900 साल पुराने नक्शे में समाई है पूरी दुनिया, छिपे हैं कई राज!
World Historical Map : भारत के बागपत में एक ऐसा नक्शा है, जिसमें कई रहस्य छिपे हैं। आइए जानते हैं इस अनोखे नक्शे के बारे में-
World Historical Map: दुनियां भर में कई तरह के नक्शे हैं, लेकिन क्या आप एक अनूठे तरह के नक्शे के बारे में जानते हैं, जिसे प्राकृतित रंगों से तैयार किया गया हो। शायद आप में से कई लोगों को इस अनोखे नक्शे के बारे में पता न हो, लेकिन यह नक्शा बाहर देश का नहीं, बल्कि भारत के बागपत का ही है। कई इतिहासकार इस बात का दावा करते हैं कि पूरे विश्व में इस तरह का सिर्फ दो ही नक्शा है, जिसमें पहला नक्शा भारत के पास और दूसरा ब्रिटेन के पास। आइए जानते हैं इन खास नक्शे के बारे में विस्तार से-
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12वी से 13वीं शताब्दी के बीच बनाया गया है ये नक्शा

बता दें कि बागपत का यह नक्शा 12वी से 13वीं शताब्दी के बीच बना है। इस अनूठे नक्शे को कपड़े पर तैयार किया गया है, जो जैन धर्म के पास ‘अढ़ाई द्वीप’ के नाम से पूरे विश्व का नक्शा है। इस नक्शे की खास बात यह है कि इसके निर्माण के लिए पूरी तरह से प्राकृतिक रंग का इस्तेमाल किया गया है। इस पुराने नक्शे में फलों, पेड़-पौधों और सब्जियों से तैयार किए गए इन रंगों का इस्तेमाल किया गया है। यह नक्शा भारत की चित्रकला शैली का एक अनूठा उदाहरण है।
भौगोलिक और खगोलीय घटनाओं का है अनोखा चित्रण
इतिहासकार का कहना है कि विश्व के इस अनोखे नक्शे में भौगोलिक और खगोलीय घटनाओं का चित्रण काफी अनोखे ढंग से किया गया है। इस मैप में पर्वतों, नदियों, समुद्रों और अन्य भौगोलिक स्थलों की स्थितियों का काफी ज्यादा बारीकी से चित्रण किया गया है।
उनका कहना है कि भारत के साथ काम करने वाले इतिहासकार और अनुसंधानकर्ता इस नक्शे को लेकर लगातार संपर्क में बने हुए हैं, क्योंकि इस नक्शे में कई रहस्य हैं, जिसका उजागर करना जरूरी है। इतिहासकार इस नक्शे में छिपे गुप्त रहस्यों को उजागर करने की लगातार कोशिश में लगे हुए हैं।
ब्रिटिश म्यूजियम में रखा है एक दुर्लभ नक्शा
इतिहासकारों का कहना है कि इस अनोखे नक्शे के जरिए भारत के प्राचीन ज्ञान और संस्कृति को विश्व के सामने लाया जा सकता है। इस नक्शे को दुर्लभतम श्रेणी में रखा जा सकता है। हालांकि, कुछ अन्य नक्शे भी हैं, लेकिन वे थोड़े अर्वाचीन हैं और दूसरे कालखंड के हैं। इस कालखंड का एक और नक्शा ब्रिटिश म्यूजियम में भी मौजूद है और वहां के इतिहासकार इसपर गहन अध्ययन भी कर रहे हैं।
