gunwatta
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एक गाँव का मुखिया बहुत बूढ़ा हो गया था। एक दिन उसे लगा कि उसे अपना कार्यभार किसी युवा कंधे पर सौंप देना चाहिए। गाँव के बड़े-बूढ़ों के साथ चर्चा के बाद दो युवकों का चयन किया गया। वे दोनों ‘होनहार युवक थे। मुखिया ने उनकी परीक्षा लेने का निर्णय लिया। गाँव के दोनों ओर से एक मील की दूरी पर मुख्य सड़कें गुजरती थीं। मुखिया ने दोनों युवकों को समान मात्र में धन देकर कहा कि तुम दोनों को गाँव के दोनों ओर की सड़कों से जोड़ने के लिए कच्चा मार्ग बनाना है।

पहले युवक ने एक ठेकेदार नियुक्त कर दिया जो अपने साथ बड़ी संख्या में मजदूरों को लेकर आया। उन्होंने रास्ते में आने वाली झाड़ियों और पेड़ों को काटकर साफ कर दिया और उनका मार्ग गाँव के खेल के लिए छोड़े गए मैदान के बीच से गुजरा। वहीं दूसरे युवक ने कुछ ही। मजदूरों को इस काम के लिए रखा। उसने गाँव के नवयुवकों से श्रमदान का आह्वान किया।

रास्ते में एक पुराना बरगद का पेड़ आने पर पेड़ काटने की बजाय सड़क को थोड़ा सा मोड़ लिया। सड़क बनने के बाद कुछ धन बचने पर वह शहतूत के 100 छोटे पेड़ खरीद लाया और सड़क के दोनों किनारे लगा दिया। मुआयने में मुखिया पहले युवक के कार्य की गुणवत्ता से प्रभावित हुआ। पर जब वह दूसरी सड़क देखने गया तो उसके बनने की कहानी सुनकर उसके लिए फैसला करना आसान हो गया। उसने दूसरे युवक को मुखिया बनाने की घोषणा की।

सारः जब हम अपने काम में अतिरिक्त विशेषताएं जोड़ते हैं, तभी हमारे कौशल का पता चलता है।

ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंIndradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)