Celina Jaitly with son
Celina Jaitly with son

Summary : पिता की मौत और बेटे को खोने का दोहरा सदमा झेला सेलिना ने

बॉलीवुड अभिनेत्री और पूर्व मिस इंडिया सेलिना जेटली ने इंस्टाग्राम पर अपने बेटे शमशेर को खोने की दर्दभरी कहानी साझा की। गर्भावस्था के दौरान हुए इस त्रासद अनुभव ने उन्हें और उनके परिवार को तोड़ा भी, लेकिन साथ ही उन्हें अंदर से और मज़बूत भी बनाया।

Celina Jaitly News: बॉलीवुड अभिनेत्री और पूर्व मिस इंडिया सेलिना जेटली ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर एक बेहद भावुक पोस्ट साझा की। इसमें उन्होंने अपनी जिंदगी के उस कठिन दौर को याद किया, जब वे मां बनने की खुशी के साथ-साथ अपने बेटे शमशेर को खोने का गम झेल रही थीं। बता दें कि 2011 में उन्होंने ऑस्ट्रियन होटलियर पीटर हाग से शादी की। इस कपल को दो बार जुड़वां बेटे कुदरत ने नवाजे। 2012 में विंस्टन और विराज, और 2017 में आर्थर और शमशेर का जन्म हुआ। लेकिन उसी साल शमशेर को खोने का गम परिवार को झेलना पड़ा।

सेलिना बताती हैं कि यह दर्द भरी यात्रा उनके पिता की मृत्यु के कुछ ही महीनों बाद शुरू हुई। गर्भावस्था के छठे महीने में उन्होंने अपने पिता को खो दिया था और उसी समय पता चला कि उनके बेटे शमशेर को एक गंभीर जन्मजात हृदय बीमारी है, जिसे हायपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम कहा जाता है। इस स्थिति में बच्चे के दिल का बायां हिस्सा ठीक से विकसित नहीं होता और खून को पंप करने की क्षमता नहीं रहती।

सेलिना लिखती हैं, “इस पूरी प्रोसेस में सबसे कठिन बात यह थी कि गर्भावस्था के दौरान मैं अपने बच्चे के लिए कुछ कर ही नहीं सकती थी। हमने दुबई के डॉक्टरों से राय ली, फिर लंदन गए, भारत आए… लेकिन कहीं से भी कोई उम्मीद नहीं मिली। न कोई दवा थी, न कोई सर्जरी, न कोई उपाय। हम बस दर्द और प्रार्थना में यह पूरी गर्भावस्था काटते रहे।”

सेलिना आगे बताती हैं, “मैंने इस प्रेग्नेंसी के लिए दो साल पहले से तैयारी की थी। एक्सरसाइज की, शरीर को डिटॉक्स किया, हर विटामिन लिया ताकि मेरा शरीर स्वस्थ रहे और बच्चों को सुरक्षित रख पाए। भगवान ने हमें एक बार फिर जुड़वां बेटों का आशीर्वाद दिया… लेकिन नतीजा मेरी कल्पना से बिल्कुल अलग निकला। काश मैं उसे बचा पाती… लेकिन मैं नहीं कर पाई।”

Celina Jaitly with Two sons
Celina Jaitly with Two sons

शमशेर की मृत्यु ने सेलिना और उनके परिवार को तोड़कर रख दिया, लेकिन इसी बीच उन्हें यह भी लगा कि भगवान ने उन्हें पूरी तरह अकेला नहीं छोड़ा। उनके साथ शमशेर का जुड़वां भाई आर्थर था, जो आज जिंदगी से भरपूर है। वह लिखती हैं, “मैं अक्सर सोचती हूं कि अगर शमशेर बच जाता तो जिंदगी कैसी होती। जब मैं अपने बड़े जुड़वां बेटे विंस्टन और विराज को साथ खेलते देखती हूं, तो मुझे लगता है कि आर्थर अपने भाई को बहुत मिस करता है। शमशेर की याद उसके जीवन में हमेशा बनी रहती है। लेकिन हमारे बाकी बच्चे उसे प्यार और सहारा देने की पूरी कोशिश करते हैं।”

सेलिना मानती हैं कि जन्मजात बीमारियां किसी भी परिवार की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल देती हैं। यह दर्द हर दिन उनके साथ रहता है। लेकिन उसी दर्द ने उन्हें अंदर से मजबूत भी बनाया। वह कहती हैं, “ये चुनौतियां परिवारों को तोड़ भी सकती हैं, लेकिन वे भीतर छुपी ताकत को भी उजागर करती हैं। हर कहानी, चाहे वह किसी बच्चे की जिंदगी बचाने की हो या फिर उसके चले जाने की, यह दिखाती है कि एक मां-पिता का प्यार कितना गहरा होता है।”

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...