chaar bhaee , dada dadi ki kahani
chaar bhaee , dada dadi ki kahani

Dada dadi ki kahani : चार भाई थे। वे एक बार कहीं जा रहे थे। चारों बहुत ही बुद्धिमान थे। पहले हर छोटी-से-छोटी बात को ध्यान से सुनते थे। हर चीज़ को ध्यान से देखते थे और फिर उसके बारे में बात करते थे।

उन्होंने देखा कि एक सौदागर परेशान होकर घूम रहा था। उन्होंने सौदागर से पूछा, ‘क्या बात है भाई, परेशान क्यों हो?’

सौदागर ने कहा, ‘मेरा ऊँट खो गया है। मैं उस पर सामान लादकर शहर की ओर जा रहा था। रात को मैं थककर थोड़ी देर सो गया। बस इतनी ही देर में ऊँट कहीं चला गया। क्या आप लोगों ने रास्ते में कोई ऊँट देखा है?’

पहला भाई बोला, ‘क्या वह काना है, यानी एक आँख से देख नहीं सकता?’ दूसरा बोला, ‘क्या वह एक पैर से लँगड़ाकर चलता है?’

फिर तीसरा बोला, ‘क्या उसके ऊपर एक तरफ़ गेहूँ लदा हुआ था?’ और चौथे ने कहा, ‘और दूसरी ओर शहद का थैला था?’

सौदागर खुशी से चिल्लाया, ‘बिल्कुल वही है। वही है मेरा ऊँट। कहाँ देखा आपने उसे? बताइए न, मैं जाकर उसे ले आता हूँ।’

चारों भाई बोले, ‘हमें नहीं पता। हमने आपके ऊँट को कहीं भी, कभी भी नहीं देखा।’

नहीं देखा? लेकिन बिना देखे आप लोगों को उसके बारे में सब कुछ पता कैसे चला?’ सौदागर गुस्से से चिल्लाया। सौदागर को विश्वास हो गया कि इन्हीं चारों भाइयों ने ऊँट चुराया है और अब झूठ बोल रहे हैं। वह उनको जज के पास ले गया।

जज ने भाइयों से पूछा, ‘अगर तुम लोगों ने ऊँट को कभी देखा ही नहीं है तो फिर तुम उसके बारे में इतनी अच्छी तरह कैसे जानते हो?’

तब पहला भाई बोला, ‘बहुत सीधी-सी बात है साहब। हमने देखा कि एक ऊँट के पैरों के निशान हैं रास्ते पर। साथ ही हमने देखा कि रास्ते की घास सिर्फ एक ओर से किसी जानवर ने खाई है। इसीलिए हमने यह सोचा कि यह ऊँट ज़रूर एक आँख से देख नहीं पाता होगा।’

दूसरे भाई ने कहा, ‘श्रीमान, रास्ते पर जो पैरों के निशान थे, हमने उन्हें ध्यान से देखा। एक पैर के निशान गहरे थे और दूसरे के हल्के। इससे हमें पता चला कि ऊँट ज़रूर एक पैर से लँगड़ाता होगा।’

अब तीसरे भाई की बारी थी। वह बोला, ‘श्रीमान, लगता है ऊँट अकेला घूमते-घूमते किसी झाड़ी में फँसकर निकला था। इसीलिए उसकी बोरी में छेद हो गया था। उस छेद से गेहूँ के दाने गिरे होंगे। ये दाने रास्ते पर एक ओर गिरे हुए थे।’

चौथे ने कहा, ‘और दूसरी ओर शहद की कुछ बूंदें टपकी हुई थीं। इससे हमें लगा कि ज़रूर ऊँट पर एक ओर गेहूँ और दूसरी ओर शहद लदा हुआ होगा।

जज समझ गया कि चारों भाई बहुत बुद्धिमान हैं, जो कुछ वे कह रहे थे, वह सब ठीक था। इसलिए जज ने चारों भाइयों को सज़ा की जगह पुरस्कार दिया। पुरस्कार यह था कि जज ने चारों को अपनी सेवा में रख लिया।

उसके बाद चारों ने जज के साथ मिलकर कई अपराधियों को पकड़वाया।

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