Ghar ki Pukaar
Ghar ki Pukaar

Short Story in Hindi: कल मुझे घर के ड्राइंग रूम ने आवाज दी कहां हो मेरी मैडम जी थोड़ा सा ध्यान दें दो न मुझपर पर्दे अपने पर पड़ी धूल मुझ पर गिराते हैं, और गंदे सोफे कवर मुझे न भाते हैं। बहुत दिन हो गये जरा साफ करदो,कवर्ड और टेबल ने भी कहा हमपर भी एहसान करदो।वाल हैंगर को देखा तो उनपर भी हल्की धूल थी उन्होंने भी कहा कि जरा हमपर भी हांथ फेर दो।
अभी देख ही रही थी उनको तभी बेड रूम महोदय चिल्ला पड़े “अ रे मालकिन जी जरा हमको भी तो देख लो चादरें गंदी लग रही है कब से धुलने की राह तक रही है।ये क्या कम था कि आलमारियों ने नोक झोंक करना शुरू कर दिया” कभी खोलोगी मैडम हमें दम घुटता है हमारा हमपर ही तो है आपके कपड़ों का बोझ सारा, उटपटांग रखें कपड़े हमें परेशान करते हैं कभी टेढ़े रखें है तो कभी गिरते रहते हैं।
जरा नजर घुमाई तो पलंग पर देखा साड़ी मुझे घूरे जा रही थी कि कल जब पार्टी से आई तो मुझे उतार कर यूं ही क्यों फेंका ,तहकर टांग भी तो सकती थी हमें आप मैडम रेखा।
इतने पर ही बाथरूम और टायलेट ने शोर करना शुरू किया उनकी बातों को सुनोगी या फिर इधर नजर फेरोगी, कितने दिन पहले सफाई की आपने आखिरी बार कब हमारी धुलाई की आपने, शैंपू की बाटल और बाडीवाश हमपर धब्बे बनाते हैं पता नहीं क्यों साबुन के टुकड़े हमसे चिपके जाते हैं।
अब किचन महारानी जो चुपचाप खड़ी थी वो ही अब सबसे ज्यादा मुझपर फट पड़ी थी।”रोज तुम्हारे लिए पूरे घर के लिए हम ही खाना पकाते हैं और हमारी ही सफाई से लोग कतराते हैं।मसाले के जारों को देखो कैसी शैतानी करते कभी गंदे रहते हैं कभी लुढ़के रहते हैं,आटे और चावल के कंटेनर खुद को बॉस समझते हैं ढक्कन नहीं बंद हो ठीक से तो इनमें चूहे घुसने आते हैं।
तेल,घी, रिफाइंड के डिब्बे अपनी तिगड़ी बनाए थे उपर से नीचे तक चिपचिपाए थे।नाराज़ होकर ऐसे मुंह फुलाए थे।
चाय चीनी के डिब्बे जिन्होंने अभी तक शांति बनाई थी वो भी चिटचिटे लग रहे थे , मुझे देखकर कुछ यूं कह रहे थे कि सबको हमारी जरूरत सुबह सबसे पहले होती है पर हमें साफ करने कि फुर्सत कब मिलती है।
मन में घबराहट हुई, बैचैनी और सरसराहट हुई अचानक पतिदेव को सामने देखा तो वो हंसने लगे और कहने लगे “इतनी गहरी नींद में तुम सोई थी जानें कौन से सपनों में खोई थी । सपनों में अपने तुम कुछ बड़बड़ा रही थी और सबको कुछ समझा रही थी,शांत हो जाओ , शांत हो जाओ अरे थोड़ा बीजी थी मोबाइल पर और घूमने में जल्दी ही सबका हिसाब करती हूं घबड़ाओ मत तुमको जल्दी ही साफ करती हूं।
मन को राहत और तसल्ली मिली जब देखा घर में हर तरफ सब चीजें व्यवस्थित मिली।
सच में एक गृहणी के लिए घर की व्यवस्था में गड़बड़ी हो तो एक बुरा सपना लगता है, सुव्यवस्थित घर ही तो गृहणी का आफिस या  कर्मशाला  है,जिसकी व्यवस्था को सुचारू रूप से बनाना ही गृहस्वामिनी के लिए पुरस्कार रूपी माला है।