Emotional development of children
Emotional development of children

Summary: मां-बाप की माफी बच्चों के मन को सुरक्षित बनाता है

जब माता-पिता अपनी गलती मानकर बच्चों से माफी मांगते हैं, तो बच्चों में आत्मसम्मान, भरोसा, सहानुभूति और स्वस्थ भावनात्मक विकास होता है।

Emotional Development of Children: भारतीय समाज में हमेशा माना जाता है की माता-पिता सही है। अगर उनसे गलती हो भी जाए तो माफी मांगने की जरूरत नहीं है। ऐसा करना उनके अधिकार को कम करता है। पर क्या सच में ऐसा है। माता-पिता का बच्चे से माफी मांगना क्या उनके अधिकार को कम करता है। मनोविज्ञान और आधुनिक पेरेंटिंग रिसर्च का मानना है की माता-पिता का अपनी गलती के लिए बच्चों से माफी मांगना उन्हें भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है। आईए जानते हैं, इस लेख में माता-पिता का यह कदम किस तरह बच्चों की परवरिश पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

जब माता-पिता अपनी गलती स्वीकार कर उसके लिए बच्चों से माफी मांगते हैं तो वह बिना कहे अपने बच्चों को यह सीखते हैं कि गुस्सा किसी को भी आ सकता है। यह एक भावना है जो सामान्य है। लेकिन अपने गुस्से को ना समझना या स्वीकार न करना गलत है। माता-पिता का अपनी गलती स्वीकार करना बच्चों को सीखता है हर चीज में परफेक्शन जरूरी नहीं है, बल्कि अपनी गलती से सीखना जरूरी है। बच्चों के अंदर भी अपनी गलती समझने और स्वीकार करने के गुण का विकास होता है और वह भविष्य में एक अच्छा इंसान बनता है।

Emotional development of children
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जब माता-पिता बच्चों से कहते हैं, मैं गुस्से में था। इसलिए मैं तुम्हें समझ नहीं सका। मुझे माफ कर दो। मैं कोशिश करूंगा कि आगे मैं इस तरह की गलती ना करूं। तो बच्चा समझता है गुस्से और सम्मान की भावना को। वह समझता है गुस्सा आना कोई अपराध नहीं है और इसे छुपाने की बजाय वह माफी मांगना सीखता है। वह भविष्य में अपने आप को बेहतर बनाने के लिए काम करता है। उसके अंदर इस समझ का भी विकास होता है कि वह भविष्य में किसी तरह के टॉक्सिक रिश्ते में न फंसे जहां उसके भावनाओं को आहत किया जाए।

माता-पिता का अपने बच्चों से माफी मांगना उनके अंदर के भरोसे और आत्मविश्वास दोनों को बढ़ाता है। माता-पिता के माफी मांगने पर बच्चा उन पर अधिक भरोसा कर पाता है कि उसके पेरेंट्स उसकी भावनाओं को महत्वपूर्ण समझते हैं। वह अपने बातों को बताने या सही तर्क करने में डरता नहीं है। उसके अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है। बच्चा अपने माता-पिता से अपनी खुशी, डर, भय हर तरह की भावना को खुलकर साझा करता है। पेरेंट्स और बच्चे में भावनात्मक दूरी नहीं आती और इसका कारण है बच्चों की भावनाओं का सम्मान करना।

घर या बाहर बच्चा अपनी परेशानी, झगड़े और बहस को कैसे सुलझाता है इसका सही तरीका बच्चा अपने घर से ही सिखाता है। जब वह अपने घर में माता-पिता को गलती करते, गुस्से में देखा है। उसके बाद उसे संभालने के लिए चुप्पी, डर या गुस्से का सहारा लिया जाता है तो बच्चा भी यही सिखाता है। लेकिन अगर इसकी जगह बच्चा अपने माता-पिता द्वारा गलती मानना, माफी मांगना और बात करके सुलझाने जैसे समाधान देखा है तो बच्चा यह सिखाता है। वह समझता है रिश्ते में मतभेद होते हैं पर उसे सही और सकारात्मक तरीके से कैसे सुलझाया जा सकता है।

माता-पिता द्वारा अपनी गलती के लिए माफी मांगना बच्चों को अपनी नजर में महत्वपूर्ण बनता है। बच्चा सीखता है कि अगर हम किसी को दुख पहुंचाते हैं तो हमें माफी मांगना चाहिए। इस तरह बच्चा भविष्य में ना तो किसी के साथ टॉक्सिक बर्ताव करता है ना ही टॉक्सिक रिलेशनशिप में फसता है। माता-पिता का बच्चे से माफी मांगना बेशक पेरेंट्स के लिए छोटा कदम हो परंतु बच्चों के भविष्य के निर्माण के लिए एक जरूरी कदम है।

निशा निक ने एमए हिंदी किया है और वह हिंदी क्रिएटिव राइटिंग व कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। वह कहानियों, कविताओं और लेखों के माध्यम से विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्त करती हैं। साथ ही,पेरेंटिंग, प्रेगनेंसी और महिलाओं से जुड़े मुद्दों...