Bollywood songs : इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं… इन आंखों से बाब स्ता अफसाने हजारों हैं। साल 1981 की फिल्म उमराव जान में रेखा पर फिल्माया गया यह गाना आंखों की खूबसूरती को बेहद ही बेहतरीन तरीके से बयां करता है। आंखें भले ही हमारे शरीर का एक छोटा सा हिस्सा है, लेकिन इसके कारण इस बड़ी दुनिया को हम देख पाते हैं।
वहीं दूसरी ओर, काली और बड़ी-बड़ी आंखों की तुलना स्त्री सौंदर्य से की गई है। शायद यही कारण है कि आंखें और उसके आकर्षण हमेशा से ही हिंदी गीतों का एक प्रमुख हिस्सा रही हैं। बॉलीवुड में हमेशा से ऐसे गाने बनते आ रहे हैं जो महिलाओं की खूबसूरत आंखों के बारे में एक कहानी बताते हैं, और वे कितने प्रभावशाली हो सकते हैं, इसे भी दर्शाते हैं। यूं ता आंखों और उसकी खूबसूरती पर सैकड़ों गाने अब तक बन चुके हैं। लेकिन आज इस लेख में हम कुछ ऐसे पॉपुलर बॉलीवुड सॉन्गस के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने हर दिल पर राज किया-
Bollywood songs : 1950 का दशक – “आंखों में क्या जी“
साल 1957 में फिल्म आई थी, नौ दो ग्यारह और इस फिल्म में देव आनंद साहब और कल्पना कार्तिक पर फिल्माया गया यह गीत आज भी हर वर्ग के लोगों द्वारा पसंद किया जाता है। फिल्म चाहे किसी ने देखी हो या ना देखी, लेकिन यह गाना उस दौर में काफी फेमस हुआ था। इतना ही नहीं, आज भी लोग इसे गुनगुनाना पसंद करते हैं। ब्लैक एंड व्हाइट के दौर में एस.डी. बर्मन के गीत और आशा भोंसले और किशोर कुमार की आवाज ने दर्शकों पर अपना जादू बिखेर दिया था। बता दें कि यह कल्पना कार्तिक की आखिरी फिल्म भी थी। इस गीत में कल्पना कार्तिक और देव आनंद के बीच की खट्टी-मीठी बातों का आनंद सुनने को मिलता है। जहां अदाकारा देव आनंद से पूछती हैं कि आँखों में क्या जी? जिसके जवाब में देव आनंद साहब कहते हैं- रूपहला बादल।
1960 का दशक- “लिखा है तेरी आंखों में“
यह एसडी बर्मन का युग था और उन्होंने सबसे बेहतरीन धुनों की रचना की, जिसकी कोई भी कल्पना कर सकता है। वहीं, अगर आंखों के इर्दगिर्द घूमने वाले गीत की बात हो तो उस दौर में मजरूह सुल्तानपुरी से बेहतर इसे और कोई नहीं लिख सकता था। इस गाने को लता मंगेशकर और किशोर कुमार ने अपनी आवाज दी थी। साल 1965 में फिल्म तीन देवियां का पूरा साउंडट्रैक रिलीज़ होने पर सुपरहिट था और आज भी हिट है। गीत को देव आनंद और नंदा पर फिल्माया गया था। नंदा के स्टाइलिश सूट उन दिनों ट्रेंडसेटर बन गए थे।
1970 का दशक-“गुलाबी आंखें जो तेरी देखी“
अगर किसी से यह पूछा जाए कि आंखों की सुंदरता की सराहना करने वाले बेहतरीन गीत कौन सा है तो शायद लोगों के मुंह से यही बोल निकल पड़ें। आज भी जब किसी महिला की आंखों की सुंदरता की तारीफ करनी होती है तो लोग अक्सर इस गीत को गुनगुनाते हैं। साल 1970 में रिलीज हुई फिल्म द ट्रेन का यह गाना गुलाबी आंखें जो तेरी देखी एक आइॅकोनिक सॉन्ग है। जिसका कई बार रिमिक्स भी किया जा चुका है। राजेश खन्ना और नंदा पर फिल्माया गया यह गीत अपनी तरह का पहला ऐसा सॉन्ग था, जिसने हर किसी को मदहोश कर दिया था। इस गीत के गीतकार थे आनंद बख्शी, जबकि इसे संगीत आरडी बर्मन साहब ने दिया था। वहीं, मोहम्मद रफी जी ने इसे गाया था।
1980 का दशक – “दो नैना और एक कहानी“
आंखें सिर्फ एक स्त्री के सौंदर्य का ही बखान नहीं हैं, बल्कि यह हर इमोशन को भी दर्शाती है और यही इस गाने की थीम थी। यह फिल्म मासूम का साउंडट्रैक है, एक माँ द्वारा अपने बच्चों के लिए गुनगुनाती लोरी की तरह तैयार किया गया है। इसे बंगाल की गायिका आरती मुखर्जी ने बेहद ही खूबसूरती से गाया था। गुलजार के बोल यकीनन बेहद इमोशनल हैं। वहीं गीत का संगीत आरडी बर्मन द्वारा तैयार किया गया था।
1990 का दशक – “आंखों की गुस्ताखियां“
आंखों के लिए सबसे अच्छे बॉलीवुड गाने कौन से हैं? इस पर बात की जाए तो इस लिस्ट में साल 1999 में आई फिल्म हम दिल दे चुके सनम के गाने आंखों की गुस्ताखियां को जरूर शामिल किया जाएगा। यह अब तक से सबसे पॉपुलर आंखों के सॉन्ग में से एक है। इस गीत को एक मैरिज सीक्वेंस में फिल्माया गया था और इस गीत के जरिए सच में आंखों की गुस्ताखियों के बारे में जाना जा सकता है। बता दें कि यह गीत इतना पॉपुलर रहा था कि इस्माइल दरबार ने इस गीत सहित हम दिल दे चुके सनम में अन्य संगीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था। इस गाने को कविता कृष्णमूर्ति और कुमार शानू ने अपनी आवाज दी थी।
2000 का दशक – “आंखें खुली हो या हो बंद“
2000 में जब एक नई सदी की शुरुआत हो रही थी तो आंखों की सराहना के लिए भी एक नया अंदाज अपनाया गया था। फिल्म मोहब्बतें के गीत आंखें खुली हो या बंद में गीतकार अपने प्रिय को खुली या बंद आंखों से देखने की कल्पना करना है। प्यार और रोमांस में आंखें एक अहम भूमिका निभाती हैं, जिसे इस गाने की हुक लाइन के जरिए साफतौर पर महसूस किया जा सकता है। जतिन-ललित द्वारा रचित और आनंद बख्शी जी द्वारा लिखा गया यह ट्रैक 21वीं सदी के शुरुआती वर्षों में सबसे ट्रेंडी सॉन्ग था।
2010 का दशक – “नैना“
साल 2016 में आई थी फिल्म दंगल, जो एक रियल लाइफ स्टोरी पर बेस्ड थी। इस फिल्म ने लोगों को लड़कियों के प्रति एक अलग तरह से सोचने का नजरिया दिया था। साथ ही सपनों को पूरा करने से पहले उन्हें आंखों से देखना जरूरी होता है और इसी के बारे में बताता है यह गीत। यह गीत विशेष रूप से मन की आंखों द्वारा देखे गए सभी आशाओं और सपनों पर केंद्रित है जो कभी-कभी टूट जाते हैं और महसूस नहीं किए जा सकते हैं। निस्संदेह यह प्रीतम की बेहतरीन रचनाओं में से एक है। वहीं, अमिताभ भट्टाचार्य, अरिजीत सिंह और नेहा कक्कड़ ने महावीर सिंह फोगट और उनकी दोनों बेटी की बिखरी हुई भावनाओं में जान डालने की पूरी कोशिश की। जिसमें वह सफल भी रहे।
तो यह थे हर दशक में आंखों पर फिल्माए गए कुछ गीत। हमने यूं तो हर दशक से केवल एक ही गीत के बारे में आपको बताया है। लेकिन इसके अलावा ऐसे सैकड़ों गीत हैं, जो आज भी लोग गुनगुनाते हैं। जैसे- ये काली-काली आंखें, ये गोरे-गोरे गाल, आंखों ही आंखों में इशारा हो गया, जीवन से भरी तेरी आंखें, तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है, तेरे नैना बड़े दगाबाज़ रे, कत्थई आंखों वाली एक लड़की जैसे ढेरों गीत हैं।
आपने आंखों पर अब तक का सबसे खूबसूरत गाना कौन सा सुना है? यह हमें अवश्य बताइएगा।