HPV is Not Just a Women’s Issue – Men Need to Get Tested Too
HPV is Not Just a Women’s Issue – Men Need to Get Tested Too

Overview:एचपीवी संक्रमण को लेकर पुरुषों की लापरवाही बढ़ा सकती है गंभीर खतरे

एचपीवी को सिर्फ महिलाओं से जुड़ी समस्या मानना एक बड़ी भूल है। पुरुष भी इस वायरस से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं। समय पर जांच, वैक्सीन और जागरूकता ही इस खतरे से बचने के सबसे बड़े उपाय हैं। इसलिए पुरुषों को भी उतनी ही गंभीरता से एचपीवी की रोकथाम और जांच करानी चाहिए, जितनी महिलाएं करती हैं।

HPV In Men : जब भी महिलाओं में एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) की बात आती है, तो सबसे पहले हमारे दिमाग में गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्वाइकल कैंसर का ख्याल आता है। कई दशकों से महिलाओं में इस कैंसर की जांच पैप स्मीयर और एचपीवी डीएनए टेस्ट से की जाती रही है। लेकिन यह गलत सोच है कि एचपीवी सिर्फ महिलाओं की समस्या है। असल में, यह दुनिया भर में पुरुषों और महिलाओं दोनों में सेक्स से फैलने वाली सबसे आम बीमारी है। यह कहना बिल्कुल सही है कि एचपीवी के फैलने के खतरे से लेकर कैंसर तक, यह दोनों के लिए एक बड़ी साझा स्वास्थ्य समस्या है।

पुरुषों में एचपीवी और सर्वाइकल कैंसर से परे जानकारी

HPV in man - beyond cervical cancer
HPV in man – beyond cervical cancer

एचपीवी 200 से अधिक संबंधित वायरसों का समूह है, जिन्हें दो प्रकारों में बांटा जाता है: कम जोखिम वाले, जो बिना लक्षणों के या हल्के मस्सों का कारण बनते हैं, और उच्च जोखिम वाले (ऑन्कोजेनिक), जो कैंसर का कारण बनते हैं। हालांकि सर्वाइकल कैंसर पर बहुत ध्यान दिया जाता है, क्योंकि एचपीवी इसके 95% मामलों का कारण है, लेकिन यह वायरस पुरुषों को प्रभावित करने वाले अन्य कैंसरों से भी जुड़ा है, जैसे:

  • एनल कैंसर
  • पेनाइल कैंसर
  • ओरोफैरिंजियल कैंसर (गले, जीभ और टॉन्सिल्‍स का कैंसर)

विशेष रूप से, एचपीवी के कारण होने वाले ओरोफैरिंजियल कैंसर पुरुषों में, खासकर उच्च आमदनी वाले देशों में, तेजी से बढ़ रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में इनकी संख्‍या अब सर्वाइकल कैंसर से भी अधिक हो गई है। फिर भी, बहुत कम पुरुषों को इस जोखिम के बारे में पता है।

पुरुषों में एचपीवी के ट्रांसमिशन और इसकी भूमिका को समझना

एचपीवी मुख्य रूप से नजदीकी त्वचा-से-त्वचा यौन संपर्क, जैसे वैजाइनल, एनल और ओरल सेक्स के माध्यम से फैलता है। पुरुष अक्सर एचपीवी को ग्रहण और संचारित कर सकते हैं और इसमें कोई लक्षण भी नजर नहीं आता। वैसे तो यह संक्रमण आमतौर पर बिना लक्षणों वाला और अपने आप ठीक होने वाला होता है, ऐसे पुरुष अनजाने में अपने यौन साथियों को यह वायरस फैलाते हैं, जिससे संक्रमण का चक्र चलता रहता है।

पुरुषों की इस साइलेंट ट्रांसमिशन’ की भूमिका को दशकों तक नजरअंदाज किया गया है, जिससे यह गलत धारणा बनी कि एचपीवी मुख्य रूप से महिलाओं की स्वास्थ्य समस्या है और इसे केवल महिलाओं पर केंद्रित दृष्टिकोण से ही हल किया जा सकता है।

जबकि हकीकत यह है कि एचपीवी पर प्रभावी नियंत्रण पाना है तो इसके लिए पुरुषों और ट्रांस-सेक्सुअल समुदाय सहित सकी जांच में सबको शामिल करने वाले दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

पुरुषों की जांच क्यों महत्वपूर्ण है?

  • पुरुषों के लिए नियमित जांच की कमी: महिलाओं के विपरीत, पुरुषों के लिए कोई मानकीकृत एचपीवी जांच कार्यक्रम नहीं है। न ही पुरुषों के लिए कोई नियमित एचपीवी जांच टेस्ट उपलब्ध है।
  • जेनाइटल वार्ट: कम जोखिम वाले एचपीवी स्ट्रेन जननांग क्षेत्र में हल्के मस्सों (जेनाइटल वार्ट) का कारण बनते हैं, जो आम हैं लेकिन शर्मिंदगी का कारण हो सकते हैं।
  • साथी की सुरक्षा: एचपीवी से संक्रमित पुरुष उच्च जोखिम वाले एचपीवी प्रकारों को अपने महिला या पुरुष यौन साथियों में संचारित कर सकते हैं, जिससे महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर और अन्य एचपीवी से संबंधित संक्रमणों और स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।
  • अन्य एचपीवी से संबंधित कैंसर: उच्च जोखिम वाला एचपीवी पुरुषों में पेनाइल, एनल या ओरोफैरिंजियल (गले, जीभ और टॉन्सिल के) कैंसर का कारण बन सकता है।
  • असमान बोझ: पुरुषों पर एचपीवी से संबंधित बीमारियों का काफी बोझ है, खासकर एचपीवी से संबंधित मौखिक कैंसर की बढ़ती दरों के साथ।

वर्तमान में कई क्लिनिकल रुचि और उभरते शोध मौजूद हैं जो विशिष्ट संदर्भों में पुरुषों की जांच के लिए मजबूत तर्क दे सकते हैं।

  1. उच्च जोखिम वाले समूह: जिन पुरुषों के कई यौन साथी हैं, पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष (एमएसएम), और एचआईवी पॉजिटिव पुरुषों में एचपीवी का जोखिम विशेष रूप से अधिक होता है, खासकर एनल कैंसर का। एचपीवी डीएनए टेस्टिंग और एनल पैप टेस्ट ऐसे मामलों में प्री-कैंसर घावों का जल्दी पता लगा सकते हैं, जिससे बेहतर परिणाम संभव हो सकते हैं।
  2. ट्रांसमिशन को कम करना: पुरुषों में एचपीवी की जांच न केवल उनके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह उनके यौन साथियों में वायरस के संचरण को भी कम करता है, जिससे संपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य में योगदान मिलता है।
  3. सिर और गले के कैंसर का जल्दी पता लगाना: एचपीवी से संबंधित मौखिक और गले के कैंसर के बढ़ते मामलों के साथ, नए जांच उपकरणों की खोज की जा रही है।

पुरुषों की जांच में बाधाएं

पुरुषों के लिए एचपीवी जांच में कई रुकावटें हैं:

  • जागरूकता की कमी: अधिकांश पुरुषों को यह नहीं पता कि एचपीवी उनके लिए भी कैंसर का कारण बन सकता है।
  • कलंक और सामाजिक धारणाएं: एचपीवी को गलत तरीके से केवल महिलाओं की बीमारी माना गया है, जिसके कारण पुरुषों की रोकथाम पर ध्यान नहीं दिया गया।
  • मानकीकृत स्‍क्रीनिंग टेस्ट और कार्यक्रमों की अनुपस्थिति: पुरुषों के लिए कोई मानकीकृत एचपीवी स्‍क्रीनिंग टेस्ट या कार्यक्रम उपलब्ध नहीं है।
  • तकनीकी चुनौतियां: पुरुषों में एचपीवी से संबंधित प्री-कैंसर स्थितियों का पता लगाना अधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि पुरुषों की शारीरिक संरचना और बीमारी के विकास में अंतर होता है।

शिक्षा, जागरूकता और टीकाकरण की मदद से एचपीवी की रोकथाम

सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों को यह धारणा तोड़ने पर जोर देना चाहिए कि एचपीवी केवल महिलाओं का स्वास्थ्य समस्या है। पुरुषों को एचपीवी से संबंधित कैंसर के बारे में शिक्षित करना, जैसा कि धूम्रपान जैसे अन्य कैंसर के लिए किया जाता है, उनके जोखिम को कम करने में मदद करेगा। पुरुषों में उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए टीकाकरण और लक्षित जांच को प्रोत्साहित करना बीमारी के बोझ को कम करने में सहायक हो सकता है।

टीकाकरण के माध्यम से रोकथाम

टीकाकरण एक शक्तिशाली और प्रमाणित साधन है। एचपीवी वैक्सीन पुरुषों में जननांग मस्सों (जेनाइटल वार्ट) और एचपीवी से संबंधित कैंसर की घटनाओं को कम करने में समान रूप से प्रभावी है। उन देशों में, जहां जेंडर न्‍यूट्रल वैक्‍सीनेशन पॉलिसी अपनाई गई हैं, वहां इसके मामलों में काफी कमी देखी गई है। इस प्रकार, जांच में सबको शामिल करने वाला दृष्टिकोण अपनाकर और जागरूकता फैलाकर हम इस रोकथाम योग्य एचपीवी संक्रमण और बीमारी के बोझ को समुदाय में कम करने में योगदान दे सकते हैं।

डॉ निरंजन पाटिल, एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट (एवीपी), साइंटिफिक बिजनेस हेड- इंफेक्शियस डिजीजेज, मेट्रोपोलिस हेल्‍थकेयर लिमिटेड, मुंबई

मैं मधु गोयल हूं, मेरठ से हूं और बीते 30 वर्षों से लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है और हिंदी पत्रिकाओं व डिजिटल मीडिया में लंबे समय से स्वतंत्र लेखिका (Freelance Writer) के रूप में कार्य कर रही हूं। मेरा लेखन बच्चों,...