advice pollution
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सोशल मीडिया पर इस समय इतना कंटेंट है कि बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक इस ​पर दिन भर बिजी रहते हैं। विभिन्न प्लेटफॉर्म पर इंफ्लूएंसर लोगों को जीवन सुधारने का मंत्र देते हैं। कोई रिश्ते की केमिस्ट्री बनाने का तरीका बताता है तो कोई न्यूट्रिशन की बातें करता है।

Advice Pollution: पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया लोगों के लिए एक ऐसा ‘स्वघोषित स्कूल’ बन गया है जहां ज्ञान का असीमित भंडार है। इंफ्लूएंसर अपने अनुभव और विचार दूसरों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं। ​ये सभी विचार लोगों को प्रेरित करते हैं। सोशल मीडिया के इस ट्रेंड को ‘थिंग्स आई हैव लर्न्ड’ कहा जाता है। और इसी के कारण लोगों के जहन पर हावी हो रहा है ‘एडवाइस पॉल्यूशन‘। क्या है ये परामर्श प्रदूषण, आइए जानते हैं।

मुफ्त के ज्ञान से थकान

सोशल मीडिया पर इस समय इतना कंटेंट है कि बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक इस ​पर दिन भर बिजी रहते हैं।
There is so much content on social media these days.

सोशल मीडिया पर इस समय इतना कंटेंट है कि बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक इस ​पर दिन भर बिजी रहते हैं। विभिन्न प्लेटफॉर्म पर इंफ्लूएंसर लोगों को जीवन सुधारने का मंत्र देते हैं। कोई रिश्ते की केमिस्ट्री बनाने का तरीका बताता है तो कोई न्यूट्रिशन की बातें करता है। वहीं कुछ मानसिक शांति पाने के टिप्स देते हैं। भले ही ये ज्ञान सामान्य हो। लेकिन यह इस तरह बताया जाता है कि जैसे कोई एक्सपर्ट बोल रहा है। बहुत से लोग इन सलाहों से काफी प्रभावित भी होते हैं। लेकिन अब कई लोगों को इस मुफ्त के ज्ञान से थकान भी होने लगी है।

ये है एडवाइस पॉल्यूशन

यूजर्स का कहना है कि सोशल मीडिया का कंटेंट जिंदगी को आसान बनाने की जगह, उसे उलझा रहा है। इन्हें सुनकर लोग एक कन्फ्यूजन की स्थिति में आ रहे हैं। इसे ही नाम दिया गया है एडवाइस पॉल्यूशन का। यानी सलाह या परामर्श का वो प्रदूषण जो आपके विचारों और मानसिक शांति को प्रभावित कर रहा है।

मिल रही है बिना मांगे सलाह

असल में यह एक आधुनिक मानसिक समस्या है। इसमें सोशल मीडिया यूजर्स को हर तरह से असंगत, अनचाही और अप्रासंगिक सलाहें मिल रही हैं। ऐसा जरूरी नहीं है कि लोग सिर्फ सोशल मीडिया से फैले एडवाइस प्रदूषण से ही परेशान हैं। बल्कि इसमें ​परिवार के सदस्य, रिश्तेदार, दोस्त और ऑफिस के सहकर्मियों की बिन मांगी सलाह भी शामिल है।

खुद को सुधारने का टूल

ओक्लाहोमा यूनिवर्सिटी के प्रो. जेनसन मूरे का कहना है कि एडवाइस पॉल्यूशन के कारण यूजर्स को अब पुराने इंटरनेट की याद आने लगी है। जब लोग मीम्स शेयर करते थे। या किसी अनजान की जिंदगी पर ब्लॉग लिखते थे। अब तो हर पोस्ट एक बुलेट पॉइंटेड प्लान बन गई है। ये कंटेंट अब लोगों को मजे की जगह, टेंशन और दबाव दे रहा है। यूजर्स को लगता है कि इंटरनेट अब मनोरंजन या जुड़ाव का जरिया नहीं रहा है। बल्कि अब ये खुद को सुधारने का एक टूल बन गया है।

बुजुर्ग वर्ग है ज्यादा प्रभावित

यूजर्स का कहना है कि कभी कभी ये सलाहें आपको जरूर मददगार लगती हैं। लेकिन हर समय इन्हें देखने से परेशानी पैदा होती है। वहीं बुजुर्ग वर्ग इन सलाहों से अत्यधिक प्रभावित होता है। वे इन टिप्स के आदी हो गए हैं। वे इन रील्स, पोस्ट और वीडियोज को इतना सच समझते हैं कि इन्हें बिना जांचे आगे फॉरवर्ड भी करते हैं।

आप ऐसे बचें एडवाइस पॉल्यूशन से

एडवाइस पॉल्यूशन से बचना आप पर ही निर्भर करता है। सोशल मीडिया का सीमित उपयोग सबसे आसान तरीका है। अगर कोई आपकी स्थिति जाने बिना ही आपको ज्ञान दे रहा है तो आप तुरंत अलर्ट हो जाएं और ऐसी बातों पर ध्यान देना बंद करें। सलाह सुनना बुरा नहीं है, लेकिन उससे प्रभावित होना या मानना आपकी इच्छा शक्ति पर ही निर्भर है। आप जीवन में कुछ ऐसे सुलझे हुए समझदार लोग चुनें जिनकी सलाह सच में आपके लिए मददगार बन सकती है।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...