कूल लाइफस्टाइल का हिस्सा मानते हैं। आखिर टीनेजर्स फाउल लैंग्वेज क्यों अपना रहे हैं और पेरेंट्स उनकी इस आदत पर कैसे लगाम लगा सकते हैं चलिए जानते हैं इसके बारे में।
क्या है फाउल लैंग्वेज

आजकल टीनेजर्स अपने दोस्तों से बात करते समय और सोशल मीडिया पोस्ट पर फाउल लैंग्वेज का उपयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं। वह इस प्रकार की लैंग्वेज को कूल मानते हैं। फाउल लैंग्वेज एक ऐसी भाषा है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति को नीचा दिखाने, धार्मिक विश्वासों को ठेस पहुंचाने और किसी का अपमान करने के लिए किया जाता है। इसमें गालियां, कसम और अपशब्द शामिल हैं।
बच्चे क्यों करते हैं फाउल लैंग्वेज का प्रयोग
जैसे-जैसे बच्चा टीनेज में कदम रखता है वह कई बदलावों का अनुभव करता है। जिसमें मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक बदलाव शामिल हैं। इस उम्र में बच्चा अपनी बात को मनवाने और खुद को सही साबित करने के चक्कर में फाउल लैंग्वेज का उपयोग करता है। अपशब्दों और गालियां देने से वह दूसरों पर अपना प्रभाव स्थापित करने की कोशिश करता है। हालांकि एक उम्र के बाद बच्चा इस प्रकार की भाषा का उपयोग करना बंद कर देता है लेकिन यदि बच्चों को इसकी आदत पड़ जाए तो वह ताउम्र इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
फाउल लैंग्वेज इस्तेमाल के कारण
दूसरों की नकल: टीनेज में बच्चे अक्सर वह काम करते हैं जो उन्हें नया और आकर्षक लगता है। वह दूसरों की भाषा, ड्रेसिंग स्टाइल और बात करने के तरीके को अपनाना चाहते हैं। वह दोस्तों की हर छोटी-बड़ी चीजों की नकल करते हैं।
ध्यान आकर्षित करना: टीनेज में बच्चे बेहद नादान होते हैं वह पेरेंट्स और दोस्तों का ध्यान आकर्षित करने के लिए इस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल करते हैं।
कूल लुक: आजकल हर बच्चा अपने आप को कूल मानता है। कूल लुक के लिए वह केवल अपनी ड्रेसिंग सेंस को ही नहीं बल्कि भाषा को भी बदल सकता है।
सोशल मीडिया: सोशल मीडिया और टीवी की वजह से बच्चे इस प्रकार की अभद्र भाषा तेजी से सीख रहे हैं। वह अपनी पोस्ट में भी फाउल लैंग्वेज का उपयोग करते हैं।
पेरेंट्स ऐसे लगाएं बच्चों पर लगाम

– पेरेंट्स सबसे पहले इस बात का पता लगाएं कि बच्चा इस प्रकार की भाषा का उपयोग कब करता है। अक्सर बच्चे दुख में, गुस्से में या उत्तेजित होते समय अभद्र भाषा का उपयोग करते हैं।
– यदि बच्चे की संगती खराब है तो उसे बदलें। बच्चों को अच्छे और बुरे दोस्तों के बीच का अंतर करना सिखाएं।
– आप शांति से बैठकर बच्चे की परेशानी सुनें और उसका हल निकालने का प्रयास करें।
– बच्चे को उसकी पहली गलती के वक्त ही टोक दें। उसे दूसरा मौका न दें।
– बच्चे को डांटने के बजाय सही और गलत का अंतर बताएं।
पेरेंट्स रखें इन बातों का ध्यान
बच्चा अक्सर पेरेंट्स की आदतों और व्यवहार को फॉलो करता है। यदि पेरेंट्स हर बात पर गाली गलौच करते हैं या गलत भाषा का इस्तेमाल करते हैं तो बच्चा आसानी से इसे अपना सकता है। इसलिए पेरेंट्स स्वयं भी फाउल लैंग्वेज का इस्तेमाल करने से बचें। साथ ही टीनेज में बच्चों के साथ सख्ती न बरतें इससे बच्चा गलत संगती का शिकार हो सकता है।
