Overview: दिवाली पर सूर्यास्त के बाद ही क्यों होती है लक्ष्मी पूजा
दीपावली पर सूर्यास्त के बाद लक्ष्मी पूजन का कारण प्रदोषकाल की शुभता, अमावस्या की रात्रि में दीपदान और मां लक्ष्मी का रात्रि भ्रमण माना जाता है।
Diwali 2025 Lakshmi Puja: दिवाली का त्योहार केवल प्रकाश का उत्सव मात्र नहीं, बल्कि इस पर्व से धार्मिक आस्था और श्रद्धा भी जुड़ी है। दीपावली के पावन अवसर पर लोग घर, दुकान, दफ्तर आदि जगहों पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित कर विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं। दीपावली पर दीप प्रज्वलित करने, पटाखे जलाने, मिठाइयां खाने और उपहार का आदान-प्रदान करने के साथ ही लक्ष्मी पूजन का भी खास महत्व होता है और यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन आपने यह देखा होगा कि दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा हमेशा सूर्यास्त के बाद ही की जाती है, जबकि सामान्य तौर पर कई पूजा पाठ स्नानादि के बाद सुबह के समय किए जाते हैं। लेकिन दिवाली ऐसा अवसर है जब शाम में लक्ष्मी पूजन होती है। क्या आप जानते हैं आखिर इसका क्या कारण है, क्यों लक्ष्मी जी की पूजा शाम के समय ही की जाती है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी मान्यताएं।
दिवाली 2025 कब

लक्ष्मी पूजन के बारे में विस्तार पूर्वक जानने से पहले जानते हैं कि इस साल 2025 में दीपावली का त्योहार किस दिन मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार हर साल दिवाली कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाई जाती है। लेकिन तिथि अनुसार यदि बात करें तो, इस साल दीपावली को लेकर दो तिथियां बताई जा रही हैं जोकि 20 और 21 अक्टूबर 2025 है। यही कारण है कि दीपावली की डेट को लेकर लोगों के बीच कंफ्यूजन बना हुआ है। पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से होगी और अमावस्या तिथि अगले दिन 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी।
चूंकि दिवाली की पूजा शाम के समय की जाती है, इसलिए सूर्यास्त की तिथि 20 अक्टूबर को मान्य होगी और इसी दिन दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा। वहीं कुछ लोग उदयातिथि के अनुसार भी पर्व-त्योहार मनाते हैं। उदया तिथि का यदि पालन किया जाए तो दीपावली 21 अक्टूबर 2025 को भी हो सकती है।
दिवाली 2025 लक्ष्मी पूजा का समय

लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त- 20 अक्टूबर, शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 18 मिनट तक.
प्रदोष काल मुहूर्त- 20 अक्टूबर, शाम 05 बजकर 46 मिनट से रात 08 बजकर 18 मिनट तक.
सूर्यास्त के बाद लक्ष्मी पूजन क्यों शुभ

मान्यता है कि प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन करने से घर पर सुख-समृद्धि आती है। यह भी मान्यता है कि, दिवाली के दिन कार्तिक अमावस्या होती है। इसलिए इस दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता और पूरा वातावरण अंधकारमय होता है। ऐसे में दिवाली में जब चारों ओर दीप जलाए जाते हैं तो दीपों के प्रकाश से अंधकार दूर होता है, जिससे कि लक्ष्मी पूजन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
वहीं पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसके बाद ही दीपावली के दिन उनका पूजन किया जाता है।
कहा जाता है कि, जिस समय देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं, उस समय रात्रि थी। इसलिए लक्ष्मी पूजन के लिए रात्रि का समय सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि, इस समय मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और उन्हीं घरों में वास करती हैं जो स्वच्छ, सकारात्मक और प्रकाशमय होते हैं। लक्ष्मी जी का स्वागत करने के लिए ही इस दिन लोग घरों को साफ-सुथरा रखते हैं, दीप जलाते हैं, द्वार को रंगोली से सजाते हैं और तोरण लगाते हैं।
