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भारत में हर दो में से एक पुरुष को कभी न कभी गाइनेकोमेस्टिया का सामना करना पड़ता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार देश में 40 से 60% पुरुषों को जीवन में कभी न कभी ये समस्या होती है। दुनियाभर में ये आंकड़ा 70% तक पहुंचता है।
Gynecomastia in Male: कई बार कुछ टीनएजर्स बच्चों, युवाओं और पुरुषों के सीने में उभार नजर आता है। अक्सर यह उभार उनके लिए शर्मिंदगी का कारण भी बनता है। हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है कि इसका कारण हमेशा मोटापा ही हो। कई बार ऐसा मेडिकल कंडीशन के कारण भी हो सकता है। इस मेडिकल कंडीशन का नाम है गाइनेकोमेस्टिया।
पुरुषों में आम समस्या है यह
भारत में हर दो में से एक पुरुष को कभी न कभी गाइनेकोमेस्टिया का सामना करना पड़ता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार देश में 40 से 60% पुरुषों को जीवन में कभी न कभी ये समस्या होती है। दुनियाभर में ये आंकड़ा 70% तक पहुंचता है।
क्या होता है गाइनेकोमेस्टिया
गाइनेकोमेस्टिया में पुरुषों के सीने में ऐसे टिश्यू बनने लगते हैं, जो ब्रेस्ट जैसे दिखते हैं। ये तब होता है जब शरीर में हार्मोन का बैलेंस बिगड़ जाता है। पुरुषों के शरीर में दो अहम हार्मोन होते हैं टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन। जब पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन कम हो जाता है और एस्ट्रोजन बढ़ जाता है तो सीने में उभार आ जाता है। मेडिकल टर्म में इसे गाइनेकोमेस्टिया कहते हैं।
कई कारण हैं गाइनेकोमेस्टिया के
गाइनेकोमेस्टिया कई कारणों से हो सकता है। किशोरावस्था या उम्र बढ़ने पर हार्मोन बदलते हैं। जिसके कारण यह समस्या हो सकती है। कई बार हार्ट, ब्लड प्रेशर या मानसिक बीमारी की दवाएं भी इस परेशानी को ट्रिगर करती हैं। थायराइड, लिवर या किडनी की बीमारी के कारण भी यह स्थिति बन सकती है। गाइनेकोमेस्टिया का सबसे आम कारण है वजन ज्यादा होना। इसके कारण सीने में चर्बी जम सकती है। इसे स्यूडो गाइनेकोमेस्टिया कहते हैं। वहीं बॉडी बिल्डिंग के लिए स्टेरॉयड लेने से भी यह परेशानी हो सकती है।
उम्र के इन दो पड़ावों पर रखें नजर
गाइनेकोमेस्टिया के अधिकांश मामलों का कारण टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में कमी और एस्ट्रोजन हार्मोन में वृद्धि होती है। ये हार्मोन उतार-चढ़ाव जीवन के विभिन्न चरणों में सामान्य हो सकते हैं। खासतौर पर एंड्रोपॉज और टीनएज पर नजर रखें। एंड्रोपॉज पुरुषों के जीवन का एक ऐसा चरण है जो महिलाओं में रजोनिवृत्ति के समान होता है। एंड्रोपॉज के दौरान पुरुष यौन हार्मोन, विशेष रूप से टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन कई वर्षों तक कम हो जाता है। जिसके कारण गाइनेकोमास्टिया होने का डर रहता है। वहीं प्यूबर्टी के दौरान किशोरों के शरीर में एंड्रोजन और एस्ट्रोजन दोनों का उत्पादन होता है। जब एंड्रोजन की तुलना में एस्ट्रोजन का उत्पादन ज्यादा होता है तो गाइनेकोमास्टिया की समस्या हो जाती है। गाइनेकोमास्टिया के लगभग 60% से 75% मामले किशोरावस्था में होते हैं।
मानसिक सेहत पर भी असर
गाइनेकोमेस्टिया का असर सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक सेहत पर भी हो सकता है। इससे आत्मसम्मान और आत्मविश्वास में कमी आ सकती है। इस कंडीशन के कारण अक्सर लोगों का मजाक उड़ाया जाता है, जिससे उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती है। ऐसे में समय पर इसका इलाज करवाना जरूरी है।
संभव है गाइनेकोमेस्टिया का इलाज
गाइनेकोमेस्टिया का इलाज संभव है। प्लास्टिक सर्जन डॉ. बी अक्षता कामथ ने हाल ही में एक वीडियो शेयर करके गाइनेकोमेस्टिया के इलाज के बारे में बताया। साथ ही इससे जुड़े मिथक भी बताए। ध्यान रखें वजन कम करने से भी कई बार गाइनेकोमेस्टिया की परेशानी दूर नहीं होती है। क्योंकि कई बार यह सिर्फ चर्बी नहीं, बल्कि ग्रंथि ऊतक होते हैं। कुछ स्थितियों में दवाएं भी काम आ सकती हैं। इनकी मदद से हार्मोन का स्तर संतुलित किया जा सकता है। वहीं ऑकल्ट टेक्नीक से भी इसका उपचार संभव है। इसमें बहुत कम चीरा लगाकर टिश्यूज को हटाया जाता है। समय के साथ साथ इस चीरे के निशान एकदम हट जाते हैं।
