सुनो सबकी, करो अपने मन की” कहावत का अर्थ है कि जीवन में आपको सभी की सलाह और विचार सुनने चाहिए, लेकिन अंततः वही करना चाहिए जो आपके दिल और मन को सही लगे।

Hindi Kahani: नेहा एक छोटे से गांव की होशियार लड़की थी, जिसे पेंटिंग का बेहद शौक था। वह अपने चारों ओर के दृश्य और चीजों को कागज़ पर उतारने में माहिर थी। लेकिन नेहा के माता-पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर या टीचर बने, क्योंकि उनके हिसाब से पेंटिंग सिर्फ एक शौक हो सकता है, करियर नहीं।

नेहा ने अपने माता-पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए साइंस स्ट्रीम चुनी और मेडिकल की तैयारी करने लगी। हालांकि, उसका दिल हमेशा पेंटिंग की ओर खिंचता था। वह अक्सर खुद को खाली और अधूरा महसूस करती, लेकिन पढ़ाई पर ध्यान देने की कोशिश करती रही।

एक दिन, स्कूल में एक पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई। नेहा ने पहले मना किया, लेकिन दोस्तों के कहने पर उसने अपने दिल की सुनी और प्रतियोगिता में भाग लेने का फैसला किया। उसने रात-रात भर जागकर एक तितली के पंखों की पेंटिंग बनाई, जो रंगों से भरी और आज़ादी का प्रतीक थी। जब उसकी पेंटिंग प्रदर्शित हुई, तो सभी हैरान रह गए। उसकी पेंटिंग को पहला स्थान मिला, और पूरे शहर में उसकी प्रशंसा हुई। नेहा के माता-पिता को भी उसकी कला पर गर्व हुआ। उन्होंने महसूस किया कि नेहा का असली पैशन पेंटिंग में है और उसका समर्थन करने का निर्णय लिया।

नेहा ने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ पेंटिंग को भी जारी रखा और एक सफल आर्टिस्ट बन गई। उसकी पेंटिंग्स अब देश-विदेश में प्रदर्शित होती हैं, और वह अपने गांव की सबसे मशहूर आर्टिस्ट बन गई है। नेहा की कहानी सिखाती है कि दिल की सुनकर अपने सपनों को पंख देना ही असली सफलता है।

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