कुम्भ मेले की ख़ास बात
इस मेले में करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्नान कर अपने जीवन को पवित्र बनाते हैं। महाकुंभ के दौरान स्नान की विशेष तिथियां और पर्व तय किए जाते हैं जिनका बहुत ही बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है।
Festivals during Maha Kumbha:महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन प्रयागराज में होने जा रहा है। यह आयोजन हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र धार्मिक पर्व है। इस मेले में करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्नान कर अपने जीवन को पवित्र बनाते हैं। महाकुंभ के दौरान स्नान की विशेष तिथियां और पर्व तय किए जाते हैं जिनका बहुत ही बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यहां हम आपको महाकुंभ 2025 के प्रमुख पर्वों, उनकी तिथियों और उनके महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
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पौष पूर्णिमा (13 जनवरी 2025)

पौष पूर्णिमा से ही कुंभ मेले की औपचारिक शुरुआत मानी जाती है। इस दिन से श्रद्धालु कुंभ क्षेत्र में कल्पवास शुरू करते हैं। यह दिन चंद्रमा की पूर्णता का प्रतीक है और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शुद्धि प्राप्त होती है।
मकर संक्रांति (14 जनवरी 2025)
मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है जिसे शुभ और मंगलकारी माना जाता है। यह कुंभ मेले का पहला प्रमुख स्नान पर्व है। इस दिन संगम में स्नान करने से व्यक्ति को कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
मौनी अमावस्या (29 जनवरी 2025)

मौनी अमावस्या को महाकुंभ का सबसे बड़ा स्नान पर्व माना जाता है। इस दिन ‘मौन’ रहकर संगम में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान से आत्मा को शुद्धता और शांति मिलती है।
बसंत पंचमी (3 फरवरी 2025)
बसंत पंचमी पर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इसे ज्ञान, कला और रचनात्मकता का पर्व माना जाता है। इस दिन स्नान करने से विद्या, बुद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पीले वस्त्र पहनने और भगवान विष्णु की आराधना का भी विशेष महत्व है।
माघी पूर्णिमा (12 फरवरी 2025)

माघी पूर्णिमा पर माघ मास के स्नान का समापन होता है। इस दिन गंगा स्नान के साथ दान-पुण्य का विशेष महत्व है। संगम में स्नान करने से व्यक्ति को चंद्रमा की पूर्णता का आशीर्वाद मिलता है और उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
महाशिवरात्रि (26 फरवरी 2025)
महाशिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित पर्व है। यह दिन शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करने के लिए प्रसिद्ध है। संगम में स्नान कर शिव की आराधना करने से सभी दुखों का नाश होता है और शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
महाकुंभ 2025 का ज्योतिषीय महत्व

महाकुंभ का आयोजन विशेष खगोलीय संयोगों के आधार पर होता है। बृहस्पति, सूर्य और चंद्रमा के विशेष योग से कुंभ मेला आयोजित होता है। इन दिनों में संगम पर स्नान करना आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का प्रमुख साधन माना गया है। महाकुंभ 2025 में आने वाले इन विशेष पर्वों और स्नान तिथियों का पालन करना हर श्रद्धालु के लिए आध्यात्मिक रूप से लाभकारी है। इन पर्वों के दौरान संगम पर स्नान करने से न केवल धार्मिक पुण्य प्राप्त होता है, बल्कि आत्मा को भी शांति और शुद्धि मिलती है।
