Tips For Late Talker Kids- कम्यूनिकेशन बच्चों के लिए अपनी आवश्यकताओं और भावनाओं को व्यक्त करने का अहम जरिया होता है। सभी पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे का विकास उम्र के अनुसार सही ढंग से हो। लेकिन हर बच्चे की विकास प्रक्रिया अलग-अलग होती है। कई बच्चे उम्र से पहले नई चीजों को अडॉप्ट कर लेते हैं, वहीं कई बच्चे लाख कोशिशों के बाद भी सही ढंग से कम्यूनिकेट नहीं कर पाते। इन बच्चों को लेट टॉकर कहा जा सकता है। लेट टॉकर की देखभाल करना व उन्हें समझना किसी भी पेरेंट्स के लिए चुनौतीभरा हो सकता है। लेट टॉकर कोई समस्या नहीं है लेकिन सही उम्र में बोलना सीखना या अपनी बात को समझाना बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक होता है। पेरेंट्स ये छोटे-छोटे टिप्स अपनाकर बच्चे की बोलने में मदद कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में।
क्या है लेट टॉकर

यदि आपका बच्चा 18 महीने का हो गया है और वह 10 से अधिक शब्द नहीं बोल पाता तो उसे लेट टॉकर कहा जा सकता है। देर से बात करने वाले बच्चे आपके द्वारा कही जाने वाली बातों को समझते हैं और अन्य मोटर स्किल में निपुण होते हैं। हालांकि ये किसी तरह की गंभीर समस्या नहीं है लेकिन कई बार ऑटिज्म, मनोसामाजिक आभाव, मानसिक विकास में देरी, सेरेब्रल पल्सी, और एक्सप्रेसिव लेंग्वेज डिसऑर्डर के कारण बच्चा देर से बोल सकता है।
ये टिप्स लेट टॉकर की मदद कर सकती हैं

स्वयं से बात करना
स्वयं से बात करना एक ऐसी आसान एक्टिविटी है जिसे आप कभी भी कहीं भी कर सकते हैं। जो बच्चे लेट टॉकर होते हैं पेरेंट्स उन्हें बोलना सिखाने के लिए खुद से बात करने के लिए प्रेरित करें। जैसे यदि आप बच्चे के साथ वॉक पर जा रहे हैं तो उनसे रास्ते में दिखने वाली चीजों के बारे में पूछें। बच्चे का दिन कैसा गुजरा इसके बारे में पूछें। ऐसा करने से बच्चा खुद को एक्सप्रेस करने योग्य बनेगा।
पैरेलल टॉक
पैरेलल टॉक भी काफी प्रभावी तरीका है बच्चे से बात करने का। इस गतिविधि में बच्चे जिस खेल को खेल रहा है उससे संबंधित कोई बात कहे। बच्चा यदि आपको सही ढंग से सुन रहा है तो वह रिएक्ट करेगा और कुछ कहने का प्रयास करेगा। इससे बच्चे का मानसिक विकास होता है और वह नई शब्दावली भी खेल-खेल में सीख सकता है।
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टॉय प्लेसमेंट
हर बच्चे के पास ढेरों टॉयज यानी खिलौने होते हैं। उनमें से कुछ उसके फेवरेट भी हो सकते हैं। आप उनके फेवरेट टॉयज को कहीं छिपा सकते हैं और उन्हें ढूंढने के लिए कहें। यदि बच्चा छोटा है तो वह इशारे से खिलौने के बारे में बताएगा लेकिन बच्चा बड़ा है और बोलने लायक है तो वह जगह के बारे में बताने का प्रयास करेगा। ये एक आसान लेकिन प्रभावी तरीका है बच्चे को बोलना सिखाने के लिए।
टाइम डिले
कई बार जब बच्चा बात करने में असमर्थ होता है तो हम उसे कम्यूनिकेट करने के लिए प्रोत्साहित करने के तरीके के रूप में उन्हें शब्द या वाक्य देते हैं जिसपर वह ध्यान केंद्रित करता है। टाइम डिले गतिविधि में जब आप बच्चे के साथ समय बिताएं तो उससे बिल्कुल भी बात न करें। उसकी किसी भी बात का जवाब न दें। कुछ सेकेंड रुकें और ऑब्जर्ब करें कि बच्चा आपके न बोलने पर कैसे रिएक्ट करता है। ऐसा करने से बच्चा आपसे बात करने की कोशिश करेगा। हो सकता है कि आपका न बोलना बच्चे के लिए फायदेमंद हो।
