saundarya aur rakshas, dada dadi ki kahani
saundarya aur rakshas, dada dadi ki kahani

Dada dadi ki kahani : एक यात्री एक सुनसान जगह से होकर गुज़र रहा था। उसने एक बड़ा-सा किला देखा। वह कई दिनों से लगातार यात्रा कर रहा था। इसीलिए बहुत थका हुआ था। उसने सोचा कि क़िले में रुककर थोड़ी देर आराम कर लिया जाए।

वह किले के अंदर पहुँचा तो उसने देखा कि वहाँ की सभी बत्तियाँ जली हुई थीं। पूरा किला जगमगा रहा था। वहाँ एक बड़ी-सी मेज़ थी! उस पर बढ़िया-बढ़िया खाना रखा हुआ था।

यात्री ने चारों ओर देखा। उसे कोई भी दिखाई नहीं दिया। वह बहुत भूखा था। इसलिए अकेला ही खाना खाने बैठ गया। यह किला एक राक्षस का था। यह राक्षस देखने में बहुत डरावना था। लेकिन वह मन का बहुत अच्छा था। आने-जाने वाले यात्रियों के लिए उसके किले में सारी सुविधाएँ थीं, जो चाहे वहाँ रुक सकता था। लेकिन वह खुद कभी किसी के सामने नहीं आता था, क्योंकि उसे देखते ही सब डरकर भाग जाते थे।

यात्री ने भरपेट भोजन किया और वहीं सो गया। सुबह जब उसकी नींद खुली तो उसने अपना सामान उठाया और चल पड़ा। उसने देखा कि बाहर बगीचे में गुलाब के बहुत-से सुंदर फूल लगे हुए थे। यात्री ने सोचा कि एक फूल अपनी बेटी के लिए ले लूँ। जैसे ही उसने फूल तोड़ने के लिए हाथ बढ़ाया। अचानक वह राक्षस वहाँ आ गया। राक्षस को अपने फूलों से बहुत प्रेम था। कोई भी उन्हें तोड़े तो उसको बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था।

राक्षस ने ज़ोर से कहा, ‘तुमने भरपेट खाना खाया, आराम से सोए। मुझे अच्छा लगा। लेकिन तुमने मेरे फूल तोड़ने की कोशिश की है। यह मैं बिल्कुल सहन नहीं कर सकता। अब तुम्हें इसकी सज़ा ज़रूर मिलेगी, तुम्हें यहीं रहना होगा। हमेशा के लिए।’

यात्री ने राक्षस से माफ़ी माँगी और उसे बताया कि वह यह फूल अपनी बेटी के लिए ले जा रहा था। तब राक्षस बोला, ‘मैं एक शर्त पर तुम्हें छोड़ सकता हूँ, यहाँ से जाकर तुम्हें अपनी बेटी को यहाँ भेजना होगा।’

यात्री के पास अपने-आपको बचाने का और कोई भी उपाय नहीं था। इसलिए उसने अपनी बेटी, सौंदर्या, को भेजने का वादा किया और अपने घर चला गया।

उसने सौंदर्या को सारा किस्सा सुनाया। सौंदर्या एक बहादुर लड़की थी। वह जाने के लिए तैयार हो गई।

जब वह किले में पहुँची तो उसने भी वही सब देखा, जो उसके पिता ने देखा था। उसने खाना खाया और सो गई। अगले दिन उसने किले के कमरों में जाकर देखा, लेकिन उसे कोई भी दिखाई नहीं दिया। किले के बाहर भी उसने सब जगह ढूँढा, लेकिन कोई नहीं था वहाँ। इस तरह कई दिन निकल गए।

जब राक्षस ने देखा कि सौंदर्या आराम से वहाँ रह रही है तो वह समझ गया कि यह एक बहादुर लड़की है। इसीलिए वह उसके सामने आया, उससे मिलने के लिए। सौंदर्या को उसके पिता ने राक्षस के बारे में बताया था। इसलिए वह बिल्कुल भी नहीं घबराई। वह जानती थी कि राक्षस बहुत दयालु और अच्छा है।

राक्षस ने जब सौंदर्य को देखा तो उसे सौंदर्या से प्रेम हो गया। लेकिन वह जानता था कि उसके डरावने आकार के कारण सौंदर्य कभी भी उससे प्रेम नहीं कर सकती थी।

दोनों साथ-साथ खाना खाते थे। फिर राक्षस चला जाता था। राक्षस मन-ही-मन दुखी होता रहता था। लेकिन कुछ कह नहीं पाता था। धीरे-धीरे वह इतना दुखी रहने लगा कि बीमार पड़ गया। एक दिन जब वह खाना खाने आया तो कमजोरी के कारण फ़र्श पर गिर पड़ा। सौंदर्या दौड़कर गई और उसका सिर अपनी गोदी में रखकर सहलाने लगी। उसकी आँखों में आँसू आ गए।

उसका एक आँसू राक्षस के ऊपर गिरा और तभी एक चमत्कार हुआ। राक्षस एक बहुत ही सुंदर युवक में बदल गया। दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे। सौंदर्या और उस युवक का विवाह हो गया। उन्होंने सुख से जीवन व्यतीत किया।

Top 10 Panchantantra Stories in Hindi-पंचतंत्र की कहानियां

पंचतंत्र की कहानियां:नीति, ज्ञान और मनोरंजन का अनमोल खजाना हैं पंचतंत्र एक प्राचीन भारतीय साहित्यिक कृति है जो जानवरों की…