Darlings Movie Review:
Movie Review of Darlings

Darlings Movie Review: आलिया भट्ट अपनी एक्टिंग से किरदार में जान डालने में माहिर हैं। कुछ अलग किरदारों को निभाकर वे पहले भी अपनी अदाकारी का लोहा मनवा चुकी हैं। लेकिन इस बार बतौर निर्माता भी ‘डार्लिंग्स’ से जुड़ी हैं। उन्होंने शाहरुख खान की रेड चिलीज के साथ मिलकर फिल्म का निर्माण किया है। पहले इस फिल्म को सिनेमा में रिलीज किया जाना था लेकिन किसी कारणवश इसे ओटीटी पर रिलीज किया गया। फिल्म में शेफाली शाह, विजय वर्मा और रोशन मैथ्यू जैसे मंझे हुए कलाकार हैं। रिलीज से एक दिन पहले सोशल मीडिया पर #BoycottAliaBhatt ट्रेंड होने लगा था। दरअसल, नेटिजन्स का कहना है कि आलिया की फिल्म में पुरुषों के प्रति घरेलू हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है। ‘डार्लिंग्‍स’ ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। आइए आपको बताते हैं फिल्‍म के बारे में।

ऐक्टर:

आलिया भट्ट,विजय वर्मा, शेफाली शाह, रोशन मैथ्‍यू

डायरेक्टर : जसमीत रीन

श्रेणी: Hindi, Comedy, Drama, Thriller

अवधि: 2 Hrs 13 Min

‘डार्लिंग्‍स’ की कहानी

ये कहानी है बदरू की जो अपने पति हमजा से बेइंतहा मोहब्‍बत करती है। फिल्‍म मुंबई पर आधारित है। बदरू के किरदार में आलिया भट्ट हैं और हमजा के रोल में विजय वर्मा। बदरू का प्‍यार इस कदर अंधा है कि वह रिश्‍ते में कई चीजों को अनदेखा कर रही है। बदरू के पति हमजा को शराब पीने की लत है। वह नशे की हालत में बदरू को बुरी तरह पीटता है। बेवजह गुस्सा करता है। लेकिन फिर अगली ही सुबह वह बदरू से माफी मांगता है उसे मनाता है और बदरू एक अच्‍छी पत्‍नी की तरह उसके लिए फिर से काम करने लगती है। बदरू भी उसे खुशी-खुशी माफ कर देती है। यह दोनों के लिए हर दिन का किस्‍सा सा बन गया है। बदरू खुद को याद दिलाती है कि आखिर उसने लव मैरिज की है और रिश्‍ता निभाना है। उसका तर्क यह है कि वैवाहिक रिश्‍ते में इस तरह का दुर्व्यवहार आम है। वह खुद को यही भरोसा दिलाती रहती है।

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उसकी मां उसे कई मौकों पर लगातार यह बताती है कि उसके साथ गलत हो रहा है और उसे इन बातों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। बदरू को लगता है की चीजें समय के साथ ठीक हो जाएंगी। लेकिन ऐसा होता नहीं है। समय के साथ उस पर ज्‍यादती बढ़ती जाती है। फिर एक वक्‍त ऐसा आता है जब हालात उसके हाथ से बाहर हो जाते हैं। फिल्‍म में आलिया भट्ट की मां का किरदार शेफाली शाह निभा रही हैं।

कैसी है एक्टिंग?

हमेशा की तरह आलिया भट्ट की एक्टिंग शानदार है। फिल्म को मुंबई की पृष्‍ठीभूमि में बनाया गया है। आलिया ने इस किरदार को बखूबी निभाया है। आलिया की एक्टिंग देखकर आपको एक बार फिर से लगता है कि वो फिल्म इंडस्ट्री की बेहरतरीन हीरोइनों में से एक है। शेफाली शाह ने भी अपने किरदार को जबरदस्त तरीके से निभाया है। विजय वर्मा ने ग्रे शेड के किरदार को हमजा के रूप में पर्दे पर ऐसा निभाया कि मानो वो खुद असल में हमजा ही हैं। फिल्म में सभी की एक्टिंग अव्वल दर्जे की है। फिल्म का म्यूजिक विशाल भारद्वाज ने दिया है और म्यूजिक ठीक-ठाक ही है। हालांकि अरिजीत सिंह की आवाज में लाइलाज गाना काफी अच्छा लग रहा है। 

कहां चूक गई फिल्‍म?

फिल्म को डार्क कॉमेडी कहा गया है लेकिन कॉमेडी इसमें काफी कम है। फिल्म की स्क्रीनप्ले में दिक्कत है। फिल्म आपको बांधती तो है लेकिन सिर्फ आलिया विजय और शेफाली की एक्टिंग से। उनके किरदारों में आपको जान नजर आती है लेकिन कहानी कहने का तरीका कमजोर लगता है।

फिल्म का निर्देशन जसमीत के रीन ने किया है। ये उनकी पहली फिल्म है। इसकी कहानी भी जसमीत ने परवेज शेख के साथ मिलकर लिखी है। उन्होंने निर्देशन ठीक-ठाक ही किया है। लेकिन कहानी को दर्शकों तक असरदार तरीके से पहुंचाने में सफल नहीं हो सके। स्क्रीनप्ले पर मेहनत होती तो फिल्म में और मजा आता।

फिल्‍म से जुड़ा विवाद

रिलीज से एक दिन पहले सोशल मीडिया पर #BoycottAliaBhatt के जरिए फिल्‍म का विरोध शुरू हो गया था। नेटिजन्स सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इस फिल्म को पुरुषों के प्रति घरेलू हिंसा को बढ़ावा देने वाली बता रहे हैं।

इसकी वजह है फिल्‍म की कहानी में दिखाया गया बदला। फिल्‍म में हमजा यानि आलिया के पति उसे छोड़कर चले जाते हैं। वे कहते हैं ”मैं अपनी बीवी से बेपनाह मोहब्बत करता हूं, लेकिन उसे छोड़कर जा रहा हूं।” इसके बाद आलिया नजर आती हैं, वे अपने पति का इतंजार करती हैं। उनका यह इंतजार, इंतजार ही रहता है। हमजा घर नहीं आते। इसकी रिपोर्ट वह पुलिस में करती हैं।

हमजा के मिलने के बाद वह उसे बंधक बना कर खूब पीटती हैं और वह खुद को घरेलू हिंसा की शिकार बताती हैं। यही वजह है कि सोशल मीडिया यूजर्स को लग रहा कि इसमें आलिया पुरुषों के साथ घरेलू हिंसा का सपोर्ट कर रही हैं। इसके चलते उन्हें ट्रोल कर रहे हैं और साथ ही बायकॉट करने की भी मांग कर रहे हैं। 

रिश्‍तों में अकसर ऐसा होता है कि एक पार्टनर दूसरे को थोड़ा बहुत डॉमिनेट करता है या फिर कई बार हम प्‍यार में अपने पार्टनर के लिए बहुत कुछ खुशी-खुशी करते हैं। तो इस फिल्‍म को जेंडर बायस्‍ड न करके अगर सिर्फ डोमेस्टिक वॉयलेंस के एंगल से देंखें तो कहानी अच्‍छी लगेगी। वॉयलेंस मेल के साथ हो या फीमेल के साथ बुरा ही है। बस बात इतनी सी है रिश्‍तों में कहां तक सहना है ये हर किसी की अपनी चॉइस होती है। मगर खुद के लिए जीना भी जरूरी है।

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