असम की ख़ास बात
हरे-भरे चाय के बागान, शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी, एक सींग वाले गैंडों का निवास और प्राचीन मंदिरों की आध्यात्मिकता की वजह से देश विदेश से आने वाले सैलानियों के बीच असम की एक अनूठी पहचान है।
Assam Itinerary for 3 Days: भारत का उत्तर-पूर्वी राज्य असम प्रकृति की गोद में बसा एक स्वर्ग है। हरे-भरे चाय के बागान, शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी, एक सींग वाले गैंडों का निवास और प्राचीन मंदिरों की आध्यात्मिकता की वजह से देश विदेश से आने वाले सैलानियों के बीच इसकी एक अनूठी पहचान है। यह न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक धरोहर भी इसे ख़ास बनाती हैं। यहाँ की धरती अहोम राजाओं के गौरवशाली इतिहास को संजोए हुए है, तो वहीं वैष्णव परंपरा की आध्यात्मिक छटा माजुली द्वीप में देखने को मिलती है। यह एक ऐसा स्थान है जहाँ प्रकृति, इतिहास और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
प्राकृतिक वैभव और सांस्कृतिक धरोहर
असम की पहचान उसकी विशाल और जीवनदायिनी ब्रह्मपुत्र नदी से होती है जो इस क्षेत्र की जैव विविधता और सांस्कृतिक परंपराओं को आकार देती है। काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है जो इस राज्य को और भी ख़ास बनाता है। प्रकृति की गोद में बसे चाय बागान असम की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और यहाँ की चाय अपने स्वाद और सुगंध के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। गुवाहाटी स्थित कामाख्या देवी मंदिर शक्ति उपासना का एक प्रमुख केंद्र है जहाँ हर साल अंबुबाची मेले का आयोजन होता है। अगर कोई यात्री असम की गहराइयों को महसूस करना चाहता है तो तीन दिन का यात्रा कार्यक्रम इसे समझने के लिए पर्याप्त होगा।
पहला दिन: गुवाहाटी की आध्यात्मिक यात्रा

असम की यात्रा की शुरुआत इसकी राजधानी गुवाहाटी से होनी चाहिए। यहाँ स्थित कामाख्या मंदिर में माँ शक्ति की पूजा की जाती है और यह भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इसके बाद ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित उमानंद मंदिर का दर्शन किया जा सकता है जिसे भारत का सबसे छोटा नदी द्वीप माना जाता है। शाम के समय ब्रह्मपुत्र नदी क्रूज़ पर बैठकर सूर्यास्त का आनंद लेना एक अविस्मरणीय अनुभव होता है। गुवाहाटी के स्थानीय बाज़ारों में खरीदारी करना भी एक अच्छा अनुभव हो सकता है। यहाँ से आप असमिया सिल्क की साड़ियाँ, पारंपरिक गमोसा और हस्तनिर्मित वस्तुएँ खरीद सकते हैं।
दूसरा दिन: काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान सफारी

दूसरे दिन असम के जंगलों और वन्यजीवों से रूबरू होने का अवसर मिलता है। काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीव प्रेमियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। यहाँ हाथी सफारी या जीप सफारी के जरिए एक सींग वाले गैंडे, बाघ, हिरण, जंगली भैंसे और कई दुर्लभ पक्षियों को देखा जा सकता है। इसके अलावा, उद्यान के आसपास बसे ग्रामीण इलाकों में जाकर आप असम की पारंपरिक जीवनशैली और वहाँ के रहन-सहन को करीब से देख सकते हैं।
तीसरा दिन: माजुली द्वीप और शिवसागर

असम की तीसरी सुबह शुरू होती है ब्रह्मपुत्र नदी के बीच बसे माजुली द्वीप से। यह द्वीप केवल प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं बल्कि अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ के सत्रों में वैष्णव परंपरा का पालन किया जाता है और यहाँ नृत्य, संगीत और चित्रकला की अनूठी विधाएँ देखने को मिलती हैं। इसके बाद, असम के गौरवशाली अतीत को देखने के लिए शिवसागर की यात्रा की जा सकती है। यह अहोम राजाओं की राजधानी हुआ करती थी और यहाँ पर एशिया का सबसे पुराना एम्फीथिएटर है।
