aalasapan ke kaaran
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भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

हिमाचल प्रदेश के एक छोटा-सा सुंदर गांव जो चारों ओर से ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरा हुआ था। जिसका नाम था समैला। गांव के सामने वाली ऊंची धार से एक नदी मरयारी निकलती थी। सभी गांव वासियों की जमीन नदी के किनारे पड़ती थी। गांव में दो किसान थे रिड़कू और मेनकू। उनकी जमीन नदी के एकदम साथ सटी हुई थी। इसलिए उन्होंने अपनी जमीन के बचाव के लिए नदी के किनारे पत्थर की दीवारें बना रखी थीं। वैसे नदी कोई खास बड़ी नहीं थी। पर बरसात आने पर उसमें काफी पानी आ जाता था। गर्मी के दिनों में वह लगभग सूख ही जाती। इस बार अधिक बारिश होने के कारण नदी में बहुत जोर की बाढ़ आई और बाढ़ के पानी ने रिडकू और मेनकू की जमीन की दीवारों को तोड़ दिया तथा फसल को भी नष्ट कर दिया। रिडकू ने हिम्मत नहीं हारी। जैसे नदी का पानी कम हुआ। उसने अपने परिवार को साथ लेकर दीवार का काम दोबारा शुरू कर दिया। रिडकू ने पहले की अपेक्षा दीवार की चिनाई बड़े-बड़े पत्थरों के साथ की ताकि दीवार पहले से मजबूत हो।

जब रिड़कू ने दीवार का काम शुरू किया तो उसने मेनकू से भी कहा, “मेनकू भाई, मैंने दीवार का काम शुरू कर दिया है। तुम भी अपना काम शुरू कर दो।”

“अभी कहां बरसात आने वाली है। आराम से काम करेंगे।” मेनकू बोला।

“बात बरसात की नहीं है। अपना काम समय पर हो जाए तो ठीक रहता है। आगे तुम्हारी मर्जी।”

मेनकू ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया।

रिड़कू ने बरसात के आने से पहले ही अपना कार्य पूरा कर दिया। जबकि मेनकू लापरवाही में ही पड़ा रहा। सर्दी बीती गर्मी गई और शुरू हो गई बरसात। इस दफा भी जोर की बारिश होने के कारण मरयारी नदी पूरे उफान पर थी। बाढ़ का पानी सीधा मेनकू के खेतों में घुस गया और पूरी की पूरी फसल को पिछली बार की तरह ही बर्बाद कर दिया। मेनकू यह सब देखता हुआ कुछ भी नहीं कर सका। रिडकू की जमीन पर पक्की टिकाऊ और मजबूत दीवार होने के कारण बाढ़ उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकी। मेनकू रिड़कू के पास गया।

मैं लूट गया बर्बाद हो गया। बाढ़ ने मेरी सारी फसल बर्बाद कर दी।”

मेनकू ने लम्बी सांस लेते हुए कहा, “मैंने तुम्हें पहले ही कहा था। यह सब तुम्हारे आलसपन के कारण हुआ है।”

“काश, मैंने तुम्हारी बात उस दिन मान ली होती तो मुझे यह सब देखने को न मिलता।”

“मेनकू भाई जानते हो। वही इंसान बुद्धिमान होता है जो अपना काम समय पर करता है तथा आने वाली मुसीबत का समाधान पहले से ही ढूंढ लेता है।” रिडकू ने उसे समझाते हुए कहा।

“तुम ठीक कह रहे हो रिड़कू भाई।”

बात अब मेनकू की समझ आ चुकी थी। उसने अपने मन में पक्का निश्चय कर लिया था कि वह नदी का पानी कम होते ही अपना काम शुरू कर देगा।

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’