ashish singhal group CEO at Peepal post about middle class
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अपनी पोस्ट में आशीष ने भारत के मध्यम वर्ग की आर्थिक स्थिति पर चिंता जताई और इसे 'खामोश संकट' कहा।अपनी पोस्ट में आशीष ने भारत के मध्यम वर्ग की आर्थिक स्थिति पर चिंता जताई और इसे 'खामोश संकट' कहा।

Bengaluru CEO Post: आज के समय में हर मिडिल क्लास इंसान की एक ही परेशानी है कि वे अपनी इच्छाओं और इनकम के बीच तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं। उन्हें हर समय एहसास होता है कि वे आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। अब पीपलको के ग्रुप सीईओ आशीष सिंघल ने भी इस सोच का समर्थन किया है। बेंगलुरू के इस स्टार्टअप के सीईओ आशीष की एक लिंक्डइन पोस्ट ने सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस छेड़ दी है।

‘खामोश संकट’ में मध्यम वर्ग

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अपनी पोस्ट में आशीष ने भारत के मध्यम वर्ग की आर्थिक स्थिति पर चिंता जताई और इसे ‘खामोश संकट’ कहा। सिंघल का लिखा कि पिछले एक दशक में मध्यम वर्ग की आमदनी तो लगभग ठहर सी गई है, लेकिन खर्च आसमान छूने लगे हैं। उन्होंने इसे ‘अच्छी तरह से तैयार की गई गिरावट’ बताया। जिसमें लोग अपनी पुरानी लाइफस्टाइल बनाए रखने की कोशिश में उलझे हुए हैं। लेकिन उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। अपनी बचत खोकर, कर्ज में डूबकर और कभी-कभी जरूरी स्वास्थ्य सुविधाओं को टालकर। यानी सारा खेल अपना स्टैंडर्ड मेंटन करने का है।

सैलरी स्कैम में फंसे लोग

आशीष ने लिखा कि मिडिल क्लास लोग एक तरह से सैलरी स्कैम में फंस गए हैं। लेकिन इस स्कैम के बारे में कोई बात नहीं करता। आशीष ने आंकड़ों के जरिए बताया कि 5 लाख रुपये से कम कमाने वाले लोगों की आय में पिछले 10 साल में सालाना सिर्फ 4% की बढ़ोतरी हुई। जबकि 5 लाख से 1 करोड़ रुपए की कमाई करने वाले लोगों के लिए ये आंकड़ा और भी कम सिर्फ 0.4% रहा। वहीं दूसरी तरफ खाने-पीने की चीजों की कीमतें लगभग 80% बढ़ गई हैं। ऐसे में साफ है कि लोग की खरीदारी की क्षमता तेजी से घटी है।

ईएमआई की जिंदगी, दिखावट मजबूरी

सिंघल ने लिखा कि लोग अब अपनी जरूरतों को कर्ज से पूरा कर रहे हैं। चाहे वो फ्लाइट का टिकट हो, नया फोन हो या फिर बच्चों की पढ़ाई। ईएमआई देकर सब कुछ चल तो रहा है। लेकिन अंदर ही अंदर लोग आर्थिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं। इसके बावजूद सब चुप हैं, क्योंकि न कोई चीख है, न सरकार से कोई उम्मीद। उनका दर्द साफ था, अमीर और अमीर होते जा रहे हैं, जबकि मध्यम वर्ग बस चुपचाप दर्द सह रहा है। बिना किसी शिकायत, बिना किसी सरकारी मदद के। मिडिल क्लास की जिंदगी ईएमआई में बीत रही है। और दिखावा करना उनकी मजबूरी बन चुका है।

मिल रही हैं ऐसी प्रतिक्रियाएं

इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर भावनाओं की बाढ़ ला दी है। कई लोगों इसे सटीक और वास्तविकता बता रहे हैं। दूसरी कंपनी के एक सीईओ ने साफ कहा कि मैंने भी यह महसूस किया है। मिडिल क्लास इंसान दोनों तरफ से पिस रहा है। लेकिन इसका कुछ हिस्सा खुद उनकी चुप्पी की वजह से भी है। उन्होंने लिखा कि 9 से 9 की नौकरी, होम लोन और कार लोन से गुजरती जिंदगी को लोग ही स्वीकार करते आए हैं। उन्हें उम्मीद होती है कि कि शायद सब ठीक हो जाएगा। जिसपर सीईओ ने सवाल उठाए कि अगर आप इतने चिंतित हैं, तो अपने कर्मचारियों को कितनी वेतन वृद्धि दी है? वहीं कुछ लोगों ने लिखा कि पूरा टैक्स देने के बावजूद मिडिल क्लास को कुछ नहीं मिलता। हालांकि कुछ लोग आशीष की इस सोच से सहमत नहीं हैं।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...