praarthana,dada dadi ki kahani
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Dada dadi ki kahani : एक लोमड़ी एक दिन कुछ बत्तख़ों के बाड़े में घुस गई। उसने झपटकर एक बत्तख़ को पकड़ लिया।

तभी वह बत्तख़ बोली, ‘लोमड़ी मौसी, आप बड़ी और ताकतवर हैं। हमें पता है कि अब हम आपसे बच नहीं पाएँगी। लेकिन क्या हमें खाने से पहले आप हमारी एक अंतिम इच्छा पूरी करने देंगी?’

लोमड़ी अपनी तारीफ़ सुनकर बहुत खुश हुई। वह बोली, ‘ठीक है, लेकिन तुम्हारी अंतिम इच्छा क्या है?’

बत्तख़ ने कहा, ‘हम सब मिलकर ईश्वर से प्रार्थना करना चाहती हैं।’

लोमड़ी ने उन्हें इजाजत दे दी।

तभी एक बत्तख़ ने ऊँची आवाज़ में चिल्लाना शुरू किया, जैसे कि वह पूरी भक्ति के साथ ईश्वर को याद कर रही हो।

जैसे ही वह चुप हुई, दूसरी बत्तख़ ने चिल्लाना शुरू कर दिया। उसके चुप होते ही तीसरी चिल्लाने लगी। फिर चौथी, फिर पाँचवीं। इस तरह एक के बाद एक बत्तख चीख-चीखकर गाने लगी।

इन तीखी आवाजों को लोमड़ी सहन नहीं कर पाई। उसको तेज़ सिरदर्द होने लगा।

आख़िर वह परेशान होकर वहाँ से भाग गई। इस तरह छोटी-छोटी बत्तख़ों ने समझदारी से काम करके अपनी जान बचा ली।

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