Luminal B Breast Cancer Treatment: ल्यूमिनल बी ब्रेस्ट कैंसर हार्मोंस के उत्पादन की वजह से लगातार बढ़ता रहता है। ऐसे में इसके इलाज के लिए एस्ट्रोजन नामक हार्मोन को रोकने के लिए डॉक्टर कई तरह से इलाज की सलाह देते हैं। चलिए जानते हैं, ल्यूमिनल बी ब्रेस्ट कैंसर का इलाज किन-किन तरीकों से किया जा सकता है। साथ ही जानें, ल्यूमिनल बी ब्रेस्ट कैंसर के बारे में क्या कहना है डॉक्टर का।
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ल्यूमिनल बी ब्रेस्ट कैंसर का इलाज
- ल्यूमिनल बी ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में आमतौर पर कैंसर कोशिकाओं को हटाने के लिए ब्रेस्ट सर्जरी की जाती है। इसमें कई तरह की सर्जिकल प्रक्रियाएं हो सकती है, जैसे –
- मास्टेक्टॉमी
- लम्पेक्टोमी
- ऐन्सलेरी लिम्फ नोड बायोप्सी
- ऐन्सलेरी लिम्फ नोड डिसेक्शन
- सर्जरी के बाद ब्रेस्ट कैंसर कोशिकाओं को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए कुछ अन्य इलाज किए जाते हैं –
- कीमोथेरपी
- रेडियोथेरेपी
- एचईआर2-पॉजिटिव प्रोटीन को नष्ट करने के लिए थेरेपी जो ल्यूमिनल बी कैंसर के बढ़ने का कारण बनती है।
- कैंसर से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए इम्यूनोथेरेपी।
- हार्मोन थेरेपी, जिसे एंडोक्राइन थेरेपी भी कहा जाता है इसमें ओवरियन फंक्शन, एस्ट्रोजेन प्रोडक्शन या हार्मोन रिसेप्टर-पॉजिटिव ट्यूमर में एस्ट्रोजन के प्रभाव को दबाने के लिए की जाती है, जिससे कैंसर वापस न आए।
क्या कहना है डॉक्टर का

पुणे स्थित, डीवाई पाटिल हॉस्पिटल की प्रैक्टिसनर डॉ. आस्था सिंघल का कहना है कि आमतौर पर ल्यूमिनल बी ब्रेस्ट कैंसर 45 की उम्र के बाद ही होता है लेकिन अगर किसी का पारिवारिक इतिहास है या किसी महिला में बीआरसीए 1 जीन मौजूद है तो 35 की उम्र के बाद भी इस सबटाइप ल्यूमिनल बी ब्रेस्ट कैंसर के होने का खतरा रहता है। ऐसी महिलाओं को 25 की उम्र के बाद सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिन करने की सलाह दी जाती है। उन्हें अपने ब्रेस्ट को खुद चेक करते हुए देखना चाहिए कि कहीं ब्रेस्ट में या इसके आसपास कोई गांठ तो नहीं है या कोई स्राव तो नहीं हो रहा। ऐसे लोग हाई रिस्क ग्रुप में आते हैं जिनकी फैमिली में पहले किसी को ब्रेस्ट कैंसर हो चुका है। 35 की उम्र के बाद इस तरह के ग्रुप की महिलाओं को ब्रेस्ट की एमआरआई करवाने की सलाह दी जाती है। ऐसा हर साल करने के लिए कहा जाता है।
डॉ. सिंघल का कहना है कि ल्यूमिनल बी ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा आमतौर पर 45 की उम्र के बाद ही रहता है, तो 45 की उम्र के बाद हर महिला को ब्रेस्ट कैंसर के समय से पहले निदान के लिए मैमोग्राफी करने की सलाह दी जाती है। मैमोग्राफी एक तरीके से ब्रेस्ट का एक्स-रे होता है।
डॉ. सिंघल का कहना है कि ल्यूमिनल बी ब्रेस्ट कैंसर के होने के कई कारक हो सकते हैं, जैसे – फैमिली हिस्ट्री, किसी कंडीशन के कारण रेडियोथेरेपी लेना। बहुत ज्यादा स्मोकिंग करने या अल्कोहल का सेवन करना और खराब लाइफस्टाइल भी इसका कारण बन सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर क्यों होता है, डॉ. सिंघल का कहना है कि इसके बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं है। हालांकि ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ महिलाओं को ही होता है। कुछेक मामलों में पुरुषों में भी ब्रेस्ट कैंसर देखने को मिलता है लेकिन यह पर्सेंटेज बहुत ही कम है, जिन पुरुषों में गाइनेकोमेस्टिया का निदान किया होता है यानी जिन पुरुषों के ब्रेस्ट का डेवलपमेंट हो जाता है, उन पुरुषों को ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है। कई बार ब्रेस्ट कैंसर के निदान के लिए मैमोग्राफी और एमआरआई के अलावा अल्ट्रासाउंड भी करवाया जाता है। ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि होने पर बायोप्सी के जरिए ब्रेस्ट कैंसर का पुख्ता निदान किया जाता है कि किस टाइप का ब्रेस्ट कैंसर है। हार्मोन पॉजिटिव हैं या नहीं, बायोप्सी में ये जांचा जाता है। इलाज की बात करें तो यदि स्टेज 1 ल्यूमिनल बी ब्रेस्ट कैंसर है तो मास्टेक्टॉमी सर्जरी होती है उससे ब्रेस्ट को रिमूव किया जाता है। कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी भी की जा सकती है।
