Overview: दिवाली 2025 में कब है?
दीपावली 2025 में 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6:56 से रात 8:04 तक रहेगा। यह पर्व 5 दिनों तक चलता है।
Diwali 2025 Date: दीपावली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में एक है, जिसे कार्तिक अमावस्या के दिन पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से दीप जलाए जाते हैं, रंगोली मनाई जाती है, लक्ष्मी-गणेश और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इन कार्यों से न सिर्फ घर बल्कि जीवन में भी सुख-समृद्धि आती है। दीपावली को दिवाली भी कहते हैं, जिसका अर्थ है दीपों की अवली (पंक्ति)। साथ ही यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश के विजय को भी दर्शाता है। वैसे तो दीपावली का त्योहार पूरे 5 दिनों तक चलता है, जिसे दीपोत्सव कहते हैं। धनतेरस से पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत होती है और भाई दूज के दिन यह समाप्त होता है। आइये जानते हैं इस साल 2025 में दिवाली कब मनाई जाएगी और लक्ष्मी गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।
2025 में दिवाली कब?

पंचांग के अनुसार दिवाली का पर्व कार्तिक अमावस्या को होता है। अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 अगस्त को दोपहर 03:45 पर होगी और 21 अक्टूबर को शाम 05:55 पर अमावस्या तिथि समाप्त हो जाएगी। चूंकि दिवाली में मां लक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल या फिर निशिता काल में की जाती है, इसलिए दिवाली 20 अक्टूबर 2025 के दिन ही मनाई जाती है।
दिवाली 2025 लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त

माता लक्ष्मी की पूजा के लिए 20 अक्टूबर 2025 को शाम 06 बजकर 56 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 04 मिनट तक का समय शुभ रहेगा। लक्ष्मी जी की पूजा के लिए कुल एक घंटा आठ मिनट का समय मिलेगा। इसके अलावा पूजा के लिए प्रदोष काल, वृषभ काल और निशिता काल का मुहूर्त भी शुभ माना जाता है, जोकि इस प्रकार हैं-
प्रदोष काल मुहूर्त- 20 अक्टूबर शाम 05:33 से रात 08:08 तक
वृषभ काल मुहूर्त- 20 अक्टूबर शाम 06:56 से रात 08:53 तक
निशिता काल मुहूर्त- 20 अक्टूबर रात 11:41 से रात 12:31 तक
पांच दिवसीय दीपोत्वस पर्व और तिथि

17 अक्टूबर 2025- धनतेरस
18 अक्टूबर 2025- नरक चतुर्दशी/ रूप चौदस
20 अक्टूबर 2025- दीपावली
21 अक्टूबर 2025- कार्तिक अमावस्या
22 अक्टूबर 2025- गोवर्धन पूजा
23 अक्टूबर 2025- भाई दूज
दिवाली और मान्यताएं
- दिवाली पर्व को लेकर कई तरह की मान्यताएं और कथाएं भी प्रचलित है। एक मान्यता यह है कि भगवान राम जब 14 साल बाद वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाकर खुशियां मनाई थी।
- इसके अलावा एक मान्यता य़ह भी है कि कार्तिक अमावस्या पर ही मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन किया जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन ही भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बली को पाताल लोक भेकर और वचन दिया कि हर वर्ष दीपावली पर वे पाताल में आकर उससे मिलेंगे।
- जैन धर्म में कार्तिक अमावस्या के दिन को भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- वहीं सिख इतिहास में भी इस दिन को विशेष माना जाता है। क्योंकि सिख मान्यता के अनुसार, इसी दिन गुरु हरगोबिंद जी ने कई राजाओं को मुगलों के कैद से आजाद कराया था।
