वह उसके बिस्तर पर बैठी और रोने लगी। उसकी गरीबी की मजाक उड़ाता हुआ वह छोटा-सा हैट अब भी उसके सिर पर था। उसका चेहरा सफेद और फूला हुआ था। उसकी लाल किनारे दार शीशे आंखें आंसुओं से भीगी हुई थीं।
एलिस खिड़की के पास खड़ा था और खिड़की पर लटके गंदे पर्दे से झांककर नीचे गली की ओर देख रहा था। उसका मुंह खुश्क था जिसके कारण उसे झल्लाहट हो रही थी। उसका दिल बुरी तरह धड़क रहा था। वह रह-रहकर लड़की की ओर देख लेता था। फिर वह गली की ओर देखने लगा। वह पुलिस कार की प्रतीक्षा कर रहा था जो उन्हें पकड़कर भूरे मकान तक ले जाये और फिर वे नट कला का प्रदर्शन करें।
‘चुप हो जाओ।’ उसने लड़की से कहा, ‘क्या तुम यह बच्चों की तरह चीख-चीखकर रोना बंद नहीं कर सकतीं?
लेकिन उसकी नजरें लड़की की ओर नहीं थी। और लड़की लगातार रोए चली जा रही थी।
वह खिड़की के पास हटकर लड़की के सामने जा खड़ा हुआ और उसकी स्कर्ट के नीचे ‘वी’ के आकार में खड़ी उसकी नंगी जांघों को देखने लगा। पुराने गंदे हैट के नीचे छिपे लड़की के चेहरे ने उसके मन में विद्रोह की भावना भर दी। वह अपने उस पागलपन के लिए पछताने लगा जो उसके मन में उस लड़की के प्रति पैदा हो गया था।
‘क्या तुम चुप नहीं हो सकतीं?’ उसने गुर्राकर कहा, कोई तुम्हारी आवाज सुन लेगा-‘मैं पागल था जो तुम्हें यहां लाया।’
लेकिन उसके शब्दों का लड़की के कानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वह न तो हिली और न उसने नजरें उठाकर एलिस की ओर ही देखा।
एलिस ने सोचा कि गूंगी होने के कारण इस लड़की ने उसकी आवाज नहीं सुनी। उसने बहुत कुछ कहा लेकिन लड़की ने जैसे उसकी कोई बात नहीं सुनी। वह पूर्ववत् रोती रही।
वह फिर खिड़की के पास जा खड़ा हुआ और सोचने लगा कि उसने इस लड़की को अपने साथ लाने की मूर्खता क्यों की? उसे यह जोखिम उठाने की क्या जरूरत थी? उसे तो अकेला ही रहना चाहिये था।
उसने इस लड़की को अपने अकेलेपन का साथी बनाना चाहा था। लेकिन वह बच्चों की तरह रहो रही थी। इसने चोरी की थी। अगर वह चुपचाप उसके साथ चली आती और शांतिपूर्वक रहती तो शायद वह उसे क्षमा कर देता। उस लड़की को साथी बनाने की इच्छा को लड़की के रोने-चीखने ने समाप्त कर दिया था।
वे लगभग पकड़े ही जाने वाले थे। कूपर सरगर्म हो उठा था। जब वे दोनों भयभीत बच्चों की तरह बांध के पास खड़े थे पुलिस कॉन्स्टेबल ने उन पर आक्रमण कर दिया था। एलिस ने पुलिसमैन की बांह कसकर पकड़ ली और उसकी पीठ पर घुटना जमाकर उसे जमीन पर गिरा दिया और लड़की का हाथ पकड़कर लगभग पचास गज तक भागता चला गया। लोग उनके पीछे-पीछे चिल्लाते हुए दौड़े चले जा रहे थे। लेकिन एलिस ने लड़की को किंग्सवे की ओर जाने वाली सुरंग में प्रवेश करती हुई ट्राम में धक्का देकर चढ़ा दिया। ट्राम का निचला हिस्सा खाली था। पुलिसमैन चिल्लाया लेकिन ट्राम के ऊपरी भाग में होने के कारण कन्डक्टर उसकी आवाजें नहीं सुन पाया। ट्राम धड़धड़ाती हुई सुरंग में प्रवेश कर गई।
साउथम्पटन रौ पर ट्राम से उतरकर वे तेजी से रसल स्कवायर होते हुए पीछे की ओर उस गली में पहुंच गये जहां एक लाज में एलिस ठहरा हुआ था।
दोनों चुपचाप उस लाज की ओर बढ़ने लगे। लोग अजीब-अजीब-सी नजरों से उन दोनों को देख रहे थे। उस मकान की मालकिन मिसेज व्हीलर मकान के निचले हिस्से में थीं इसलिए उस लड़की को अपने कमरे में ले जाने में एलिस को कोई परेशानी नहीं हुई।
कमरे में आकर लड़की बिस्तर पर बैठ कर रोने लगी थी। ऐसा लग रहा था कि अब यह जीवन भर रोती रही रहेगी। एलिस के समझाने का उस पर कोई असर ही नहीं हुआ था।
गली में एक पुलिसमैन घूमता हुआ आ गया। उसने सफेद मकान के सामने लगे लेटर बक्स में से पोस्टमैन को चिट्ठियां निकालते हुए देखा। उसने उस पोस्टमैन से कुछ बातें की और आगे बढ़ गया। एलिस की नजरें पुलिसमैन पर जमी हुई थीं। वह सोच रहा था कि क्या मिस्टर ह्विट कोम्ब और हैंडबेग वाली औरत पुलिस के पास जायेंगे? शायद उसका विवरण अब तक लंदन में प्रत्येक फ्लैट फुट के हाथ में पहुंच गया होगा। अगर उन्होंने उसे पकड़ लिया जो उन्हें यह जानने में देर नहीं लगेगी कि वह कौन है और तब वे उसे उम्रकैद की सजा देने के बजाय फांसी पर लटका देंगे।
अचानक लड़की ने अपनी सीधी-सपाट आवाज में कहा, ‘मुझे भूख लगी है। आपके पास खाने के लिए कुछ है?’
‘खाने के लिए?’ एलिस अनिच्छा से खिड़की के पास से हटकर लड़की के पास आकर खड़ा हुआ।
उसे उस लड़की पर बहुत गुस्सा आ रहा था। उसने आगे बढ़कर लड़की के एक ठोकर मारी। लड़की चीख कर पीछे हटने की कोशिश करने लगी। गहरी चोटों से घायल हो जाने की वजह से वह कहराते हुए बैठ गई और अपने हाथ से अपना पांव पीछे हटा लिया।
एलिस को जब विश्वास हो गया कि लड़की अब उठ न सकेगी तो उसने कागज के थैले को खोला और उसमें से मांस के कुछ टुकड़े निकालकर उसके पास डाल दिये। गोश्त के कुछ टुकड़े उसकी गोद में और उसके सिर पर गिरे और कुछ टुकड़े उसके पैरों के पास जा गिरे।
एलिस ने घृणा भरे स्वर में कहा, ‘अगर तुम्हें इतनी ही भूख लगी है तो ये गोश्त के टुकड़े खा लो।’
जैसे ही एलिस ने लड़की पर से नजर हटाई लड़की ने गोश्त का एक टुकड़ा अपने मुंह से डाल लिया। एलिस ने भी मुड़कर एक टुकड़ा अपने मुंह में रख लिया। जब वह वेल्सन में था तब उसने बहुत से लोगों को लड़कियों के साथ भेड़ियों जैसा व्यवहार करते हुए देखा था। इसलिए उसे उस लड़की को मारने का कोई दुःख नहीं हुआ। वह खिड़की के पास फिर आ खड़ा हुआ और बाहर की ओर झांकने लगा। वह काफी देर तक वहां खड़ा रहा। और फिर अचानक उसे याद आया कि कागज के उस थैले में जैम पड़ी हुई है।
और तभी उसे याद आया कि इस सुबकती हुई लड़की के लिए उसे खाना खरीदकर लाना पड़ेगा। यह सोचकर वह गुस्से से भर उठा और उसने थैले को लड़की के मुंह पर दे मारा। तभी उसे याद आया कि इस थैले में जैम के अलावा पेस्ट्री भी है।
उसे इस बात का संतोष था कि वह लड़की को अच्छी तरह बता चुका है कि कितना कठोर है। यह बात इस लड़की की समझ में जितनी जल्दी आ जाए उतना ही अच्छा है।
वह फिर खिड़की के पास आ खड़ा हुआ। तभी उसे गली के अन्तिम छोर पर अखबार बेचने वाली पीली गाड़ी आती दिखाई दी। उसने अखबार को बेचने वालों को गाड़ी वाले के हाथों से शाम के अखबार छीनते हुए देखा। वह बहुत देर से रात्रि के इस अन्तिम संस्करण की प्रतीक्षा कर रहा था।
एलिस के मन में आया कि भाग कर एक अखबार खरीद लाए। लेकिन वह दोबारा अपने आपको गली में दिखाना नहीं चाहता था। उसने अखबार वाले को जल्दी-जल्दी घरों में अखबार बांटते हुए देखा। जिस लड़की ने उसकी कैफे में सेवा की थी वह दरवाजे पर आई और उसने भी अखबार वाले से अखबार खरीदी। अखबार बेचने वाले ने कोई ऐसी बात कही जिससे लड़की को हंसी आ गई। अखबार बेचने वाला भी हंस पड़ा और एक छोटे मकान की सीढ़ियों में अखबार फेंककर आगे बढ़ गया।
एलिस तेजी से दरवाजे की ओर मुड़ा। वह कुछ सहम-सा गया था। लड़की थैले में से जैम लगी रोटी निकालकर खाने लगी थी। लड़की ने जैसे ही अपनी नजरें ऊपर उठाई एलिस को देखकर वह सहम गई। एलिस उसके पास से गुजर कर दरवाजे पर चला गया। उसने दरवाजा खोला और कॉरिडोर में निकल गया।
जब वह सीढ़ियों से उतर रहा था तो उसने मिसेज व्हीलर को देखा जो हाथ में अखबार लिए हॉल में खड़ी थीं। उसे कोसते हुए वो पीछे को मुड़ गया। मिसेज व्हीलर की नजर उस पर पड़ने नहीं पाई।
मिसेज व्हीलर लम्बे कद की झगड़ालू किस्म की औरत थी। उसकी आंखें थकी-थकी सी थीं। सिर के बाल सफेद हो चले थे। चश्मे को अपने अंगूठे और उंगली में थामें वह कुछ पढ़ने की कोशिश कर रही थी।
एलिस वापस अपने कमरे में आ गया। लड़की खाने के बाद बिस्तर के किनारे पर जा बैठी। उन दोनों ने एक-दूसरे को देखा।
‘तुम कौन हो? तुम्हारा नाम क्या है?’ एलिस ने रूखे और कठोर स्वर में पूछा।
‘ग्रेस क्लार्क।’ लड़की ने डरते-डरते बताया। ‘इस कृपा के लिए धन्यवाद…।’
‘अब तुम क्या करोगी?’
‘मैं नहीं जानती।’ लड़की ने सुबकते हुए कहा।
‘तुम रहती कहां हो?’
कमडेन शहर में।’
‘तुम जेल से अभी-अभी छूटकर आई हो?’
लड़की ने हां में सिर हिला दिया।
‘अच्छा होगा कि तुम फिर वहीं चली जाओ।’ एलिस ने गुस्से से कहा और खिड़की के पास चला गया। और फिर मुड़कर उस लड़की की आंखों में झांकते हुए बोला, ‘मैं मूर्ख था जो मैंने तुम्हारी सहायता की। उन्होंने तुम्हें जेल में क्यों भेजा था?’
‘मेरा उसमें कोई दोष नहीं था। मेरे पिता को मार डाला गया था!’
‘मेरे सामने झूठ मत बोलो। वे तुम्हें इसलिए जेल ले गए थे कि तुम चोर हो। क्यों हो ना?’
लड़की ने साहस बटोरकर कहा, ‘मैं मजबूर थी। मैं नौकरी करना चाहती थी। लेकिन बहरी लड़की को नौकरी कौन देता है। मैंने पूरी-पूरी कोशिश की लेकिन कुछ न कर सकी। जिन्दा रहने के लिए मुझे कोई सहारा नहीं मिला।’
‘तुम झूठ बोल रही हो। तुम्हें कोई-न-कोई काम तो मिल ही सकता था। पेन्शन या और कुछ। तुम मुझे बेवकूफ नहीं बना सकतीं।’
‘मैं डब्ल्यू ए.ए.एफ. से भाग आई थी। वे लोग मेरे पीछे लगे हुए थे। मेरे पिता बीमार थे। उनकी देखभाल करने वाला कोई न था। इसलिए मैं वहां से भाग आई थी। इसी के बाद बम गिरा-।’
‘ठीक है, ठीक है।’ एलिस ने बीच में बात काटते हुए कहा, ‘मैं इस तरह की कोई भी दुःखद कहानी सुनने के लिए तैयार नहीं हूं। मैं स्वयं बहुत अभागा हूं। तुम चोर हो। मेरे लिए इतना ही काफी है।’
लड़की बुरी तरह सहम गई। फिर कांपते हुए होंठों से बोली, ‘मैं जा रही हूं। तुम जो चाहो मुझे कह सकते हो।’
तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।
